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दिल्ली: सैंकड़ों डीबीसी कर्मचारियों को तीन महीने से नहीं मिला वेतन, दी हड़ताल की चेतावनी

कर्मचारी यूनियन से शुक्रवार को अपने बयान में कहा कि अगर वेतन का भुगतान एक सप्ताह में नहीं हुआ तो वो काम बंद कर हड़ताल पर जाएंगे और इसका जिम्मेदार निगम प्रशासन होगा।
दिल्ली: सैंकड़ों डीबीसी कर्मचारियों को तीन महीने से नहीं मिला वेतन, दी हड़ताल की चेतावनी
फाइल फोटो

घरेलू प्रजनन जांचकर्ताओं (डीबीसी) यानि वो कर्मचारी जो घरों में जाकर डेंगू और मलेरिया के मच्छरों की जाँच करते हैं। ये दिल्ली की तीनों नगर निगम के तहत काम करते हैं। इसके पूर्वी दिल्ली नगर निगम के सैंकड़ों कर्मचारियों को पिछले तीन महीनों से वेतन नहीं मिला है। जिसके बाद कर्मचारी यूनियन ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर एक सप्ताह में वेतन भुगतान नहीं किया तो वो हड़ताल पर जाएंगे और नगर निगम मुख्यालय पर प्रदर्शन भी करेंगे।

डीबीसी एक टीम है जो शहर को डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया की व्यापक महामारी से सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है उनकी ये स्थिति चिंताजनक है क्योंकि यह कोई पहला मौका नहीं है जब इनके साथ ऐसा हो रहा हो। डीबीसी कर्मचारियों को साल में कई बार इस तरह की समस्या का समाना करना पड़ता है। पूरे दिल्ली में ये लगभग 3,500 कर्मचारी हैं। पूर्वी दिल्ली नगर निगम जहाँ कर्मचारी अपने अर्जित वेतन यानी उन्होंने जो काम किया है उसका मेहनताना मांग रहे हैं, वहां 710 कर्मचारी कार्यरत हैं।

एंटी मलेरिया एकता कर्मचारी यूनियन जो इन कर्मचारियों की चुनी हुई यूनियन है उसके महासचिव मदनपाल ने कहा कि दिल्ली जैसे शहर में कई-कई महीनों तक वेतन न दिया जाना अमानवीय है। खासकर ऐसे समय में जब महँगाई दानवीय ढंग से बढ़ रही हो।

साथ ही उन्होंने कहा, “1936 के वेतन अधिनियम के तहत अर्जित वेतन का भुगतना न करना ग़ैरकानूनी है। यह कोई पहली बार नहीं हुआ है, इससे पहले भी कई बार ऐसा हो चुका है।”

मदनपाल ने कहा कि “यह विडंबना है कि सरकार हमें कोरोना वारियर मान कर हम पर पुष्प वर्षा कराती है परन्तु हमारे किए हुए काम का वेतन भी नहीं दे रही है।”

इन कर्मचारियों को दिल्ली का न्यनतम वेतन मिलता है और वो भी पिछले तीन महीने से नहीं मिला है। सोचिए ये किस हालत में काम कर रहे हैं।

कर्मचारियों ने बताया कि नगर निगम में डीबीसी कर्मचारी काफी बदतर हालत में हैं। हमें तनख़्वाह भी सिर्फ़ 14 से 15 हज़ार रुपये महीना मिलती है और वो भी पिछले तीन महीने से नहीं मिली है।

यूनियन का कहना है कि हमने कोरोना काल में भी काम किया। इस महामारी में सरकार ने हमे कोरोना वायरस के रोकथाम के कार्य में लगाया हुआ था । हमने उस दौरान शहर में सैनिटाइजेशन का काम किया। इसके आलावा हम पहले से ही ख़तरनाक डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, पीलिया, हैजा और बिल्डिंग डिपार्टमेंट हाउस टैक्स जैसी जगहों में काम करते हैं और जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए काम करते हैं। कोरोना वायरस के दौरान काम करने से हमारे कई साथी संक्रमित हो गए और उनकी मृत्यु हो गई, लेकिन आज तक उन्हें मुआवज़ा नहीं मिला है।

कर्मचारियों का कहना है कि, "भूखे पेट काम भी नहीं होता साहब, 1996 से लेकर अब तक 25 वर्षों से हम कर्मचारी दिल्ली नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत हैं, जिसमें हमें कोई सुविधा नहीं दी जाती। हमारा इलाज तक होना भी दूभर है।"

कर्मचारी यूनियन से शुक्रवार को अपने बयान में कहा कि अगर वेतन का भुगतान एक सप्ताह में नहीं हुआ तो वो काम बंद कर हड़ताल पर जाएंगे और इसका जिम्मेदार निगम प्रशासन होगा।  

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