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मिस्र की संसद ने यौन अपराधों से महिलाओं की पहचान की रक्षा के लिए क़ानून पारित किया

देश भर में महिलाओं द्वारा अपने अधिकारों और सुरक्षा के लिए चलाए गए एक बड़े अभियान के बाद ये क़ानून पारित किया गया था।
मिस्र

मिस्र की संसद ने रविवार 17 अगस्त को यौन उत्पीड़न, यौन हमला और बलात्कार के मामलों में महिलाओं और लड़कियों को स्वत: अधिकार प्रदान करने वाला एक क़ानून पारित किया। इस विधेयक को पहली बार जुलाई की शुरुआत में कैबिनेट द्वारा मंज़ूर किया गया था और फिर मंज़ूरी के लिए संसद में प्रस्तुत किया गया था। ये नया क़ानून महिलाओं और लड़कियों की पहचान की रक्षा करने वाला क़ानून है जो यौन अपराधों की रिपोर्ट करने के लिए महिलाओं और लड़कियों को प्रोत्साहित करने की उम्मीद के साथ साथ अधिकारियों के पास यौन हिंसा के मामलों की रिपोर्ट करने के लिए आगे आती हैं।

ये नया क़ानून ऐसे समय में आया है जब देश में धनी परिवार के यूनिवर्सिटी के छात्र दावारा कई महिलाओं के बलात्कार और धोखाधड़ी करने के हाइप्रोफाइल मामले पर काफी बहस हो रही है और महीनों से हंगामा चल रहा है। इसको लेकर बहस सोशल मीडिया पर भी जारी है। आरोपी को गिरफ़्तार कर लिया गया है और जांच जारी है। इस मामले को लेकर व्यापक निंदा की गई और अधिकारियों के प्रति लोगों का गुस्सा भड़क गया और आलोचना की गई और साथ ही देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए अक्षम और अपर्याप्त क़ानूनों की कमी को लेकर बहस चली। कई लोगों ने इसे मिस्र के #MeToo आंदोलन के रूप में बताया है।

मिस्र की सैकड़ों महिलाएं और लड़कियां जो खुद बलात्कार और यौन हमले की शिकार थीं उन्होंने अपने साथ हुई घटनाओं को सोशल मीडिया पर साझा करने लगीं। बलात्कार के आरोपी विश्वविद्यालय के धनी छात्रों के समाचार सामने आने के बाद महिलाओं के खिलाफ हिंसा की 400 से अधिक शिकायतें राष्ट्रीय महिला परिषद ने भी प्राप्त कीं।

यह मुद्दा तब और भी गंभीर और चिंताजनक हो गया जब पिछले महीने एक सोशल मीडिया साइट पर कथित सामूहिक बलात्कार का वीडियो सामने आया। चौंकाने वाले इस मामले में मिस्र के काफी धनी और शक्तिशाली परिवारों के छह पुरुषों के शामिल होने की बात सामने आई है।

मिस्र के सांसद घाडा घरीब ने इस नए क़ानून का स्वागत करते हुए कहा कि यह "महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित करने वाले नियमों को जारी करने की एक लंबी सड़क में एक क़दम था।" सरकार ने पाया था कि महिलाओं के यौन हमले के मामलों की रिपोर्ट करने में सक्षम होने के बावजूद उनमें तेज़ी से गिरावट आई थी क्योंकि उन्हें सामाजिक कलंक का डर था।” उन्होंने कहा कि उन्हें नए क़ानून के पारित होने के बाद आने वाले हफ्तों और महीनों में यौन हिंसा और बलात्कार की रिपोर्ट में काफी वृद्धि होने की उम्मीद है।

चार साल पहले 2013 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा लिए गए साक्षात्कारों से पता चला कि मिस्र में 99% महिलाओं ने यौन उत्पीड़न का शिकार होने के बारे में जानकारी दी थी।

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