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दिल्ली : NDMC द्वारा बिना नोटिस के निकाले गए सफ़ाईकर्मियों का आंदोलन जारी

नई दिल्ली नगरपालिका परिषद(एनडीमसी) के सफाई कर्मचारी बिना किसी पूर्वसूचना के नौकरी से निकाले जाने के खिलाफ धरना दे रहे हैं।
NDMC

नई दिल्ली नगरपालिका परिषद(एनडीमसी) के सफाई कर्मचारी बिना किसी पूर्वसूचना के नौकरी से निकाले जाने के खिलाफ धरना दे रहे हैं। ये कर्मचारी पिछले कई सालों से एनडीमसी के पालिका केंद्र मे काम करते थे। इनको अचानक 9 दिसम्बर 2022 को यह बताया गया कि उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है और   10 दिसम्बर 2022 से उन्हें काम पर नहीं आना है। जिसके बाद से लगभग सभी 35 कर्मचारी जिसमें अधिकतर महिलाएं हैं उनके सामने रोजी रोटी का संकट आ गया है।

ज्ञात हो कि किसी भी कर्मचारी को काम से निकाले जाने से महीने पहले कर्मचारियों को सूचित करना कानूनी रूप से अनिवार्य है।  सफाई कर्मचारियों को पूर्व में कोई सूचना न देना साफ तौर पर श्रम कानूनों का उल्लंघन है।

नौकरी से अचानक निकाले जाने से परेशान 35 वर्षीय कामिनी जो कि सोमवार को पालिका केंद्र के बाहर आंदोलन मे शामिल हुई थीं, उन्होंने न्यूजक्लिक से बात करते हुए कहा कि अचानक नौकरी से निकाले जाने के बाद उनके सामने अंधेरा छा गया है। कामिनी लगभग चार सालों से यहाँ पर सफाई का काम करती रही थी और उससे होने वाली आमदनी से उनका परिवार चलता था क्योंकि वो घर में अकेले कमाने वाली थीं।

वो बताती हैं कि उनके पति विकलांग हैं इसलिए वो काम नहीं कर पाते हैं। उन्होंने कहा, "मेरे तीन बच्चे हैं और हम किराए के मकान में किसी तरह गुजारा करते थे। यहाँ से मुझे 14,400 मिलते थे उसी में बड़ी मुश्किल से गुजरा होता था लेकिन अब तो वो भी बंद हो गया है। पुराने ठेकेदार ने दो महीने से  वेतन नहीं दिया है। जिस वजह से कर्ज लेकर घर का खर्च चला रहे थे लेकिन अब नौकरी से निकाले जाने के बाद से तो आगे के रास्ते भी बंद हो रहे हैं।"

क्या है पूरा मामला?

आपको बता दें एनडीमसी के पालिका केंद्र में साफ सफाई का काम ठेके पर होता है। हालांकि आजकल अधिकतर सरकारी विभाग मे भर्ती ठेके पर ही हो रही है लेकिन सफाई कर्मचारियों का बहुत बुरा हाल है। इस महीने दस तारीख से पुरानी कंपनी का ठेका खत्म कर  नई ठेका कम्पनी R-K- Jain को काम सौंप दिया गया। जिसने सबसे पहले पुराने सफाई कर्मचारियों को हटाने का फरमान दिया गया। उसके बाद कर्मचारियों की बात मानें तो नई कंपनी उनसे नौकरी देने के एवज में 10 हजार रुपये मांग रही है। कंपनी के लोग इसे रजिस्ट्रेशन फीस बता रहे हैं जबकि सीधे तौर पर यह काम के बदले घूस लेने का मामला बनता है।

इस के बाद से ही कर्मचारी विरोध कर रहे हैं। इसी कड़ी मे आज 12 दिसंबर को कर्मचारियों ने एनडीमसी के पालिका केंद्र के बाहर आंदोलन किया। कर्मचारियों के इस आंदोलन को सफाई कामगार यूनियन ने अपना समर्थन दिया है।

सफाई कामगार यूनियन पहले भी ऐसे मामलों में लड़ी और जीती है। ये कोई नई बात नहीं है, हमने इससे पहले भी देखा है कैसे ठेकेदार को बदलकर कर्मचारियों को बिना किसी नोटिस के निकाल जाता है। इससे पहले भी दिल्ली सरकार के विश्वविद्यालय इंदिरा गांधी दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी फॉर विमेन(आईजीडीटीयूडबल्यू) और अंबेडकर  यूनिवर्सिटी दिल्ली के साथ ही दिल्ली विश्वविद्यालय में भी ऐसे मामले हुए थे। जहां सफाई कर्मचारियों को निकाल दिया गया था लेकिन वहाँ के कर्मियों ने एकजुटता से लड़ाई लड़ी और जीती भी है। इसलिए  यूनियन को पूर्ण विश्वास के वो इन कर्मचारियों को भी पुनः कार्य बहाली करवाएगी।

पिछले चार साल से पालिका केंद्र मे सफाई का काम करने वाली 40 वर्षीय अनीता एक विधवा हैं और उनके तीन बच्चे हैं। वो कहती हैं, "इस जगह अधिकतर महिलाएं हैं और उनमें भी अधिकतर महिलाएं वो हैं जिनकी कमाई से ही उनका परिवार चलता है। हम सफाई कर्मचारी गरीब परिवारों से हैं और हमारे परिवार का गुजारा व बच्चों की परवविश भी इस नौकरी बलबूते ही हो या रही है। ऐसे में नौकरी छूट जाने से कर्मचारियों का परिवार सड़क पर आ गया है।

अनीता ने कहा, "हमने कोरोना काल की तमाम मुसीबतों को झेलते हुए पालिका केन्द्र को साफ-सुथरा रखने का काम किया है। लेकिन आज हमें सड़क पर भूखा मरने के लिए छोड़ दिया जा रहा है।"

आगे उन्होंने बताया कैसे विभाग मे ठेकदार और अधिकारी मिलकर भ्रष्टाचार किया करते हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें वेतन 14400 दिया जाता था लेकिन अधिकारी बाद मे उनसे पाँच हजार वापस ले लेते थे।

इस प्रदर्शन मे शामिल शांति नायक भी बाकी अन्य महिलाओं की तरह अकेले ही अपना परिवार चला रही हैं। वो रोते हुए कहती हैं, "मेरी माँ पूर्ण रूप से विकलांग है और मैं ही एक कमाने वाली हूँ। अब नौकरी छूट गई है मैं कहाँ जाऊं? चार हजार तो मेरा मकान का किराया है।"

शांति अनीता और कामिनी की तरह की बाकी महिला कर्मचारी भी परेशान हैं क्योंकि ये सभी इसी कमाई से अपने परिवारों का भरण पोषन करती थीं।

सफाई कामगार यूनियन के नेता हरीश गौतम ने  कहा है कि बिना पूर्व सूचना के नौकरी निकाले जाने के कारण कर्मचरियों में भारी डर की स्थिति उत्पन्न हो गयी है और जीवन-यापन व रोजगार के प्रति गहरी चिंता पैदा हो गयी है।  यहाँ कार्यरत सफाई कर्मियों के लिए रोजगार का यही एकमात्र साधन है और महामारी के इस दौर में बिना पूर्व सूचना के नौकरी से निकाला जाना न केवल सफाईकर्मियों बल्कि उनके पूरे परिवार के लिए मुश्किलों का पहाड़ खड़ा कर देगा।

उन्होंने कहा कि एनडीमसी अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहा है वो सबकुछ ठेकदारों पर डाल रहा है। जबकि वो “प्रधान नियोक्ता” है, उसे ध्यान रखना है कि उसके कर्मचारियों को पूर्ण वेतन मिल रहा है या नहीं।

आपको बता दें एनडीमसी को सीधे केंद्र सरकार देखती है। इसके चेयरमैन केंद्र के एक आईएएस अधिकारी होते हैं जबकि सांसद और स्थानीय विधायक इसके सदस्य होते हैं। इसके साथ केंद्र मे सत्ताधारी दल इसमें अपने लोगों की नियुक्ति करता है। अभी अगर वर्तमान की बात करें तो केंद्र के अधिकारी के अलावा बीजेपी नेता इसके डिप्टी चेयरमैन हैं जबकि मीनाक्षी लेखी और मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल इसके सदस्य हैं। तब वहाँ ये हाल कि कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा है और इसके साथ ही उनसे नौकरी पर वापसी के लिए एक मोटी रकम मांगी जा रही है। ये केंद्र की मोदी सरकार और दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर बड़ा सवाल खड़ा करती है। क्योंकि ये दोनों खुद को कर्मचारी हितैषी और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन और शासन की बात करते हैं।

हमने एनडीमसी का पक्ष जानने के लिए चेयरमैन ऑफिस फोन किया लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया जबकि जन सूचनाधिकारी का जो नंबर हमें दिया गया उस पर बात नहीं हो पाई। इसके आलवा हमने सतीश उपाध्याय से भी बात करने की कोशिश की लेकिन वो भी इसपर कुछ बोलेने को तैयार नहीं हुए।

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