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मिस्र की अदालत ने जेल में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को "आतंकवादी" घोषित किया

मिस्र के विदेश मंत्रालय ने "हस्तक्षेप" बताते हुए मानव अधिकार कार्यकर्ताओं के निरंतर उत्पीड़न की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा को पुरज़ोर तरीक़े से ख़ारिज कर दिया।
मिस्र

सोमवार 23 नवंबर को मिस्र की राजधानी काहिरा में एक आपराधिक अदालत ने कई प्रमुख, प्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ता, नेता, वकील सहित क़रीब 28मिस्र के नागरिकों को आतंकवादी घोषित किया। इनमें से कुछ लंबे समय से जेल में बंद वामपंथी कार्यकर्ता आला अब्देल फत्ताह, पूर्व राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार,अब्देलमोनिम अबुल फतौह, विपक्षी मिस्र-अल-कविया(ईजिप्ट स्ट्रॉन्ग) राजनीतिक पार्टी के उप-प्रमुख मुहम्मद अल-कसास और मुस्लिम ब्रदरहुड सदस्य और पूर्वसांसद अहमद अबू बाराका शामिल हैं।

इनके नाम सरकार की आतंकी सूची में शामिल होने और देश में आतंकवादी संस्थाओं के रूप में प्रतिबंधित किए जाने के कारण कुछ कड़े प्रतिबंध और नतीजे सामने आए हैं। आतंकवादी बताए गए व्यक्ति को वित्तीय संपत्तियों और बैंक खातों को बंद करना पड़ सकता है,उनके पासपोर्ट ज़ब्त हो सकते है और / या रद्द होसकते है, यात्रा प्रतिबंध लगाया जा सकता है, ये प्रतिबंध आतंकवादी बताए जाने की तारीख से अगले पांच साल तक जारी रहेंगे।

इस बीच मिस्र के प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ता औरईआईपीआर (इजिप्टियन इनिशिएटिव फॉर पर्सनल राइट्स) के कार्यकारी निदेशक गस्सेर अब्देल-रज़ेक जिन्हें देश में मानवाधिकार की स्थिति पर चर्चा करने के लिए पश्चिमी राजनयिकों के साथ वार्षिक व रूटीन मीटिंग के बाद पिछले सप्ताह सुरक्षा एजेंसियों द्वाराउनके दो सहयोगियों के साथ गिरफ्तार किया गया था।उनके वकील और ईआईपीआर के संस्थापक अध्यक्ष ने सोमवार 23 नवंबर को ये कहा। देश में मानवाधिकार की स्थिति बेहद अपमानजनक और बर्बर है।

पत्रकारों से बात करते हुए ईआईपीआर के संस्थापक होसाम बहगट ने मिस्र के अधिकारियों पर रज़ेक सेजबरन "अमानवीय और अपमानजनक व्यवहार" करनेका आरोप लगाया जिससे उनका मनोवैज्ञानिक और शारीरिक नुकसान हुआ।

रज़ेक पर झूठी खबरें फैलाने, आतंकवादी समूह में शामिल होने और सार्वजनिक सुरक्षा को नज़रअंदाज़करने जैसे आपराधिक आरोप लगाए गए हैं। जिन दो अन्य ईआईपीआर कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया था उन पर भी इसी तरह के आपराधिक आरोप लगाए गए हैं।

सरकारी अधिकारियों द्वारा इन गिरफ्तारियों के माध्यम से ईआईपीआर को निशाना बनाने को लेकर इजिप्ट के भीतर अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से भारी नाराज़गी का सामना करना पड़ा साथ ही मानवाधिकार संगठनों,राजनयिकों और नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना की।

राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सिसी के नेतृत्व में मिस्र की सरकार न केवल अपने स्वयं के नागरिकों को सताने में असंयमित और ज्यों की त्यों बनी हुई है बल्कि वह खुद के लिए एक ख़तरा भी मानती है। ऐसे में लगता है किमानवाधिकार कार्यकर्ताओं, राजनीतिक क़ैदियों, वकीलों,पत्रकारों, विपक्षी लोगों और अन्य लोगों को दंडित करके और चुप करने के नए तरीकों को ढूंढ निकाल कर जारी उत्पीड़न के स्तर को बढ़ा दिया है। जेल में इन लोगों की संख्या क़रीब 60,000 है।

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