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दिल्ली विधानसभा और महिला सशक्तिकरण: बस समाज को और मौके देने की ज़रूरत है

महिला सशक्तिकरण के नज़रिये से अगर इन चुनावों का विश्लेषण किया जाए तो न बहुत उम्मीद बंधती है और न बहुत निराशा मिलती है। विधानसभा में जहां महिला सदस्यों की संख्या बढ़ गई है। लेकिन वहीं अभी भी राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव में महिलाओं के लिए अवसर की बात करें तो वो अभी नगण्य ही हैं।
Delhi election

दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम आ गए, एकबार फिर आम आदमी पार्टी की बंपर जीत हुई। लेकिन एकबार फिर इस रिज़ल्ट ने साफ किया कि भारतीय राजनीति में अगर महिलाओं को अवसर दिए जाएं तो वो भी किसी से कम नहीं हैं। महिला सशक्तिकरण के नज़रिये से अगर इन चुनावों का विश्लेषण किया जाए तो न बहुत उम्मीद बंधती है और न बहुत निराशा मिलती है। विधानसभा में जहां महिला सदस्यों की संख्या बढ़ गई है। लेकिन वहीं अभी भी राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव में महिलाओं के लिए अवसर की बात करें तो वो अभी नगण्य ही हैं।

दिल्ली की 70 सदस्यीय नवनिर्वाचित विधानसभा में इस बार 8 महिलाएं होंगी। इनमें 4 मौजूदा महिला विधायक शामिल हैं। दिल्ली में 2015 के मुकाबले इस बार महिला विधायकों की संख्या बढ़ी है। तब विधानसभा चुनाव में 6 महिलाएं निर्वाचित हुई थीं।

दिल्ली में मतदाताओं की संख्या देखें तो महिला मतदाता लगभग 45% हैं परन्तु अगर हम चुनावों में अवसर की बात करें तो किसी राजनीतिक दल ने 14% से अधिक टिकट महिलाओं को नहीं दिया है। हालांकि 2015 के मुकाबले तीनों प्रमुख दलों ने ज़्यादा महिला प्रत्याशियों को टिकट दिये। महिलाओं की भागीदारी तो बढ़ी है, लेकिन सवाल वही क्या यह पर्याप्त हैं ?

भारतीय जनता पार्टी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने कुल 70 विधानसभा सीटों में से 25 पर महिला प्रत्याशियों को मैदान में उतारा।

इन तीनों दलों की बात करें तो टिकट देने में कांग्रेस सबसे आगे रही। वो अलग बात है कि उसका कोई भी उम्मीदवार जीत न सका न महिला न पुरुष। कांग्रेस ने सबसे अधिक 10 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा। आम आदमी पार्टी ने 9 महिलाओं को उम्मीदवार बनाया। वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने 6 महिला प्रत्याशियों मैदान में उतरा था।

अगर हम 2015 में से तीनों दलों ने 19 महिला प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा था, उस समय बीजेपी ने 8, आप ने 6 और कांग्रेस ने 5 को टिकट दिये थे। अगर हम तीनो दलों को महिलाओं को टिकट देने की तुलना करे तो साफ दीखता है की बीजेपी को छोड़कर सभी दलों में महिला उम्मदीवारों की संख्या बढ़ी थी। कांग्रेस ने 2015 के मुकाबले अपने महिला प्रत्याशियों की संख्या लगभग डबल कर दी थी। आप ने भी अपने महिला उम्मीदवार की संख्या बढ़ी है।

सभी महिला प्रत्याशियों के नतीजे देखें तो जितने भी महिला उम्मीदवार जीतीं वे आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार हैं। आप ने कुल 9 महिलाओं को टिकट दिया जिनमें से उन्होंने 8सीटों पर जीत दर्ज की। सिर्फ़ रोहतास नगर की सीट पर आप की महिला प्रत्याशी की हार हुई। यह सीट भाजपा के खाते में गयी है। इस सीट पर भाजपा के जितेंद्र महाजन ने 13 हज़ार से ज़्यादा अंतर से आप की सरिता सिंह को हराया। हालांकि सरिता सिंह ने 60 हज़ार से अधिक वोट हासिल किए।

कांग्रेस और बीजेपी से चुनाव लड़ रहीं सभी महिला प्रत्याशी चुनाव हार गई हैं। इसका अगर ध्यान से देखे इन दोनों पार्टियों के पुरुष प्रत्याशी भी बड़ी संख्या में हारे हैं। आप में शालीमार बाग की वंदना कुमारी को छोड़कर सभी विजयी महिला प्रत्याशियों को मिलने वाले वोटों की संख्या 52 फीसदी या उससे अधिक रहा है।

विजयी आप महिला प्रत्याशी विधानसभा मत प्रतिशत (%)

1. आतिशी- कालकाजी- 52.28

2. भावना गौड़- पालम- 59.15

3. धनवती चंदाला- रजौरी गार्डन- 55.70

4. राखी बिड़ला- मंगोलपुरी- 58.53

5. प्रमिला टोकस- आरके पुरम- 52.45

6.राजकुमारी ढिल्लन- हरिनगर- 53.67

7. प्रीति तोमर- त्रिनगर- 52.38

8. वंदना कुमारी- शालीमार बाग- 49.41

जीती महिला प्रत्याशी कौन हैं जानिए

आतिशी

आतिशी कालकाजी विधानसभा सीट से चुनाव जीत गई हैं। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी धर्मवीर सिंह को 11393 वोटों से हराया है। आतिशी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएट हैं और आप के राजनीतिक मामलों की समिति की सदस्य रहीं हैं। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की सलाहकार भी रह चुकी हैं। दिल्ली के सरकारी स्कूलों की सूरत बदलने के पीछे 38 साल की आतिशी का कमाल ही माना जाता है। कहा जाता है कि आतिशी के सुझाव पर ही मनीष सिसोदिया ने शिक्षा व्यवस्था में बदलाव किए। दिल्ली सरकार के सलाहकार के तौर पर काम करने के लिए वो एक रुपये की सैलरी लिया करती थी।

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भावना गौड़

पालम सीट पर आम आदमी पार्टी की भावना गौड़ ने एक बार फिर से जीत हासिल की है। उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार विजय पंडित को हराया। वो साल 2015 में आप उम्मीदवार के तौर पर जीतीं थीं। उस समय उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार धरम सिंह सोलंकी को पराजित किया था।

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धनवती चंदेल

राजौरी गार्डन सीट से आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार धनवती चंदेल की जीत हुई थी। उन्होंने बीजेपी के प्रत्याशी रमेश खन्ना को हराया है। आपको बता दे यह सीट आम आदमी पार्टी ने बीजेपी से छीनी हैं।

बता दें कि यहां साल 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार जरनैल सिंह को जीत मिली थी। जिसके बाद वो अचानक पंजाब विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की तरफ से चुनाव लड़ने चले गए जिसके बाद यह सीट खाली हुई ,जिसके बाद उपचुनावों में इस सीट पर बीजेपी और अकाली दल के साँझा उम्मीदवार मनजिंदर सिंह सिरसा की जीत हुई थी।

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राखी बिड़ला

मंगोलपुरी विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी की राखी बिड़ला ने एक बार फिर बंपर जीत दर्ज की। उन्होंने भाजपा ने करम सिंह कर्मा को हराया। आपको बता दें यह उनकी लगतार तीसरी जीत है इससे पहले वो 2013 और 2015 में चुनाव जीत चुकी है। केजरीवाल की 49 दिन की सरकार में दिल्ली सरकार में कैबिनट मंत्री भी थी। इसके बाद पिछली विधनसभा में वो विधानसभा की उपाध्यक्ष भी रही हैं।

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प्रमिला टोकस

दिल्ली की आरके पुरम विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी की प्रमिला टोकस ने फिर से बाजी मारी। उन्होंने इस चुनाव में बीजेपी के अनिल कुमार शर्मा को हराया। वो 2015 में भी चुनाव जीत चुकी हैं।

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राजकुमारी ढिल्लन

दिल्ली की हरिनगर सीट से नवनिर्वाचित विधायक राजकुमारी ढिल्लन, वे कांग्रेस की पार्षद थीं। टिकट की घोषणा से 24 घंटे पहले आम आदमी पार्टी का दामन थामा। टिकट मिला तो भाजपा के दिग्गज नेता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा को कारारी मात दी और अब विधानसभा पहुंच गईं। आपको बता दें इस सीट पर सभी की नज़रें थीं क्योंकि यहाँ से सोशल मीडिया पर फेमस ट्रोल अपने विरोधियों पर हमले करने के लिए चर्चित बग्गा चुनाव लड़ रहे थे। जिसे राजकुमारी ने हराया उन्होंने 53 % वोटो के साथ यह जीत हासिल की।

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प्रीति तोमर

दिल्ली की त्रिनगर सीट से आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी प्रीति तोमर ने जीत हासिल की है। वह 10710 वोटों से जीती हैं। यह जीत आप के लिए काफी अहम है क्योंकि यहां से जीतने वाली प्रीति तोमर आप सरकार में मंत्री रह चुके जितेंद्र तोमर की पत्नी हैं। जितेंद्र तोमर आप सरकार में कानून मंत्री रह चुके हैं और फर्जी डिग्री के चलते वह जेल भी जा चुके हैं। इस बार भी पार्टी ने उन्हें ही टिकट दिया था लेकिन विवादों के बाद इस बार आम आदमी पार्टी ने जितेंद्र की बजाय उनकी पत्नी प्रीति को मैदान में उतारा है। उनके सामने भाजपा के तिलकराम गुप्ता और कांग्रेस के कमलकांत गुप्ता चुनाव मैदान में थे।

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वंदना कुमारी

शालीमार बाग विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी की वंदना कुमारी ने जीत हासिल की है। वंदना कुमारी ने 3440 वोटों से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की रेखा गुप्ता को शिकस्त दी। वंदना कुमारी सभी महिला जीते उम्मीदवारों में सबसे कम अंतर् से जीती हैं। वो इससे पहले 2015 में भी चुनाव जीती थीं।

वंदना कुमारी एक समान्य गृहणी हैं,उन्होंने इस नतीजे के बाद न्यूज़क्लिक से बात की और कहा कि इन नतीजों ने साबित कर दिया की महिलाएं पीछे नहीं है बस अवसरों की जरूरत हैं। उन्होंने इस बात पर भी ख़ुशी ज़ाहिर की इस बार पिछली बार से अधिक महिलाएं चुनाव लड़ीं और जीती हैं।

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आगे उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए सार्वजानिक जीवन में आना आसान नहीं होता हैं क्योंकि हमे पहले अपने घर की जिम्मेदारियों को पूरा करना होता है। उसके बाद ही हम कुछ कर सकते हैं। इन सबके लिए घरवालों का सपोर्ट सबसे ज्यादा ज़रूरी होता हैं। आज देश में हर क्षेत्र में महिलाएं बेहतरीन काम कर रही हैं। बस समाज को और मौके देने की ज़रूरत है।

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