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दिल्ली: दंगा प्रभावित इलाके में स्कूल निर्माण में देरी को लेकर सरकार को कोर्ट का नोटिस

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा का शिकार रहे मुस्तफाबाद इलाके में एकमात्र सरकारी स्कूल पिछले ढाई साल से टूटा हुआ है। यह सरकारी स्कूल चार शिफ्ट में चलता था जिसमें 4000 विद्यार्थी पढ़ते थे।
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मुस्तफाबाद स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय (टेंट वाले स्कूल) के निर्माण को लेकर भारत की जनवादी नौजवान सभा, मुस्तफाबाद इकाई लगातार आंदोलनरत है। इसी के तहत हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील अशोक अग्रवाल द्वारा कोर्ट में जनहित याचिका लगाई। जनहित याचिका सुनाते हुए हाई कोर्ट के न्यायाधीश ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई और स्कूल के निर्माण कार्यों की स्टेटस रिपोर्ट 8 हफ़्तों में जमा कराने का आदेश दिया।

भारत की जनवादी नौजवान सभा के राज्य सचिव अमन सैनी और जिला सचिव महावीर मिश्रा ने प्रेस को जानकारी दी।

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा का शिकार रहे मुस्तफाबाद इलाके में एकमात्र सरकारी स्कूल पिछले ढाई साल से टूटा हुआ है। यह सरकारी स्कूल चार शिफ्ट में चलता था जिसमें 4000 विद्यार्थी पढ़ते थे।

डीवाईएफआई ने अपने बयान में दावा किया कि, "जून 2021 में स्कूल के निर्माण को लेकर 16 करोड़ रूपये का फंड रिलीज़ हुआ था जिसकी जानकारी हमारी संगठन की तरफ से लगाई गई आरटीआई में पता चली है लेकिन ढाई साल के बाद भी स्कूल के हालात जस के तस बने हुए हैं। इसके अलावा पिछले साल ही विधायक हाजी यूनुस ने इसका शिलान्यास किया था और कहा था कि 1 साल में यह स्कूल 'टेंट वाले स्कूल' से 'टैलेंट वाला स्कूल' हो जाएगा लेकिन आज तक एक ईंट भी वहां नहीं रखी गई। आख़िर 'टेंट वाला स्कूल' कब बनेगा 'टैलेंट वाला स्कूल'? शिक्षा के बड़े-बड़े दावे करने वाली दिल्ली सरकार की हक़ीक़त सबके सामने है। यहां पढ़ने वाले हज़ारों छात्रों और छात्राओं को यमुना विहार स्कूल में शिफ्ट कर दिया।"

आरोप है कि यमुना विहार का स्कूल घर से दूर होने के चलते बहुत सी छात्राओं ने स्कूल छोड़ दिया इसके अलावा छात्र-छात्राओं को सड़क क्रॉस करने के दौरान दुर्घटना का ख़तरा बना रहता है और एक स्कूल में कैपेसिटी से ज़्यादा स्टूडेंट्स के होने से पढ़ाई का स्तर भी गिरा है।

इन्हीं सब बातों को लेकर डीवाईएफआई मुस्तफाबाद इकाई ने राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, मुस्तफाबाद के भवन निर्माण को लेकर आंदोलन करने का निर्णय लेते हुए 'शिक्षा अधिकार अभियान' चलाया। वहीं संगठन ने कहा कि उनकी ओर से ये निर्णय लिया गया कि स्कूल के निर्माण में देर कर रही सरकार को जगाने का काम किया जाएगा।

इसके तहत संगठन ने पहले आरटीआई लगाई। इसके बाद 17 फरवरी को स्कूल पर प्रदर्शन किया। 17 फरवरी से लेकर अब तक हर रोज़ हज़ारों परिवारों से स्कूल बनाने की मांग को लेकर हस्ताक्षर करवाए।

इसी के तहत शिक्षा और स्वास्थ्य के अधिकार की लगातार कानूनी लड़ाई लड़ने वाले हाई कोर्ट के वकील अशोक अग्रवाल ने मुस्तफाबाद में विद्यार्थी और परिवारों के साथ बातचीत की और हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाने आश्वासन दिया।

आज सोमवार को हाईकोर्ट ने स्कूल के निर्माण में हो रही देरी को लेकर जनहित याचिका की सुनवाई की, सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के न्यायाधीश ने डीएचसी को फटकार लगाते हुए कहा कि 2 साल से स्कूल के भवन निर्माण के लिए फंड रिलीज़ होने के बाद भी काम शुरू क्यों नहीं हुआ इसके अलावा 8 हफ़्ते के अंदर स्कूल के भवन निर्माण को लेकर स्टेटस रिपोर्ट जमा कराने का आदेश भी दिया।

डीवाईएफआई ने कहा कि उनके संघर्ष से स्कूल के भवन निर्माण की लड़ाई को मजबूती मिली है और हज़ारों बच्चों को स्कूल और बेहतर शिक्षा के अधिकार मिलने की संभावना भी नज़र आई है। संगठन इसे हज़ारों छात्रों के संघर्ष की जीत मानता है। डीवाईएफआई के नेताओं ने कहा कि जब तक स्कूल निर्माण का काम पूरा नहीं हो जाता तब तक संघर्ष जारी रहेगा।

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