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दिल्ली :न्यायालय ने निर्माण गतिविधियों पर लगे प्रतिबंध को पूरी तरह से हटाया

मज़दूर संगठनों ने इस फ़ैसले का स्वागत तो किया है लेकिन साथ ही यह भी कहा है कि इसका स्थाई समाधान होना चाहिए। जब भी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ता है तो सरकार हज़ारों निर्माण मज़दूरों की आजीविका के बारे में सोचते हुए निर्माण कार्य पर प्रतिबंध लगा देती है।
supreme court

दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में निर्माण गतिविधियों पर लगे प्रतिबंध को पूरी तरह से हटा दिया।

न्यायालय ने पिछले साल चार नवंबर को दिल्ली-एनसीआर में सभी निर्माण एवं विविध निर्माणों को तोड़ने की गतिविधियों पर रोक लगा दी थी।

उसके करीब एक महीने बाद नौ दिसंबर को प्रतिबंध आंशिक रूप से हटा लिए गए थे और सुबह छह बजे से शाम छह बजे के बीच निर्माण कार्य के लिए मंजूरी दी गयी थी। इससे पहले केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कहा था कि उस समय वायु गुणवत्ता सूचकांक का स्तर गंभीर नहीं है।

शुक्रवार को यह मामला न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ के समक्ष लाया गया। वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने पीठ से कहा कि प्रतिबंध को पूरी तरह से हटा लिया जाना चाहिए क्योंकि इसका मकसद पूरा हो गया है। वह प्रदूषण संबंधी मामले में न्याय मित्र (एमिकस क्यूरी) हैं।

भारत व्यापार संवर्धन संगठन (आईटीपीओ) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही पीठ ने प्रतिबंध को हटा दिया। इससे दिल्ली-एनसीआर में रात के समय निर्माण गतिविधियों के लिए रास्ता साफ हो गया।

इसके अलावा, पीठ ने एक अन्य आवेदन पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा। इस याचिका में कहा गया है कि सर्वोच्च अदालत द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद यहां कचरा जलाया जा रहा है।   इस मामले में अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी।

 हालंकि निर्माण क्षेत्र में लगे प्रतिबंध से सबसे अधिक कोई प्रभावित हुआ था तो वो दिल्ली का निर्माण मज़दूर था। जो रोजाना दिहाड़ी पर काम करता था जोकि निर्माण कार्य पर रोक से  कामबंदी के दौर से गुजर रहा था। इस फैसले से दिल्ली के हज़ारों निर्माण श्रमिक के रोजगार के अवसर पुनः खुल गए हैं।  

मज़दूर संगठनों ने इस फैसले का स्वागत तो किया लेकिन साथ ही यह भी कहा कि इसका स्थाई समाधान होना चाहिए ,जब भी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ता है तो सरकार हज़ारों निर्माण मज़दूरों की आजाविका के बारे में सोचे हुए निर्माण कार्य पर प्रतिबंध लगा देती है।  

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

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