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गुजरात में डॉक्टरों की हड़ताल जारी, सरकार पर बदले की भावना से बिजली-पानी कनेक्शन काटने का आरोप!

डॉक्टरों के शीर्ष निकाय आईएमए ने हड़ताली जूनियर डॉक्टरों को पूरा समर्थन दिया है और राज्य सरकार से इस मुद्दे को जल्द से जल्द हल करने का अनुरोध किया है।
गुजरात में डॉक्टरों की हड़ताल जारी, सरकार पर बदले की भावना से बिजली-पानी कनेक्शन काटने का आरोप!
Image Courtesy: PTI

गुजरात में विभिन्न मांगों को लेकर रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल जारी है, बृहस्पतिवार के दिन इस हड़ताल को नौंवा दिन है। हालांकि चिकित्सकों ने अब आपातकालीन सेवाओं में हिस्सा लेने का फैसला किया है, डॉक्टरों की इस हड़ताल को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) का समर्थन भी मिला है।

डॉक्टरों ने अपना रुख नरम करते हुए आपातकालीन, आईसीयू और कोविड-19 सेवाओं को फिर से शुरू करने का फैसला किया है, लेकिन यह स्पष्ट कर दिया कि उन्होंने हड़ताल वापस नहीं ली है।

भारत के एलोपैथी डॉक्टरों के शीर्ष निकाय आईएमए के गुजरात चैप्टर ने कहा है कि दिल्ली में इसके मुख्यालय ने हड़ताली जूनियर डॉक्टरों को पूरा समर्थन दिया है और राज्य सरकार से इस मुद्दे को जल्द से जल्द हल करने का अनुरोध किया है।

वहीं गुजरात के जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन को एक संदेश में आईएमए प्रधान कार्यालय ने कहा है कि वह जेडीए की जायज मांगों को पूरा समर्थन देता है, आईएमए ने गुजरात सरकार से आंदोलनकारी चिकित्सकों की मांगों पर विचार करने का आग्रह किया है।

आईएमए के मानद महासचिव डॉ. जयेश लेले ने कहा, ‘हमें यह भी सूचित किया गया है कि रेजिडेंट डॉक्टरों को अब अपने छात्रावास खाली करने के लिए कहा जा रहा है, जो अस्वीकार्य है, रेजिडेंट डॉक्टरों के खिलाफ ऐसा व्यवहार आहत करने वाला है। हम गुजरात सरकार से उनकी मांगों पर विचार करने और आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध करते हैं’।

आपको बता दें कि गुजरात में करीब दो हजार रेजिडेंट डॉक्टर, अनुबंध सेवा समय अवधि के मुद्दे और सातवें वेतन आयोग के मुताबिक वेतन की मांग करते हुए चार अगस्त की शाम से ही हड़ताल पर चले गए हैं। इनमें से अधिकतर ने हाल ही में परास्नातक पाठ्यक्रम को पूरा किया है।

ये डॉक्टर अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, राजकोट, भावनगर और जामनगर में सरकारी मेडिकल कॉलेज के हैं।

गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल इस हड़ताल को ‘‘अवैध’’ करार दे चुके हैं। उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर चिकित्सक काम पर नहीं लौटे तो उन पर महामारी रोग कानून लगाया जाएगा।

राजकोट में एक प्रदर्शनकारी डॉक्टर ने बताया, ‘‘कुछ दिन पहले जब हम गांधीनगर में शीर्ष अधिकारियों से मिलने गए तो हमसे कहा गया कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान काम का सबूत दिखाइए। सरकार द्वारा दिया गया यह ‘कोविड योद्धा’ प्रमाण पत्र इस बात का सबसे बड़ा सबूत है कि हमने अपने बारे में सोचे बगैर रोगियों के लिए दिन-रात काम किया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अधिकारियों ने प्रदर्शनकारी चिकित्सकों से कहा है कि छात्रावास खाली करें। पानी एवं बिजली के कनेक्शन भी काट दिए गए हैं, महिला चिकित्सकों को बाहर रात बिताने के लिए मजबूर किया गया, यह अपमान है। इसलिए कई चिकित्सकों ने ‘कोविड योद्धा’ का प्रमाण पत्र लौटाने का निर्णय किया है।’’

आपको बता दें कि गुजरात में, मेडिकल के छात्रों के सरकारी कॉलेजों को एक बांड पर हस्ताक्षर करने की आवश्यकता होती है, जिसके मुताबिक पढ़ाई पूरी करने के बाद एक वर्ष के लिए उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा देना अनिवार्य है। हाल ही में, राज्य सरकार ने बांड के अनुसार डॉक्टरों को ड्यूटी ऑर्डर जारी किए हैं। गौरतलब है कि डॉक्टर 40 लाख रुपये देकर बांड तोड़ सकते हैं।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

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