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दिल्ली : ओला, उबर, रैपिडो की बाइक टैक्सी बंद होने पर कम होगी 'परेशानी' या बढ़ेगी 'बेरोज़गारी'?

दिल्ली परिवहन विभाग की तरफ़ से एक नोटिस जारी किया गया है जिसमें ऐप बेस्ड ओला, उबर, रैपिडो की बाइक ट्रैक्सी सर्विस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है। दिल्ली सरकार के इस फ़ैसले पर दिल्ली वालों और बाइक टैक्सी से जुड़े ड्राइवर्स का क्या कहना है, यह जानने की कोशिश की गई।
Rapido

''मैडम, आप कुछ काम दिला दो, कहीं कुछ हो तो बताना। कुछ भी काम कर लेंगे। आप काम दिला सकते हो, अगर दिला सकते हो तो दिला दो बहुत परेशान हो जाएंगे हम तो, प्लीज़ कहीं काम दिला दो''

''नौकरी गई तो परेशानी होगी''

रैपिडो की बाइक टैक्सी चलाने वाले एक ड्राइवर हिमांशु ने क़रीब 10 मिनट की बातचीत के दौरान हमसे कई बार यही गुज़ारिश की, हिमांशु ने बताया कि घर में सिर्फ़ वो और उनकी मम्मी हैं और दोनों ही घर चलाने के लिए काम करते हैं, उन्होंने एक साल पहले ही ऐप बेस्ड रैपिडो चलाना शुरू किया था। वे महीने में क़रीब 15 से 20 हज़ार कमा लेते थे, लेकिन अब उन्हें नया काम तलाश करना पड़ेगा। हिमांशु कहते हैं कि कोई ना कोई काम तो मिल ही जाएगा लेकिन ये इतना भी आसान नहीं होगा बहुत परेशानी उठानी पड़ेगी। वे कहते हैं कि ''मैंने 11वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी, घर में कोई कमाने वाला नहीं था मम्मी थोड़ा-बहुत कमाती थी तो मैंने भी कमाना शुरू कर दिया''। उन्हें चिंता सताने लगी कि अब फिर से उन्हें कोई नई नौकरी तलाश करनी पड़ेगी। हिमांशु हमसे एक सवाल पूछते हैं कि- 

''अगर ऐप बेस्ड टैक्सी बंद कर दी गई है और ये जो कह रहे हैं कि पर्सनल बाइक का इस्तेमाल कमर्शियल टैक्सी की तरह इस्तेमाल नहीं कर सकते तो वो ये बताएं कि क्या जोमैटो, स्विगी, फ्लिपकार्ट के जो डिलीवरी वाले हैं वो भी तो अपनी पर्सनल बाइक का ही इस्तेमाल कमर्शियल तरीक़े से ही कर रहे हैं तो क्या वो भी बंद होगीं? 

( हालांकि ये सभी पार्सल पहुंचाने के लिए इस्तेमाल होती हैं, टैक्सी के तौर पर नहीं )

''नोटिफिकेशन आने के बाद से ऐप ही ओपन नहीं किया''

रैपिडो की बाइक चलाने वाले एक और ड्राइवर से हमने बात की जो बेहद नाराज़ थे, पहले ही सवाल के जवाब में कहा कि ''नाराज़ क्यों नहीं होंगे, हमारे कमाने-खाने का ज़रिया था अब हम क्या करेंगे? हमारे घर के पास चौक है वहीं जाकर खड़े होंगे मजदूरी करेंगे, बोरी उठाएंगे और क्या करेंगे अब?"

आर्यन ने बताया कि वो महीने में 25 से 30 हज़ार तक कमा लेते थे, हाल ही में शादी हुई थी, ज़िन्दगी ठीक से कट रही थी लेकिन अब उन्हें समझ नहीं आ रहा कि क्या करेंगे? वे कहते हैं कि ''कल ही (20 फ़रवरी) नोटिस के बारे में पता चला था, तब से ही बहुत परेशान हूं बस ये समझ लीजिए कि जब से नोटिफिकेशन आई है हमने तो ऐप ही ओपन नहीं किया, ऐसा लग रहा है कि सरकार ने हमारा खाना-पीना ही बंद कर दिया।

रैपिडो की बाइक चलाने वाले ये ड्राइवर दिल्ली सरकार के तत्काल प्रभाव से बाइक टैक्सी पर प्रतिबंध के ऐलान से नाराज़ और परेशान हैं। 

आख़िर क्या है दिल्ली सरकार के इस नोटिस में जिसे दिल्ली के विधायक और परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने भी ट्वीट कर जानकारी दी। 

क्या है नोटिस में?
 

  • दिल्ली सरकार ने ओला, उबर और रैपिडो की बाइक टैक्सी पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध का ऐलान किया है।
  • इस फ़ैसले का असर ओला, उबर और रैपिडो जैसे कैब सर्विस उपलब्ध करवाने वाले एग्रीगेटर्स पर पड़ेगा।
  • दिल्ली परिवहन विभाग के इस नोटिस में कहा गया है कि यात्रियों को ले जाने के लिए प्राइवेट रजिस्ट्रेशन नंबर वाले टू व्हिलरर्स का इस्तेमाल किया जा रहा है।
  • नोटिस में कहा गया है कि प्राइवेट बाइक का कमर्शियल टैक्सियों के रूप में इस्तेमाल मोटर वाहन अधिनियम 1988 का उल्लंघन करता है।
  • साथ ही इस नोटिस में ये भी कहा गया है कि अगर ओला, उबर और रैपिडो की सर्विस देने वालों ने बाइक टैक्सी जारी रखी तो पहली बार पकड़े जाने पर( अपराध पर)  उनपर पांच हज़ार का जुर्माना लगेगा।
  • दूसरी बार अपराध करने पर दस हज़ार रुपये का जुर्माना लगेगा और एक साल तक की क़ैद हो सकती है। और ड्राइवर तीन महीने के लिए अपना लाइसेंस भी खो सकता है।
  • नोटिस में ये भी कहा गया है कि कुछ ऐप-बेस्ड कंपनियां 1988 के अधिनियम का उल्लंघन करते हुए ख़ुद को एग्रीगेटर के रूप में पेश कर रही हैं, ऐसा करने पर उन्हें एक लाख रुपये का जुर्माना देना होगा।

ग़ौरतलब है कि दिल्ली सरकार का ये फ़ैसला सुप्रीम कोर्ट की तरफ़ से महाराष्ट्र में रैपिडो सर्विस पर प्रतिबंध लगाने के बाद आया है। दरअसल मोटर वीकल एक्ट 1988 के तहत टू व्हीलर्स को टैक्सी नहीं माना जाता और इसे लेकर एक अलग ही पेंच हैं।

दिल्ली सरकार के इस ऐलान और क़ानूनी बंदिश से अलग ओला, उबर और रैपिडो की बाइक टैक्सी के बंद होने पर आम लोगों पर इसका क्या असर पड़ेगा ये भी जानने की कोशिश की गई।

इस दौरान JNU, DU और जामिया में पढ़ने वाले छात्रों के अलावा यहां नौकरी करने वाले कुछ लोगों से भी बात की गई।

क्या है लोगों की राय?

JNU के एक छात्र के मुताबिक़ ''एक छात्र के तौर पर मुझे काफी दिक्कत का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि मैं इसे(रैपिडो) अक्सर इस्तेमाल करता था, और इससे मुझे बहुत सहूलियत होती थी, हर जगह दिल्ली ट्रांसपोटेशन की बसें उपलब्ध नहीं है, जबकि बाइक हर जगह जा सकती है, रैपि़डो की बाइक टैक्सी बंद होने पर मुझे परेशानी उठानी पड़ेगी''। वो आगे कहते हैं कि ''इकॉनोमिकली भी देखे तो सेम प्लेस पर जाने के लिए ऑटो या कैब के मुकाबले बाइक का किराया कम होता था, मैंने देखा है कि दोनों के किराए की तुलना करें तो एक ही जगह के दोनों के किराए में ख़ासा अंतर दिखता है और एक छात्र के तौर पर मेरे लिए ये बड़ा अंतर है।"

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वहीं एक और छात्र का कहना है कि ''रैपिडो की बाइक टैक्सी बंद का असर तो पड़ेगा ही क्योंकि जितना किराया बस का होता है क़रीब-क़रीब उतना ही रैपिडो की बाइक का भी पड़ जाता है तो हम ज़्यादातर रैपिडो से जाना ही पसंद करते हैं''।

वहीं दिल्ली और अब गुड़गांव में काम करने वाली एक लड़की ने कहा कि '' मेरे लिए ये एक ट्रांसपोर्टेशन ऑप्शन के कम होने जैसा है, क्योंकि कई बार ऐसी लोकेशन होती हैं जहां तक बस नहीं जाती इसलिए मैं रैपिडो का इस्तेमाल करती हूं''। 

हालांकि बहुत से लोगों से बात करने पर ये पता चला कि लड़कों/पुरुषों के मुक़ाबले लड़कियां/महिलाएं बाइक टैक्सी सर्विस का इस्तेमाल कम करती हैं। जिसकी सबसे बड़ी वजह ( या परेशानी ) ये है कि महिलाओं की सुरक्षा का सवाल है। (हालांकि ऐप बेस्ड बाइक को ट्रैक किया जा सकता है)

दिल्ली सरकार की तरफ़ से भले ही नोटिस जारी हो गया है लेकिन अब भी हमने ऐप बेस्ड बाइक सर्विस बुक करके देखी जो कि हो रही थी। 

बहरहाल, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि दिल्ली सरकार के इस फ़ैसले का असर दिल्ली वालों पर पड़ेगा, इसके साथ ही ऐप बेस्ड बाइक सर्विस से जुड़े ड्राइवर्स की नौकरी ख़त्म होने पर उनके सामने भी रोज़गार का मसला खड़ा हो जाएगा।

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