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दिल्ली: क़ुतुब मीनार में डीडीए ने ग़रीबों के घर चलाया हथौड़ा, 50 से अधिक मकान हुए ज़मींदोज़

यहाँ के निवासियों का कहना है कि उनके पास बिजली बिल, पानी बिल ,आधार कार्ड से लेकर राशन कार्ड सब है। लेकिन अब उन्हें अचानक बिना किसी सूचना के बेघर करके खुले आसमान के नीचे छोड़ दिया गया है।
qutub minar area

उत्तर प्रदेश चल रहे बुल्डोज़र की खबरें अभी ठंडी भी नहीं हुई थीं कि दिल्ली के कुतुब मीनार इलाके के वार्ड नंबर 1 के लगभग 50 से ज्यादा मकानों को डीडीए (दिल्ली विकास प्राधिकरण) ने अचानक धावा बोलकर धराशाई कर दिया। इस भीषण गर्मी में लोग अब खुले आसमान के नीचे रहने को मज़बूर हैं।  
 
मज़दूर आवास संघर्ष समिति, जो मज़दूरों के आशियाने को बचाने के लिए संघर्ष करती है, ने अपने एक बयान में दावा किया कि डीडीए के अधिकारी श्री मीणा ने बताया कि मैं किसी को जवाब देने का काम नहीं करता। मैं तो सिर्फ अपना काम कर रहा हूं और तत्काल ही पुलिस का एक बड़ा बल मजदूर आवास संघर्ष समिति के संयोजक निर्मल गोराना के ऊपर टूट पड़ा और धक्का-मुक्की करने लगा।


देखते ही देखते डीडीए के अधिकारियों ने वार्ड नंबर 1 के घरों को तोड़ने के लिए मजदूरों का दल बुलाया जिन्होंने हथौड़े लेकर मजदूरों के घरों को तोड़ डाला। यहां तक कि लोगों को अपने घर से सामान भी बाहर नहीं निकालने का मौका दिया। लोग हाथ जोड़-जोड़ कर पुलिस अधिकारियों के सामने निवेदन कर रहे थे कि हमें नोटिस तो दीजिए ताकि हम अपनी कार्यवाही कर सके।
 
अंग्रेजी अख़बार टाइम्स ऑफ़ इण्डिया के मुताबिक़ डीडीए के अधिकारियों ने कहा कि वो इस ज़मीन को डेवलवप करेंगे और यहाँ सौन्द्रीयकरण का काम होना है।  संजय वन, महरौली में अनंग ताल झील में एक विध्वंस कार्यक्रम 15 जून को सफलतापूर्वक किया गया था। लगभग 800 वर्गमीटर क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त कर दिया गया है।  

वहां रहने वाले लोग संजय वन क्षेत्र में कचरा फेंक रहे थे और क्षेत्र में प्रस्तावित विकास कार्यों के रास्ते में आ रहे थे।

हालाँकि वहां रहने वाले गरीब परिवार अपनी अलग ही आपबीती बता रहे हैं। उनका सवाल है अब हम कहाँ जाएं? इसका जवाब उन्हें कोई भी अधिकारी नहीं दे पा रहा है।  

यहाँ के निवासियों का कहना है कि उनके पास बिजली बिल, पानी बिल ,आधार कार्ड से लेकर राशन कार्ड सब है।  लेकिन उन्हें अचानक बिना किसी सूचना के बेघर करके खुले आसमान के नीचे छोड़ दिया गया है।  
 
वार्ड नंबर 1 में रहने वाली किरण देवी ने बताया कि वह पिछले 50 साल से ज्यादा समय से कुतुब मिनार में बने घर पर रह रही हैं और बिना किसी नोटिस के डीडीए ने आज आकर उनका घर तोड़ डाला।


लोकेश कुमार ने बताया कि हम किसी भी प्रकार के कानून और कोर्ट की जानकारी नहीं रखते हैं और अचानक हमारा घर टूट जाता है, तो अब हम आज की रात कहां जाएंगे, डीडीए ने हमें किसी भी प्रकार के अस्थाई आश्रय देने के बारे में नहीं कुछ बताया है।
 
पूनम देवी ने बताया कि उसके छोटे बच्चे हैं और आज उनके पास में कोई भी आशियाना नहीं बचा है। सरकार का कोई आला अधिकारी उन्हें न तो राहत देने की बात कर रहा है और ना ही डीडीए के अधिकारी। उल्टा डीडीए के अधिकारी कह रहे हैं कि आपका पुनर्वास नहीं हो सकता है।
 
कचरा कामगार यूनियन के प्रकाश कुमार ने बताया कि डीडीए ने किसी प्रकार का कोई नोटिस नहीं दिया और ना ही पुलिस ने कोई कागज दिखाया, ऐसे में मजदूर परिवारों को किसी सुरक्षित जगह ना पहुंचा कर पहले ही उनके घरों को तोड़ देना मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है।
 
निर्मल गोराना ने बताया कि डीडीए और पुलिस के अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि वे बिना किसी नोटिस के गरीब मजदूरों का घर तोड़ने के लिए पहुंच गए। यह गैर कानूनी कार्य डीडीए एवं पुलिस द्वारा किया जा रहा है। इसलिए इन तमाम अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करके उचित कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। साथ ही साथ दिल्ली सरकार को तत्काल ही मजदूर परिवारों को अस्थाई रूप से आश्रय प्रदान करना चाहिए और उनके पुनर्वास हेतु आज ही प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।

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