फेक्ट चेक: प्रयागराज में तबलीग़ी जमात पर टिप्पणी करने पर युवक की हत्या!

05 अप्रैल 2020 को प्रयागराज में लोटन निषाद नाम के एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई। कुछ घंटों के बाद ही ये खबर ब्रेकिंग न्यूज़ बनकर तकरीबन सभी चैनलों और मीडिया वेबसाइटों पर चलने लगी। शीर्षक दिया गया “जमात पर टिप्पणी करने पर युवक की हत्या।” हत्या का कारण जमात पर टिप्पणी बताया जा रहा है। आइये अब मीडिया के इस दावे की पड़ताल करते हैं।
आजतक, दैनिक भास्कर, जनसत्ता, दैनिक जागरण, नवभारत टाइम्स, पंजाब केसरी, राजस्थान पत्रिका, ज़ी न्यूज़,द क्विंट, एबीपी न्यूज़ आदि ज्यादातर मीडिया वेबपेज़ पर ये खबर तैरने लगी। शीर्षक था “तब्लीग़ी जमात पर टिप्पणी करने पर युवक की हत्या।” इसी तरह से इसको दीपक चौरसिया समेत कई बड़े पत्रकारों ने भी ट्विट और रिट्विट किया।
एबीपी न्यूज़ के विकास भदौरिया ने इसे ट्विट किया। जिसे भाजपा आइटी सेल के इंचार्ज़ अमीत मालवीय ने भी रिट्विट किया।
जमात के नाम से मीडिया में ये खबर बड़े पैमाने पर चलाई गई। जबकि प्रयागराज पुलिस ने साफ-साफ कहा है कि इसका जमात से कोई संबंध नहीं है।पुलिस महानिरिक्षक श्री कविंद्र सिंह प्रताप की ये वीडिये देखिये। ये वीडियो आइजीरेंज प्रयागराज के आफिशियल हैंडल से ट्विट किया गया है। घटनास्थल से अधिकारी ने बाइट दिया है। 0:36 टाइमकोड देखें उनसे सवाल पूछा जाता है कि जमात पर टिप्पणी को लेकर क्या कोई मामला संज्ञान में आया हैं? पुलिस अधिकारी जवाब देता है कि “जमात को लेकर करके नहीं है। ये स्पष्ट नहीं हो रहा है। लेकिन कोरोना को लेकर है।”
मात्र इतना ही नहीं बल्कि अमित मालवीय ने जिनका ट्विट रिट्विट किया था उनको प्रयागराज पुलिस के आफिशियल हैंडल से रिप्लाइ भी दिया गया है कि इसका जमात से कोई संबंध नहीं है।
दीपक चौरसिया के ट्विट पर भी प्रयागराज पुलिस ने रिप्लाइ किया है।
इसी प्रकार भारत समाचार को रिप्लाइ दिया है और सुदर्शन न्यूज़ को भी रिप्लाइ दिया गया है। लेकिन उसके बावजूद खबर का शीर्षक और नैरेटिव ज्यों का त्यों चलता रहा।
पुलिस के अधिकारियों और प्रयागराज पुलिस का कहना है कि इसका जमात से कोई संबंध नहीं है। प्रयागराज का पुलिस का आफिशियल बयान नीचे पढ सकते हैं।
स्पष्ट है कि जमात पर टिप्पणी की वजह से हत्या होने का जो दावा मीडिया प्रसतुत कर रहा है। प्रयागराज पुलिस ने उसका खंडन किया है।
(लेखक राज कुमार स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते रहते हैं।)
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