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डीयू क्यों नहीं करना चाहता ओपन बुक एग्ज़ाम कैंसिल, क्या 10 दिन में ख़त्म हो जाएगा कोरोना?

छात्र और शिक्षक दोनों का ही यही मानना है कि आज के समय में एक ही समाधान है कि सभी एग्ज़ाम को कैंसिल करके, छात्रों को उनके इंटरनल, असाइनमेंट और पिछले सेमेस्टर के नंबरों के आधार पर प्रमोट किया जाए। इसके अलावा कम अंक लाने वाले या नंबर बढ़ाने के इच्छुक छात्रों को कॉलेज खुलने पर एक और मौका दिया जाए।
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दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने छात्रों और शिक्षकों के लगातर हो रहे विरोध के बाद भी ऑनलाइन ओपन बुक एग्ज़ाम को कैंसिल नहीं किया। बल्कि डीयू प्रशासन ने कोरोना महामारी की मौजूदा स्थिति को देखते हुए शनिवार 27 जून को अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए ऑनलाइन ओपन बुक एग्ज़ाम को 10 दिन के लिए स्थगित कर दिया है, जो एक जुलाई से शुरू होने वाले थे।

डीयू ने कहा कि सभी स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए संशोधित डेटशीट तीन जुलाई को अधिसूचित की जाएंगी। जबकि छात्रों और शिक्षा के लंबे विरोध के बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग(UGC) ने भी 24 जून को फ़ाइनल ईयर/सेमस्टर के एग्ज़ाम को भी कैंसिल करने का सुझाव दिया था।

शिक्षक और छात्र देश के विभिन्न हिस्सों में अध्ययन सामग्री की अनुपलब्धता और इंटरनेट कनेक्टिविटी की कमी जैसे मुद्दों का हवाला देते हुए ओपन बुक एग्ज़ाम (ओबीई) का विरोध करते रहे हैं। डीयू के इस नए फैसले को लेकर भी छात्र और शिक्षक विरोध कर रहे है उनका कहना है कि स्थगन नहीं एग्ज़ाम कैंसिल करो।

डीयू की अधिसूचना में क्या है?

डीयू की एक अधिसूचना में कहा गया है कि कोरोना महामारी की मौजूदा स्थिति को देखते हुए इस परीक्षा को 10 दिन के लिए स्थगित कर दिया गया है। इसमें कहा गया कि मौजूदा स्थिति के कारण सभी संबंधित हितधारकों, विशेष रूप से छात्रों को परीक्षा की अपनी निर्धारित गतिविधियों में शामिल होने में मुश्किल हो सकती है। सभी स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए नयी डेटशीट तीन जुलाई को विश्वविद्यालय की परीक्षा शाखा द्वारा अधिसूचित की जाएगी और 10 जुलाई से परीक्षा शुरू होगी।

आइसा, एसएफआई, केवाईएस, पछास सहित सभी छात्र संगठनों और शिक्षकों की चुनी हुई बॉडी DUTA ने भी इस फैसले का विरोध किया। इसे प्रशासन का एक तानशाहीपूर्ण निर्णय बताया। उन्होंने कहा इस फैसले के बारे में छात्रों, शिक्षकों, AC, EC किसी की भी राय नहीं ली गई। इन सभी की तरफ से प्रशासन के इस कदम का लगातार विरोध किया गया। लेकिन डीयू प्रशासन हठधर्मिता के साथ अपनी जिद पर अड़ा रहा।

डीयू के शोध छात्र और एसएफआई दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष सुमित कटारिया ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि डीयू प्रशासन छात्रों के भविष्य के साथ मज़ाक कर रहा है। आज पूरी दुनिया माहमारी से जूझ रही है, लोगों की मानसिक स्थिति लगातर बिगड़ रही है। वैसे समय में डीयू प्रशासन छात्रों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने में लगा हुआ है। जब UGC ने भी सभी एग्ज़ाम को कैंसिल करने और छात्रों को प्रमोट करने का सुझाव दिया है, उसके बाद भी डीयू ऑनलइन एग्ज़ाम करने पे क्यों तुला है ?

आगे उन्होंने कहा जबकि ये सच्चाई है की न प्रशासन और न छात्र इस ऑनलइन एग्ज़ाम के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा विश्विद्द्यालय के मुख्य दो ही हितधारक होते हैं शिक्षक और छात्र और जब ये दोनों ही इस व्यवस्था के खिलाफ हैं तो डीयू ज़बरन ऐसा क्यों कर रहा है।

छात्र संगठन पछास ने डीयू प्रशासन के इस फैसले को छात्रों के साथ एक भद्दा मज़ाक बताया। उन्होंने कहा कि परीक्षाएं टालने के पीछे प्रशासन, कोरोना के फैलते संक्रमण को कारण बता रहा है। तथ्य बता रहे हैं कि हाल-फिलहाल पूरे देश में कोरोना की मार कम नहीं होने वाली तब डीयू प्रशासन को ये ‘दिव्य ज्ञान’ कहां से मिला कि 10 दिनों में इसका असर कम हो जाएगा और परीक्षाएं करवा ली जाएंगी? पिछली बार की तरह इसका जवाब भी किसी के पास नहीं है। और अगर 10 दिनों में महामारी कम नहीं होती तब क्या होगा? क्या फिर इसे 10 दिनों के लिए बढ़ाया जाएगा? डीयू का ये फैसला पहले से परेशान लाखों छात्रों को और अधिक टार्चर करेगा।

आपको बता दें कि डीयू के इस फैसले के बाद से शिक्षक भी खुलकर विरोध कर रहे है। DUTA ने कुलपति को मेल लिखकर अपना विरोध जतया है। इसके साथ ही कई शिक्षकों ने भी कुलपति को पूर्ण रूप से एग्ज़ाम कैंसिल कर सभी छात्रों को प्रमोट करने के लिए मेल लिखा है।

उनका कहना है कि डीयू प्रशासन का नया फैसला छात्रों के पक्ष में नहीं बल्कि उनके खिलाफ खड़ा है और इसलिए हम इस फैसले का विरोध कर रहे हैं।

छात्र और शिक्षक दोनों का ही यही मानना है कि आज के समय में एक ही समाधान है कि सभी एग्ज़ाम को कैंसिल करके, छात्रों को उनके इंटरनल, असाइनमेंट और पिछले सेमेस्टर के नंबरों के आधार पर प्रमोट किया जाए। इसके अलावा कम अंक लाने वाले या नंबर बढ़ाने के इच्छुक छात्रों को कॉलेज खुलने पर एक और मौका दिया जाए।

वैसे देश में कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित शहरों में से एक दिल्ली है। रविवार को कोरोना के 2889 नए मामले सामने आए और 65 लोगों की मौत हो गई। दिल्ली में पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या अब बढ़कर 83,077 हो गई है, वहीं, अब तक 2623 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। ऐसे में लगता नहीं की कुछ दिनों में दिल्ली की स्थति बेहतर होने वाली है। ऐसे मौहौल में एग्ज़ाम करना छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है।  

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

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