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दिल्ली: डीबीसी कर्मचारियों का स्थायी नौकरी की मांग को लेकर प्रदर्शन, हड़ताल की चेतावनी दी

लगभग 3500 से अधिक कर्मचारी दिल्ली के तीनों नगर निगम में अनुबंध के आधार पर काम कर रहे हैं। राजधानी में डेंगू और अन्य ऐसी महामारी की जांच में महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद ये ठेके प्रथा के तहत कार्यरत हैं। इनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।
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दिल्ली के तीन नगर निगमों में मच्छरों के प्रजनन को रोकने,डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया व कोरोना की रोकथाम के लिए तैनात सैकड़ों कर्मचारियों ने राष्ट्रीय राजधानी में मंगलवार को प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में उन्होंने निगम प्रशासन पर वादाखिलाफी का आरोप लगया और वर्षों से लंबित मांग, अपने पद को तत्काल नियमित करने की मांग की।

उन्होंने बताया की 2017 में कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल के बाद, प्रशासन ने लिखित में उनकी मांग को पूरा करने का वादा किया था परन्तु आजतक उनकी मांगे पूरी नहीं हुईं।

मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया के खिलाफ ज़मीन पर काम करने वाले घरेलू मच्छर प्रजनन जांचकर्ताओं यानी डोमेस्टिक ब्रीडिंग चेकर्स (डीबीसी), वे लोग हैं जो घर-घर जाकर जाँच करते हैं और पता लगाते हैं कि डेंगू और मलेरिया के मच्छर कहां पनप रहे हैं। अगर कहीं पैदा हो रहे हैं तो वे, उसकी रोकथाम के लिए भी कार्य करते हैं। इन कर्मचारियों की संख्या अभी 3500 है जो कि जरूरत से कम है। मंगलवार को, सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीटू) समर्थित एंटी मलेरिया एकता कर्मचारी यूनियन (एएमईकेयू) के नेतृत्व में तीनों नगर निगम मुख्यालय सिविक सेंटर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।

डीबीसी कर्मचारियों की सबसे बड़ी समस्या यह है की ये कर्मचारी लगभग26 साल से काम कर रहे हैं लेकिन उनका कोई पोस्ट (पद) नहीं है। उन्होंने बताया कि पहले उन लोगो की भर्ती फील्ड वर्क के लिए हुई थी बाद में उन्हें हेल्थ विभाग के कर्मचारी के तौर पर काम कराया गया। इसके बाद उन्हें डीबीसी का नाम दिया गया लेकिन कोई पद नहीं दिया गया है।

आपको मालूम है कि दिल्ली नगर निगम में बीजेपी का शासन का। मांगें न माने जाने पर डीबीसी कर्मचारियों ने अगले महीने 25 नवंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की धमकी दी है।

मदन पाल, महासचिव, AMEKU ने मंगलवार को न्यूज़क्लिक को बताया ,“26 साल से अधिक समय हो गया है जब यूनियन विभाग के भीतर मलेरिया विरोधी श्रमिकों के पदों को बनाने की मांग कर रहा है। 2017 में, हमें निगमों द्वारा एक लिखित आश्वासन भी मिला, लेकिन हमारी मांगों को अब तक हल नहीं किया गया है।”

उन्होंने कहा कि मलेरिया रोधी कार्यकर्ता को वेतन बहुत काम दिया जाता साथ ही उन्हेंअन्य किसी भी तरह लाभ नहीं दिया जाता है।

पाल ने कहा “हमारे लिए कोई ईएसआई, पीएफ योजना उपलब्ध नहीं है; न ही उनके भुगतान किया जाता हैं। आज भी, जिन कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के लिए छुट्टी ली है, उनके वेतन में कटौती का सामना करना पड़ेगा।”

इसके अलावा इन कर्मचारियों की मांग है कि काम के दौरान कर्मचारियों के मौत के बाद उनके परिवार में किसी को उनके स्थान पर नौकरी दी जाए। क्योंकि कई बार जब कर्मचारी मच्छर की जाँच के लिए घरों में जाते हैं तो उन्हें भी वो काट लेता है, जिससे उनकी मौत हो जाती है, ऐसे में उनके परिवार को नौकरी दी जाए।

पाल ने दावा किया कि यूनियन ने उनकी मांगों को लेकर निगम अधिकारियों को एक ज्ञापन सौंपा है. उन्होंने कहा, 'अगर उन्हें तुरंत नहीं माना गया तो हम 25 नवंबर को हड़ताल पर जाएंगे।'

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की दिल्ली-इकाई ने आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार दोनों की "मजदूर विरोधी नीतियों" के खिलाफ विरोध दर्ज करने के लिए, 25 नवंबर को राष्ट्रीय राजधानी में हड़ताल का आह्वान किया हुआ है।

डीबीसी कार्यकर्ताओं की हड़ताल, अगर होती है, तो राष्ट्रीय राजधानी में स्वास्थ्य संकट पैदा हो सकता है क्योंकि मानसून की बारिश के बाद वेक्टर जनित बीमारियां पहले से ही बढ़ रही हैं। सोमवार को नगर निगम की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक सप्ताह में राष्ट्रीय राजधानी में डेंगू के 283 से अधिक मामले सामने आए हैं , जिससे इस सीजन की कुल संख्या 1000 का आंकड़ा पार कर गई है। जोकि 2018 के बाद सबसे अधिक है।

मंगलवार के प्रदर्शन में मौजूद सीटू-दिल्ली एनसीआर के महासचिव अनुराग सक्सेना ने न्यूज़क्लिक को बताया कि नगर निगम विभागों में मलेरिया रोधी कार्यकर्ताओं के पदों को नियमित नहीं होने की जिम्मेदारी भाजपा और आप दोनों की है।

उन्होंने कहा, 'दोनों पक्षों को एक साथ बैठना चाहिए और जल्द से जल्द इसका समाधान निकालना चाहिए। तब तक मलेरिया रोधी कर्मचारियों को कम से कम ग्रुप डी के वेतन दरों के अनुसार भुगतान किया जा सकता है। यह इस सिद्धांत के तहत है कि समान काम करने वालों को समान वेतन दिया जाना चाहिए।

सक्सेना ने कहा कि डीबीसी को वर्तमान में दिल्ली में अर्ध-कुशल श्रमिकों के आधार पर न्यूनतम मजदूरी दरों के बराबर मासिक वेतन मिल रहा है, जो लगभग 17,500 रुपये है।

इस बीच, अगले साल होने वाले एमसीडी चुनावों के साथ, राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ती वेक्टर जनित बीमारियों ने भी आप और भाजपा के बीच आरोप- प्रत्यरोप का दौर शुरू हो गया है। पिछले 15 वर्षो से सत्ता में काबिज बीजेपी जहाँ एकबार फिर सत्ता में वापसी में लगी है वही 'आप' उसे बेदखल करने का प्रयास कर रही है।

मंगलवार को, 'आप' ने आरोप लगाया कि भाजपा-शासित दिल्ली नगर निगम आपराधिक लापरवाही ही राजधानी में यथास्थिति के लिए जिम्मेदार है। द हिन्दू से बात करते हुए आप विधायक आतिशी ने कहा " निगमों के मलेरियाविरोधी विभाग में 70 प्रतिशत से अधिक पद भाजपा के प्रशासनिक गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार के कारण खाली पड़े हैं।"

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