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बिजली कर्मचारियों ने किया चार दिवसीय सत्याग्रह शुरू

मंगलवार के सत्याग्रह में यूपी, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, चंडीगढ़ और दिल्ली के कर्मचारियों और इंजीनियरों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
बिजली कर्मचारियों ने किया चार दिवसीय सत्याग्रह शुरू

बिजली कर्मचारी संसद के चालू मानसून सत्र में बिजली (संशोधन) विधेयक 2021 पारित करने की केंद्र सरकार की एकतरफा घोषणा के खिलाफ अपना आंदोलन कर रहे हैं। आज यानी मंगलवार को विद्युत कर्मचारियों एवं इंजीनियरों की राष्ट्रीय समन्वय समिति (एनसीसीओईईई) के आह्वान पर सैकड़ों विद्युत कर्मचारियों एवं इंजीनियरों ने जंतर मंतर के नज़दीक चार दिवसीय सत्याग्रह शुरू कर दिया है।

ये प्रदर्शन जंतर-मंतर पर होने वाला था परन्तु जंतर-मंतर पर किसान संसद चलने के कारण पुलिस ने पूरा इलाका सील कर रखा है। वहां बिना पुलिस की मंजूरी किसी को नहीं जाने दिया जा रहा है। इसलिए ये चार दिवसीय प्रदर्शन जंतर- मंतर के पास डीएलएफ सेंटर, जंतर-मंतर टिकट घर के सामने संसद मार्ग पर किया जा रहा है। आज यानी मंगलवार के सत्याग्रह में यूपी, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, चंडीगढ़ और दिल्ली के कर्मचारियों और इंजीनियरों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।

शैलेंद्र दुबे, अध्यक्ष, ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ), प्रशांत नंदी चौधरी, महासचिव, इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (ईईएफआई), आरके त्रिवेदी, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स (एआईएफओपीडीई) के अध्यक्ष और अभिमन्यु धनकड़ महासचिव), मोहन शर्मा, महासचिव, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लॉइज (एआईएफईई), के अशोक राव संरक्षक एआईपीईएफ, कुलदीप कुमार, महासचिव, इंडियन नेशनल इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन (आईएनईडब्ल्यूएफ), आरके शर्मा, ऑल इंडिया पावरमेन फेडरेशन (एआईपीएफ) सुभाष लांबा, ईईएफआई और कई अन्य कर्मचारियों और इंजीनियरों के पदाधिकारियों ने प्रदर्शन को संबोधित किया।

‘नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लाइज एंड इंजीनियर्स’ (एनसीसीओईई) के संयोजक प्रशांत नंदी चौधरी ने यह बताया कि उत्तरी क्षेत्र के राज्यों के सैकड़ों बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने मंगलवार को जंतर-मंतर के पास बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन में भाग लिया। उन्होंने कहा कि 6 अगस्त तक चार दिनों तक विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। पूर्वी और पूर्वोत्तर के बिजली कर्मचारी 4 अगस्त को, पश्चिमी क्षेत्र के बिजली कर्मचारी 5 अगस्त को और दक्षिणी क्षेत्र के बिजली कर्मचारी 6 अगस्त को इस सत्याग्रह में भाग लेंगे।

उन्होंने कहा कि देशभर में बिजली कर्मचारियों और इंजीनियर्स बिजली (संशोधन) विधेयक को जल्दबाजी में संसद से पारित करानेके केन्द्रीय सरकार के एकतरफा दृष्टिकोण के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिजली (संशोधन) विधेयक 2021 के कई प्रावधान जनविरोधी और कर्मचारी विरोधी हैं और यदि इसे लागू किया जाता है तो इसके दूरगामी दुष्परिणाम होंगे।

एआईपीईएफ के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे,ने मांग की कि विधेयक को जल्दबाजी में पारित नहीं किया जाना चाहिए और इसके बजाय इसे संसद की ऊर्जा संबंधी स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्य हितधारकों, बिजली उपभोक्ताओं और बिजली कर्मचारियों को संसद में रखने से पहले अपनी बात रखने का अवसर दिया जाना चाहिए।

दुबे ने आगे कहा कि विद्युत अधिनियम 2003 ने लाइसेंसिंग के माध्यम से उत्पादन के निजीकरण की अनुमति दी और अब प्रस्तावित विधेयक इसके लाइसेंस के माध्यम से बिजली वितरण के निजीकरण का रास्ता तैयार करेगा। निजी बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं को बिजली की आपूर्ति से मुनाफ़ा कमाने की सोचेंगे और वो केवल उच्च राजस्व अर्जित करने वाले औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को बिजली की आपूर्ति करना पसंद करेंगी। जो राज्य की डिस्कॉम को और दिवालिया होने की ओर ले जाएगी।

उन्होंने कहा कि बिजली वितरण को लाइसेंस मुक्त करने का कदम नागरिकों को कुशल और लागत प्रभावी बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने का कोई तरीका नहीं है। जब तक सुधार को जमीनी हकीकत को ध्यान में रखते हुए ईमानदारी से हल तैयार नहीं किया जाता है, तब तक 'उपभोक्ताओं की पसंद' का सुविचारित उद्देश्य पूरा नहीं हो सकता है।

प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि समयबद्ध तरीके से केंद्र सरकार क्रॉस-सब्सिडी को समाप्त करने और राज्य सरकारों द्वारा ऐसे उपभोक्ताओं को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) का प्रस्ताव करने का कदम किसानों और गरीब घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली तक पहुंच के अधिकार को छीन लेगा। सरकार उपभोक्ता हितों की रक्षा करने की तुलना में निजी बिजली कंपनियों की लाभप्रदता पर अधिक चिंतित है। केंद्र सरकार की ओर से एक आत्म-धार्मिक रवैया प्रदर्शित करना और संघवाद की जड़ को काटने वाले इस सुधार का दूरगामी वैधानिक परिवर्तन लाना गलत साबित होगा।

उन्होंने कहा कि दिल्ली में चार दिनों के सत्याग्रह के बाद देश भर में लगभग 15 लाख बिजली कर्मचारी और इंजीनियर 10 अगस्त 2021 को एक दिवसीय हड़ताल/कार्य बहिष्कार करेंगे। उन्होंने कहा, अगर केंद्र सरकार विधेयक को 10 अगस्त से पहले सदन में रखती है, तो फिर हड़ताल स्थगित कर दी जाएगी। और जब विधेयक संसद में पेश किया जाएगा, सभी बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों को उसी दिन हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

दूसरी तरफ किसान जो आठ महीने दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने भी अपने आंदोलन के 249वां दिन, 2 अगस्त 2021को अपनी किसान संसद में इस पर चर्चा की। सनद रहे किसान 22 जुलाई से देश की संसद के समीप जंतर-मंतर पर किसान संसद चला रहे हैं, जहाँ वो खेती किसानी और जन सरोकार पर बहस कर रहे हैं।

भारतीय संसद के समानांतर किसान संसद के 8वें दिन, विद्युत संशोधन विधेयक पर बहस और कार्यवाही जारी रही। यह संयोग से भारत सरकार द्वारा विरोध कर रहे किसानों को औपचारिक वार्ता के दौरान आश्वासन देने के बावजूद कि वह विद्युत संशोधन विधेयक को वापस ले लेगी, संसद के मानसून सत्र के कार्यावली में सूचीबद्ध है। किसान संसद द्वारा अनजाने में, इस पर एक प्रस्ताव संसद के सातवें दिन जारी किया गया था, लेकिन एक पूर्ण बहस और विचार-विमर्श पर आधारित अंतिम प्रस्ताव आज जारी किया गया है। किसान संसद ने केंद्र सरकार के किसानों को विद्युत संशोधन विधेयक पेश नहीं करने के अपने स्पष्ट वादे से पीछे हटने पर निराशा जताई और इसे तुरंत वापस लेने की मांग की। 

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