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दिल्ली: प्रशासन की वादाखिलाफ़ी से नाराज़ डीबीसी कर्मचारियों ने दिया हड़ताल का नोटिस

दिल्ली में लगातार बढ़ते डेंगू से परेशान होकर डीबीसी कर्मचारियों ने दिल्ली नगर निगम में होने वाली हड़ताल का नोटिस दे दिया है । डीबीसी कर्मचारी ही डेंगू के रोकथाम के लिए काम करते हैं। ऐसे में इनकी हड़ताल से स्थिति और बिगड़ सकती है। 
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प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार : गूगल

दिल्ली में जहां डेंगू सालों के रिकॉर्ड तोड़ रहा है। सरकार भी इसे लेकर अलर्ट पर है और अस्पतालों को अतिरिक्त व्यवस्था के लिए एडवाजरी जारी कर रही है। लेकिन ज़मीनी स्तर पर इसको और अन्य मच्छर जनित बीमारियों के रोकथाम के लिए काम करने वालें कर्मचारी ने सरकार और प्रशासन के वादाखिलाफ़ी के साथ अधिकारियों के कर्मचारी विरोधी रूख के चलते हड़ताल पर जानें का एलान कर दिया है।

इन कर्मचारीयों को डोमेस्टिक ब्रीडिंग चेकर्स (बीडीसी) कहते हैं। इनकी संख्या दिल्ली में लगभग 3500है। इनकी आधिकारिक यूनियन एंटी मलेरिया एकता कर्मचारी यूनियन ने बुधवार को दिल्ली नागर निगम को अपना हड़ताली नोटिस भी दे दिया है।

डेंगू के लगातार बढ़ रहे मामलेंं

दिल्ली में डेंगू के मामलों की संख्या बढ़ रही है और अक्टूबर महीने के पहले पांच दिन में 300 से अधिक नए मामले सामने आए।इस साल पांच अक्टूबर तक दर्ज कुल 1,258 मामलों में से 693 मामले सिर्फ सितंबर में दर्ज किए गए थे।

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) द्वारा सोमवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में इस साल सितंबर के अंत तक डेंगू के 937 मामले दर्ज किए गए थे। उसके बाद अक्टूबर के पहले पांच दिन में 321 नए मामले सामने आए। इसके साथ ही नगर में वेक्टर जनित बीमारी के मरीजों की संख्या बढ़कर 1,258 हो गई।

एक जनवरी से पांच अक्टूबर की अवधि के दौरान दर्ज मामलों की यह संख्या 2017 के बाद से सबसे अधिक है। 2017 में यह संख्या 2,564 थी। 2015 में, दिल्ली में बड़े पैमाने पर डेंगू का प्रकोप देखा गया था और अक्टूबर में मामलों की संख्या 10,600 से अधिक हो गई थी।

इस साल अब तक इस बीमारी से किसी की मौत होने की खबर नहीं है।रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में इस साल पांच अक्टूबर तक मलेरिया के 153 और चिकनगुनिया के 28 मामले सामने आए हैं।निगम ने कहा है कि वह डेंगू के प्रसार पर काबू के लिए अभियान चला रहा है।

कर्मचारी क्यों जा रहे हड़ताल पर ?

डीबीसी कर्मचारियों के यूनियन ने कहा कि निगम प्रशासन ने अपने लिखित आदेशों का भी पालन नहीं किया । जबकि हमने इस बाबत कई बार अधिकारियों को पत्र लिखा और निगम कार्यालय में डाक द्वारा दिये इन पत्रों को दिए जाने के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकारियों एवं यूनियन के पदाधिकारियों के बीच कई बार मौखिक तौर पर मिलकर इस विषय पर जानकारी दी गई व मसले के समाधान के लिए अनुरोध भी किया गया।

परन्तु बड़े खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि 8 माह के पश्चात् निगम प्रशासन ने इस विषय के समाधान हेतु कोई गम्भीर प्रयास नहीं किए। यूनियन ने कहा कि यह 3500 डीबीसी कर्मचारियों के भविष्य से जुड़ा मसला है जो पिछले 27 वर्षों से डेंगू, चिकनगुनिया मलेरिया, कोरोना (कोविड-19) जैसी जानलेवा बिमारियों से दिल्ली की जनता को निजात दिलाते आये हैं और अन्य 20 से 25 तरह की निगम आदेश अनुसार काम करते हैं।

यूनियन के अध्यक्ष देवानंद शर्मा ने कहा कई बार मौखिक और  लिखित पत्राचार और बातचीत के बाद भी कर्मचारियों को अधिकारियों द्वारा सही जवाब ना दे कर जान बूझकर अन्दोलन के लिए धकेलना समाधान के लिए मिलने का समय न दिया जाना तो कर्मचारी क्या करे?

शर्मा ने कहा कि वो निगम प्रशासन के अधिकारियों के कर्मचारी विरोधी रूख के चलते डीबीसी कर्मचारियों में भारी रोष व्याप्त है। इसी विरोधी रूख के चलते 15 दिन बाद हड़ताल पर जाने का निर्णय किया है। हड़ताल के चलते दिल्ली की जनता को जो भी असुविधा और परेशानी होगी उसकी पूर्ण जिम्मेंदारी दिल्ली नगर निगम प्रशासन की होगी। 
   
 क्या है कर्मचारीयों की मांगेः-

1. डी.बी.सी. कर्मचारियों को स्थायी कर वेतन बढ़ाया जाये।

2. दिनांक 09.03.2022 को जारी आदेश पत्र सं.अति.नि.स्वा.अधि.(वा.ज.रो.) /मु./द.दि.न.नि./2022/डी.-369 को लागू करना।

3. उत्तरी निगम मे लॉकडाऊन की अवधि में काटी गई वेतन का भुगतान किया जाना ।

4. उत्तरी एवं पूर्वी निगम में ई.पी.एफ. में हुई अनिमियताओं को ठीक किया जाना ।

5. दिल्ली नगर निगम में अन्य कर्मचारियों की तरह डी.बी.सी कर्मचारियों पर म्स्-डस् छुटटीलागू करना ।

6. निगम पिछले 3 साल से बोनस नहीं व अन्य कर्मचारियों की तरह डी.बी.सी कर्मचारियों को दिवाली बोनस 7,000/- रूपए दिया जाये।

7. डी.बी.सी कर्मचारी के मरणोपरान्त परिवार के सदस्य को करूणामूलक आधार पर नौकरी दि जाये।

8. निगम के फील्ड वर्कर की तरह डी.बी.सी को पेशेंट केयर एलांउस दिया जाये ।

दिल्ली सरकार द्वारा सभी अस्पतालों को 10-15 फीसदी बिस्तर डेंगू के मरीजों के लिए आरक्षित करने का निर्देश

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को कहा कि शहर के सभी अस्पतालों से 10-15 फीसदी बिस्तर डेंगू के मरीजों के लिए आरक्षित रखने को कहा गया है। साथ में यह भी सुनिश्चित करने को कहा गया है कि बिस्तरों की कमी के चलते किसी भी मरीज को भर्ती करने से मना नहीं किया जाए।

एक बयान में सिसोदिया के हवाले से कहा गया है कि पिछले कुछ हफ्तों के दौरान अस्पतालों में कोविड संक्रमितों के लिए आरक्षित बिस्तरों पर भर्ती मरीज़ों की संख्या कम हुई है, इसके मद्देनजर आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने अस्पतालों से कहा है कि खाली बिस्तरों पर डेंगू के मरीजों को भर्ती किया जाए।

बयान में कहा गया है कि सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी के सभी अस्पतालों को अलर्ट पर रखा है और स्थिति पर नजर रखे हुए है। अस्पतालों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने यहां 10-15 प्रतिशत बिस्तरों को वेक्टर जनित रोग के मरीजों के लिए आरक्षित करें। यह सुनिश्चित करें कि बिस्तर की कमी के कारण किसी भी मरीज को भर्ती करने से इनकार नहीं किया जाए।”

सिसोदिया ने कहा कि मौसम की मौजूदा स्थिति वेक्टर जनित बीमारियों के संचरण के लिए अनुकूल है। उन्होंने कहा कि पिछले दो हफ्तों में डेंगू के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि अस्पतालों में मरीजों को इलाज मुहैया कराने के लिए सभी इंतजाम किए गए हैं।

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