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प्रतिबंधित होने के बावजूद एक्सॉनमोबिल का जलवायु विज्ञान को ख़ारिज करने वालों को फंड देना जारी

अमेरिकी तेल और गैस की प्रमुख कंपनी एक्सॉनमोबिल ने जलवायु विज्ञान को लेकर संदेह पैदा करने के लिए 39 मिलियन डॉलर से ज़्यादा ख़र्च किए हैं।
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फ़ोटो: साभार:नेशनऑफ़चेंज डॉट ऑर्ग

जून के आख़िर में सार्वजनिक की गयी एक गुप्त वीडियो रिकॉर्डिंग में एक्सॉनमोबिल के एक शीर्ष स्तर के पैरोकार कीथ मैककॉय, जिसे जल्द ही बाद में निकाल दिया गया था, ने न सिर्फ़ यह स्वीकार किया था कि कार्बन टैक्स को लेकर इस तेल दिग्गज कंपनी का समर्थन न सिर्फ़ एक दिखावा है, बल्कि उसने यह भी स्वीकार किया कि कंपनी ने सरकार की कार्रवाई को रोकने और अपने मुनाफ़े को अधिकतम करने के लिए जलवायु विज्ञान को खारिज करने वाले समूहों को चुपचाप वित्तपोषित किया है। यह एक हक़ीक़त है कि मेरा संगठन यूनियन ऑफ़ कनसर्न्ड साइंटिस्ट्स और अन्य संगठनों ने एक दशक से भी ज़्यादा समय पहले इस सिलसिले में ख़ुलासा कर दिया था।

उस समय के एक्सॉनमोबिल के संघीय सम्बन्धों के वरिष्ठ निदेशक मैककॉय ने किसी साक्षात्कार के दौरान कहा था, "क्या हमने विज्ञान के ख़िलाफ़ कुछ आक्रामक लड़ाई लड़ी? हां। क्या हम कुछ शुरुआती कोशिशों के ख़िलाफ़ काम करने को लेकर इनमें से कुछ 'छाया समूहों' में शामिल हुए थे? हां यह सच है। लेकिन, इसमें कुछ भी अवैध नहीं है। हम अपने निवेश की तलाश में थे। हम अपने शेयरधारकों की तलाश कर रहे थे।"

कही जा रही उन तमाम खरी-खरी बातों में मैककॉय की कम से कम एक बात तो ग़लत लगी। एक्सॉनमोबिल ने दूसरे शब्दों में "हाथ मिला लिया", यानी कार्बन उत्सर्जन पर अंकुश लगाने के शुरुआती सरकारी प्रयासों को कुंद करने के लिहाज़ से झूठी ख़बर फैलाने के लिए इनकार करने वाले समूहों को भुगतान किया। लेकिन, मैककॉय ने अपनी स्वीकारोक्ति में भूतकाल का ग़लत इस्तेमाल किया था। सचाई यही है कि यह कंपनी उन्हें फ़ंडिंग करना आज भी जारी रखे हुई है।

वह वीडियो टेप साक्षात्कार तब मैककॉय के बॉस, एक्सॉनमोबिल के सीईओ डैरेन वुड्स के लिए कुछ बड़ी नाराज़गी का कारण बन गया, जब ख़ासकर हाउस कमेटी ऑन ओवरसाइट एंड रिफॉर्म ने वुड्स के साथ-साथ अमेरिकन पेट्रोलियम इंस्टीट्यूट, बीपी अमेरिका, शेवरॉन, शेल ऑयल और यूएस चैंबर के शीर्ष अधिकारियों को वाणिज्य विभाग ने 28 अक्टूबर को "ग्लोबल वार्मिंग पैदा करने में जीवाश्म ईंधन की भूमिका को लेकर झूठी ख़बर फैलाने वाले लंबे समय से चल रहे उद्योग-व्यापी अभियान" पर एक सुनवाई में गवाही के लिए बुला लिया।

एक्सॉनमोबिल उस अभियान के केंद्र में रहा है। ऐसा लगता है कि 1998 के बाद से कंपनी ने मुक्त रूप से स्वतंत्र थिंक टैंक और इसका वकालत करने वाले समूहों के एक नेटवर्क को 39 मिलियन डॉलर से ज़्यादा का भुगतान किया है, ताकि जलवायु विज्ञान और सरकार की गतिरोध के बारे में संदेह पैदा किया जा सके। कोयला, तेल और गैस समूह कोच इंडस्ट्रीज के मालिक चार्ल्स कोच और उनके दिवंगत भाई डेविड भी इस सिलसिले में ज़्यादा ख़र्च करने के लिए जाने जाते हैं।

2020 में सामने आयी एक्सॉनमोबिल की सबसे हालिया कॉर्पोरेट अनुदान रिपोर्ट के मुताबिक़, इस कंपनी ने अनुदान पाने वाले तीन संस्थनों पर 490, 000 डॉलर ख़र्च किए।इन संस्थानों में हैं- अमेरिकी उद्यम संस्थान (100, 000 डॉलर), जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय में नियामक अध्ययन केंद्र (140, 000 डॉलर), और यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स ( 250, 000 डॉलर)। जैसा कि बताया जाता है कि यह राशि उस 790, 000 डॉलर की राशि से कम है, जिसे कंपनी ने 2019 में जलवायु विज्ञान को खारिज करने वाले नौ समूहों पर ख़र्च की थी और जो राशि उसने अतीत में खर्च की थी, उसका यह एक छोटा सा अंश है, लेकिन, यह भी एक चाल है।

सच है कि कंपनी को 2020 में 22 बिलियन डॉलर से ज़्यादा का नुकसान हुआ था और उसने अपने अनुदान में एकमुश्त कटौती की थी। लेकिन, इस गिरावट की एक दूसरी वजह यह थी कि एक्सॉनमोबिल ने अनुदान की रिपोर्ट करने के तरीक़े को बदल दिया था। जैसा कि पहले सैलून की रिपोर्ट में बताया गया था कि कंपनी ने अपनी 2020 की वार्षिक रिपोर्ट में महज़100, 000 डॉलर या उससे ज़्यादा के अनुदान को ही सूचीबद्ध किया था। पिछले सालों में इसमें 5, 000 डॉलर या उससे ज़्यादा के अनुदान शामिल थे। यह बदलाव पारदर्शिता को कम कर देता है और अंततः इसका मतलब यही है कि यह बताने का कोई तरीक़ा नहीं है कि कंपनी ने 2020 में जलवायु दुष्प्रचार का समर्थन करने के लिए कितने छोटे-छोटे अनुदानों को ख़र्च किया था या फिर इसका भी कोई तरीक़ा नहीं है कि पिछले सालों के साथ 2020 में किये गये अनुदानों की तुलना कैसे की जाये।

2020 की ग्रांटमेकिंग रिपोर्ट में खारिज करने वाले इन्हीं तीन समूहों का ज़िक़्र है, जिन्होंने 2019 में एक्सॉनमोबिल से 100, 000 डॉलर या इससे ज़्यादा की राशि हासिल की थी। उस साल उनका अनुदान सामूहिक रूप से 625, 000 डॉलर था। कंपनी की ओर से 2019 में वित्त पोषित खारिज करने वाले अन्य छह समूहों- सेंटर फ़ॉर अमेरिकन एंड इंटरनेशनल लॉ (5, 000 डॉलर), फ़ेडरलिस्ट सोसाइटी (10, 000 डॉलर), हूवर इंस्टीट्यूशन ( 15, 000 डॉलर), मैनहट्टन इंस्टीट्यूट ( 90, 000 डॉलर), माउंटेन स्टेट्स लीगल फ़ाउंडेशन (5, 000 डॉलर) और वाशिंगटन लीगल फ़ाउंडेशन (40, 000 डॉलर) ने सामूहिक रूप से 165, 000 डॉलर हासिल किये थे। भले ही उन अनुदानों में से किसी को अनुदान देना एक्सॉनमोबिल ने जारी रखा हो, मगर कंपनी की नई शुरुआत को देखते हुए नहीं लगता है कि 2020 की रिपोर्ट में उल्लेखित अनुदान समाप्त हो जायेंगे।

फिर भी, इस पर यह समझने के लिए एक नज़दीकी नज़र डालना ज़रूरी है कि एक्सॉनमोबिल की ख़ुद की रिपोर्ट में उल्लेखित जलवायु को लेकर झूठ फैलाने वाले बजट का बड़ा हिस्सा 2020 में कहां गया।

यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स

2014 के बाद से एक्सॉनमोबिल ने दशकों से जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई पर अड़ंगा लगाने वाले एक प्रमुख खिलाड़ी-यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स को अपने वार्षिक बकाया के शीर्ष पर होते हुए भी 5 मिलियन डॉलर से ज़्यादा दिया है। एक्सॉनमोबिल का अनुदान भोगी बनने के कुछ साल बाद चैंबर ने व्यापक रूप से खारिज की गयी रिपोर्ट का वित्तपोषण करके कुछ ऐसी अवांछित बदनामी पायी, जिसे तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रम्प ने संयुक्त राज्य अमेरिका को पेरिस जलवायु समझौते से बाहर निकालने के सिलसिले में एक प्राथमिक तर्क के रूप में पेश किया था।

हालांकि, 2019 में चैंबर ने पलटी मारते हुए अपनी वेबसाइट पर ऐलान किया था, "हमारी जलवायु बदल रही है और मनुष्य इन बदलाव में योगदान दे रहे हैं। निष्क्रियता कोई विकल्प नहीं है।” यह दावा कि सिर्फ़ मानवीय गतिविधि ही जलवायु परिवर्तन में योगदान दे रही है, यह देखते हुए सरासर ग़लत है कि जीवाश्म ईंधन को जलाना इसके पीछे का प्राथमिक कारण है, लेकिन यह कथन बहुत पहले का है और यह उस समय का है, जब एसोसिएशन ने 2009 में पर्यावरण संरक्षण एजेंसी के सामने पेश किये गये अपनी टिप्पणियों में कहा था कि "अगले 100 सालों में 3 (डिग्री सेल्सियस)की अतिरिक्त वार्मिंग भी मनुष्य के लिए फ़ायदेमंद होगी।"

उसमें कहा गया था कि चैंबर ने 24 अगस्त की प्रेस विज्ञप्ति में प्रस्तावित 3.5 ट्रिलियन डॉलर के उस सुलह बिल को रोकने के लिए "हर चंद कोशिश" करने की क़सम खायी थी, जो बिजली और परिवहन क्षेत्रों से कार्बन उत्सर्जन पर "क़ानून बनाये जाने से रोक देगा।" और जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने वाली अपनी वेबसाइट के एक खंड में चैंबर "आगे की प्रगति" को बढ़ाने के लिए "प्राकृतिक गैस के बढ़ते इस्तेमाल" का आह्वान करता है।

प्राकृतिक गैस का उपयोग बढ़ायें? ! यह जलवायु विज्ञान के उस ऊर्जा क्षेत्र को तेज़ी से कार्बन को ख़त्म करने की ज़रूरत के बारे में कहता है, जो अनिवार्य रूप से एक प्रमुख कार्बन प्रदूषण स्रोत-कोयला, यानी दूसरे शब्दों में उस मीथेन का व्यापार करता है, जो इस धरती को गर्म करने के लिहाज़ से कार्बन डाइऑक्साइड के मुक़ाबले 86 गुना ज़्यादा शक्तिशाली है। इसके अलावा, वैज्ञानिक पत्रिका एनवायर्नमेंटल रिसर्च लेटर्स में छपे दिसंबर 2019 के एक अध्ययन के मुताबिक़, पिछले एक दशक में प्राकृतिक गैस के इस्तेमाल में आयी उछाल के कारण कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन अब कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों को बंद करने से बचाये गये उत्सर्जन को पार कर गया है।

अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट

अर्थशास्त्री बेंजामिन ज़ाइकर को उस अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट (एईआई) के परिसर में मौजूद जलवायु विज्ञान को ख़ारिज करने वाला माना जा सकता है, जिसे 1998 से एक्सॉनमोबिल से 4.86 डॉलर मिलियन हासिल हुए हैं। ज़ाइकर ज़ोर देकर कहते हैं कि कार्बन टैक्स "बेअसरदार" होगा, ज़ाइकर ने पेरिस जलवायु समझौते को "बेतुकापन" बताया है और ग्लोबल वार्मिंग के कारणों और गंभीरता को लेकर होने वाली वैज्ञानिक सहमति को खारिज कर दिया है।

ज़ाइकर ने जलवायु विज्ञान के खिलाफ अपना सबसे हालिया आलोचनात्मक हमला उस नेशनल अफेयर्स के ग्रीष्म 2021 अंक में प्रकाशित किया, जो कि पहले से ही एक स्वतंत्र रूढ़िवादी नीति त्रैमासिक पत्रिका रही है, जिसे अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट (एईआई) में 2019 में इन-हाउस लाया गया था। अपने निबंध, "द केस फ़ॉर क्लाइमेट-चेंज रियलिज्म" में, उन्होंने झूठी दलील दी थी कि "उपलब्ध विज्ञान" इस धारणा का समर्थन नहीं करता है कि मानव गतिविधि "जलवायु परिवर्तन की एकलौती सबसे अहम वजह है" और "उपलब्ध डेटा" के उस आकलन को दरकिनार करते हुए कहा कि मौसम में आ रहा अप्रत्याशित बदलाव "चल रहे जलवायु संकट का प्रमाण नहीं हैं।"

जैसा कि उन्होंने अपने पिछले लेखों में ज़ाइकर ने जलवायु परिवर्तन के प्राथमिक कारणों के लिए पूरी तरह से खारिज की गयी उन परिकल्पनाओं का हवाला दिया था, जिनमें प्रशांत डेकाडल ऑसिलेशन नामक उत्तरी प्रशांत महासागर परिसंचरण पैटर्न में बदलाव शामिल है, जिसके बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि यह दीर्घकालिक वार्मिंग प्रवृत्ति पैदा करने में असमर्थ है, और तबसे "सौर गतिविधि में बदलाव" आया है, जबसे वास्तव में 1980 के दशक से सूर्य की ऊर्जा में गिरावट आयी है, जबकि औसत वैश्विक तापमान का बढ़ना जारी है।

तापमान का यह बढ़ना बदनाम हो चुके सिद्धांतों पर चलने वाला एक आकस्मिक घटना नहीं था। ज़ाइकर के अपने निबंध के पोस्ट किये जाने के दो महीने से भी कम समय के बाद 9 अगस्त को संयुक्त राष्ट्र इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) ने तक़रीबन 4, 000-पृष्ठ वाली "कोड रेड फ़ॉर ह्यूमेनिटी " नामक एक ऐतिहासिक रिपोर्ट जारी की, जिसमें चेतावनी दी गयी है कि जलवायु संकट नियंत्रण से बाहर होने के क़रीब है और मानव गतिविधि "स्पष्ट रूप से" इसके लिए दोषी है।

सवाल पैदा होता है कि आख़िर इसके पीछे ज़ाइकर का मुख्य उद्देश्य क्या है? असल में चाहे यह मसला कितना भी ख़ास क्यों न हो, इसके पीछे का मक़सद जीवाश्म ईंधन पर निरंतर निर्भरता के लिए एक स्थिति को बनाये रखना है, जिसे लेकर उन्होंने झूठा दावा किया था कि यह नवीकरणीय ऊर्जा से कम ख़र्चीला है। उनकी दलील थी कि पेरिस समझौते सहित कार्बन उत्सर्जन में कटौती के प्रस्तावों का बहुत कम वास्तविक प्रभाव होगा, और महंगी ऊर्जा की जगह "सस्ती ऊर्जा का इस्तेमाल करके ही इस मक़सद को पूरा किया जा सकता है।" असल में ब्लूमबर्ग की ओर से हाल ही में किये गये एक विश्लेषण के मुताबिक़, "अब मौजूदा कोयले या (प्राकृतिक) गैस से चलने वाले बिजली संयंत्र को चलाने के मुक़ाबले तक़रीबन आधी दुनिया में बड़े पैमाने पर नये वायु संयंत्र या सौर संयंत्र को बनाना और संचालित करना कहीं ज़्यादा सस्ता है।" सचमुच, एक वैज्ञानिक या राष्ट्रीय मामलों के सिलसिले में किसी सहकर्मी की समीक्षा वाली इस पत्रिका को लेकर कोई भी ज़ाइकर को तो भ्रमित नहीं कर पायेगा। लेकिन, वह बतौर एक ऐसे स्वतंत्र विशेषज्ञ हैं, जो एक्सॉनमोबिल के हितों के लिए काम करते हैं और यह कंपनी जलवायु विज्ञान और अक्षय ऊर्जा के व्यवाहारिक इस्तेमाल को लेकर संदेह जताना जारी रखे हुए हैं, जिससे कांग्रेस में जलवायु विज्ञान को खारिज करने वालों का बचाव किया जाता है।

जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी का रेगुलेटरी स्टडी सेंटर

जॉर्ज वॉशिंगटन (GW) यूनिवर्सिटी के अपेक्षाकृत नामालूम रेगुलेटरी स्टडी सेंटर ने एक्सॉनमोबिल से 2020 में 140, 000 डॉलर और इसी कंपनी से 2013 से 1.2 मिलियन डॉलर हासिल किये थे। निदेशक सुसान डुडले ने 2009 में प्रबंधन और बजट कार्यालय में राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के "नियामक जार" के रूप में सेवा करने के बाद इस केंद्र की स्थापना की थी और इससे पहले जॉर्ज मेसन यूनिवर्सिटी में कोच-वित्तपोषित मर्कैटस सेंटर में रेगुलेटरी स्टडी कार्यक्रम चला रही थीं। वह इस समय लंबे समय तक जलवायु विज्ञान के दुष्प्रचार समूहों के लिए विभिन्न स्तरों पर कार्य करती रही हैं, जिनमें कोच-स्थापित कैटो इंस्टीट्यूट, फ़ेडरलिस्ट सोसाइटी और यूएस चैंबर ऑफ़ कॉमर्स शामिल हैं।

रेगुलेटरी स्टडीज़ सेंटर ख़ुद को एक "उद्देश्यपूर्ण, निष्पक्ष" नीति वाली संस्था के तौर पर दिखाता है, लेकिन उपभोक्ता की वकालत करने वाले संगठन पब्लिक सिटीजन के 2019 के विश्लेषण के मुताबिक़ मर्कैटस सेंटर की तरह इसका प्राथमिक मक़सद भी सरकारी नियमों को कमज़ोर करना और ख़ारिज करना है। जीडब्ल्यू केंद्र के मुख्य हथियार उसकी रिपोर्ट और सार्वजनिक टिप्पणियां हैं, जिन्हें कांग्रेस के सामने प्रस्तुत की जाती हैं, और हालांकि इसे मुख्यधारा के समाचार मीडिया की ओर से ज़्यादा अहमियत नहीं मिलती, लेकिन कैपिटल हिल और पिछले प्रशासन में इसे अहमियत देने वाले लोग मिल गये थे। पब्लिक सिटीजन ने पाया कि ट्रम्प प्रशासन के ज़्यादतर नियामक एजेंडे में इस केंद्र की सिफारिशों की अनुगूंज थी, जिसमें "नाटकीय रूप से उस लागत को कम करना भी शामिल है, जिसे सरकार कार्बन उत्सर्जन के लिए ज़िम्मेदार ठहराती है।"

लेकिन, सवाल है कि क्या इस रेगुलेटरी स्टडी सेंटर को जलवायु विज्ञान के दुष्प्रचार समूहों के साथ जोड़ा जाना चाहिए? पब्लिक सिटीजन रिपोर्ट के साथ-साथ अनकोच माई कैंपस और जीडब्ल्यू छात्र समूहों की आलोचना के जवाब में केंद्र ने फ़रवरी में एक बयान जारी कर इस आरोप पर संदेह जताया कि यह सेंटर जलवायु विज्ञान को खारिज करता है। उस बयान में कहा गया, "निराधार दावों के उलट इस रेगुलेटरी स्डटी सेंटर में जलवायु विज्ञान पर कोई सवाल नहीं उठाया जाता है।" आगे कहा गया, “वास्तव में इस सेंटर के ज़्यादातर विद्वान पर्यावरण या ऊर्जा के मुद्दों पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते हैं। जिन लोगों ने जलवायु के मुद्दों पर लिखा है, वे आर्थिक और क़ानूनी सवालों को उठाया करते हैं, विज्ञान के सवालों को नहीं।”

यह सेंटर जलवायु विज्ञान को लेकर सीधे-सीधे संदेह जताता है या नहीं, यह एक अलग बिंदु है। अकाट्य वैज्ञानिक प्रमाणों के सामने ज़्यादतर एक्सॉनमोबिल-वित्त पोषित दुष्प्रचार समूहों ने जलवायु परिवर्तन की वास्तविकता पर अपने रुख़ को संशोधित किया है। विज्ञान को चुनौती देने के बजाय, उनका प्रयास अब अक्षय ऊर्जा को बदनाम करने, फ़ायदों की अनदेखी करते हुए एक स्वच्छ ऊर्जा अर्थव्यवस्था में संक्रमण की लागत को कम आंकने और सरकारी कार्रवाई को रोकने पर ध्यान केंद्रित करना है। यह रेगुलेटरी स्टडी सेंटर ठीक यही करता है। मसलन, हाल के सालों में इस सेंटर ने घरेलू उपकरणों और वाहनों के लिए मजबूत दक्षता मानकों का विरोध करते हुए पत्र प्रकाशित किये हैं और ऐसी सार्वजनिक टिप्पणियां दर्ज की हैं, जो नाटकीय रूप से कार्बन उत्सर्जन को कम करेंगे।

इस सेंटर ने जलवायु विज्ञान को खारिज करने वालों की भी मदद ली है। उदाहरण के लिए, 2018 के प्रस्ताव के गिर जाने में इसने जूलियन मॉरिस की उस सार्वजनिक टिप्पणी को दर्ज करने के लिए उसे टेप किया था, जिसमें ट्रम्प प्रशासन की ओर से ओबामा-युग के मानकों के प्रस्तावित रोलबैक का समर्थन, कारों और हल्के ट्रकों के लिए ईंधन अर्थव्यवस्था को बढ़ाने और पहली बार, टेलपाइप कार्बन उत्सर्जन को काफ़ी हद तक कम करने के लिए के लिए किया गया था। इंटरनेशनल पॉलिसी नेटवर्क के अध्यक्ष और संस्थापक और रीजन फ़ाउंडेशन में अनुसंधान के उपाध्यक्ष मॉरिस ने मार्च 2018 में प्रकाशित एक पेपर में ग़लत तरीक़े से घोषित किया कि "जलवायु परिवर्तन के प्रभाव अज्ञात हैं- लेकिन इसका फ़ायदा निकट भविष्य के लिए लागत से कहीं ज़्यादा हो सकता है।" ग़ौरतलब है कि ऊपर बताये गये दोनों ही संगठन उदारवाद के समर्थक और जलवायु विज्ञान को खारिज करने वाले संगठन हैं।

इस दुष्प्रचार के पीछे चंद नहीं, लाखों हैं

एक्सॉनमोबिल ने 2020 में एईआई, जीडब्ल्यू रेगुलेटरी स्टडीज सेंटर और यूएस चैंबर ऑफ़ कॉमर्स को जो पैसे अनुदान में दिये गये थे, वे पैसे जनता की राय को प्रभावित करने और सरकारी जलवायु कार्रवाई को कुंद करने के लिए कंपनी के हालिया परिव्यय का केवल एक छोटे से प्रतिशत को ही दिखाता है। कंपनी के सभी सम्बन्धित खर्चों का दस्तावेजीकरण करना तो मुश्किल है, लेकिन इनमें शामिल हैं:

फ़ेसबुक के यूएस प्लेटफ़ॉर्म पर 25, 000 से ज़्यादा विज्ञापनों की समीक्षा करने वाले थिंक टैंक इन्फ्लुएंस मैप के एक विश्लेषण के मुताबिक़, 2020 में फ़ेसबुक विज्ञापनों पर 5 मिलियन डॉलर से ज़्यादा ख़र्च किया गया, जो कि अमेरिकी तेल और गैस उद्योग की ओर से विज्ञापनों पर किये गये खर्च 9.6 मिलियन डॉलर के आधे से भी ज़्यादाहै। इन कई विज्ञापनों में प्राकृतिक गैस को "हरित" ईंधन स्रोत के रूप में दिखाया गया और दलील यह दी गयी कि कार्बन उत्सर्जन में कटौती से ऊर्जा लागत बढ़ जायेगी।

अमेरिकी पेट्रोलियम संस्थान (API) को वार्षिक बकाया में अनुमानित 10 मिलियन डॉलरकी राशि है (हाल ही में शेल ऑयल ने जितना भुगतान किया है, इसके आधार पर)। अमेरिकी तेल और गैस उद्योग का सबसे पुराना और सबसे बड़ा व्यापार संघ, एपीआई है, जो सख़्त मीथेन उत्सर्जन मानकों को अवरुद्ध करने के लिए दिन-रात काम कर रहा है। मैककॉय ने गोपनीय रूप से टेप किये गये उस साक्षात्कार के दौरान अप्रत्यक्ष रूप से एपीआई का संदर्भ दिया थी, जब उन्होंने कहा था कि एक्सॉनमोबिल कांग्रेस में अपने हितों का सार्वजनिक रूप से प्रतिनिधित्व करने के लिए तीसरे पक्ष पर निर्भर है। उन्होंने कहा था, "हम नहीं चाहते कि उन बातों के लिए और ख़ास तौर पर किसी सुनवाई में वहां हम हों। हमारे संघ अंदर घुसने और उन बातीच को करने और उन कठिन सवालों के जवाब देने और बेहतर कार्यकाल की कमी को लेकर कांग्रेस के इन सदस्यों में से कुछ के मत्थे दोष मढ़ने को लेकर आगे बढ़ रहे हैं।"

इन व्यापार संघों के वार्षिक बकाया में कम से कम 100, 000 डॉलर (2019 में किये गये ख़र्च की रिपोर्ट के आधार पर) की राशि है, जिनका जलवायु विघटन का एक लंबा ट्रैक रिकॉर्ड है और इनमें नेशनल एसोसिएशन ऑफ़ मैन्युफैक्चरर्स और यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स सहित कई व्यापार संघ है।

2018 और 2020 के चुनाव चक्रों के दौरान तक़रीबन 834, 000 डॉलर ख़र्च किये गये थे। इस समय जलवायु विज्ञान को खारिज करने वाले 139 में से 118 कांग्रेस में हैं। उसी दरम्यान इस कंपनी ने कथित तौर पर वाशिंगटन में लॉबी के लिए तक़रीबन 41 मिलियन डॉलर ख़र्च किए, लेकिन त्रैमासिक लॉबिंग रिपोर्ट के मुताबिक़, न तो मैककॉय और न ही एक्सॉनमोबिल के अन्य इन-हाउस पैरोकारों ने 2018 से विधायकों के साथ इस कंपनी की सर्वोच्च प्राथमिकता वाले कार्बन टैक्स के विषय पर कोई चर्चा की है।

इसलिए, जहां एक तरफ़ एक्सॉनमोबिल के सीईओ डैरेन वुड्स और उनके सहयोगियों ने ऐलान किया कि वे जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न ख़तरे को पूरी तरह समझते हैं और "समाधान का हिस्सा बनने के लिए प्रतिबद्ध हैं", वहीं दूसरी तरफ़ सबूत बताते हैं कि वे इस मुद्दे पर कांग्रेस में गतिरोध को बढ़ावा देने के लिए हर साल लाखों डॉलर ख़र्च करना जारी रखे हुए हैं। जैसा कि हम जानते हैं, इस धरती का भविष्य अधर में लटका हुआ है, लेकिन जैसा कि मैककॉय ने अपने साक्षात्कार में स्वीकार किया था कि एक्सॉनमोबिल अपने निवेश और अपने शेयरधारकों के अल्पकालिक हितों की तलाश में है, चाहे इस क़दम का दीर्घकालिक नतीजा कुछ भी क्यों न हों।

इलियट नेगिन वाशिंगटन, डीसी स्थित यूनियन ऑफ़ कनसर्न्ड साइंटिस्ट्स में एक वरिष्ठ लेखक हैं।

 स्रोत: इंडिपेंडेंट मीडिया इंस्टिट्यूट

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Despite Cutbacks, ExxonMobil Continues to Fund Climate Science Denial

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