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एसकेएम का ऐलान : 29 नवंबर से ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर संसद पहुंचना शुरू करेंगे किसान

एसकेएम ने कहा, "शीत सत्र के दौरान 500 चयनित किसान हर दिन संसद पहुंचेंगे, ताकि वे राष्ट्रीय राजधानी में अपने विरोध प्रदर्शन के अधिकार का इस्तेमाल कर सके।"
 कृषि क़ानूनों की वापसी

नई दिल्ली: मंगलवार को एक लंबी बैठक के बाद सम्युक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने ऐलान किया है कि दिल्ली में सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर से हज़ारों किसान संसद की तरफ़ कूच करेंगे। सम्युक्त किसान मोर्चा 40 से ज़्यादा किसान संगठनों का साझा मंच है, जो तीन केंद्रीय कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहा है। इस विरोध प्रदर्शन को अब एक साल होने वाले हैं।  

26 नवंबर को प्रदर्शनों का एक साल पूरा होने के उपलक्ष्य में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान से हज़ारों किसान राष्ट्रीय राजधानी में प्रदर्शन स्थलों पर पहुंचेंगे। ताकि तीनों केंद्रीय कृषि क़ानूनों के विरोध को तेज स्वर दिया जा सके। 

एसकेएम के नेताओं ने बताया कि दूर-दराज के राज्यों में ऐतहासिक प्रदर्शनों की पहली सालगिरह राज्यों की राजधानियों में बड़ी रैलियां आयोजित कर मनाई जाएगी। 

बैठक की अध्यक्षता करने वाले सत्यवान मलिक ने कहा कि हर दिन गाजीपुर और टिकरी बॉर्डर से हर दिन 500 किसानों का जत्था संसद के बाहर प्रदर्शन करने जाएगा, अगले दिन इन किसानों के साथ 500 किसानों का एक और जत्था जुड़ता जाएगा। अगर इन्हें कहीं रोका जाएगा, तो यह किसान गिरफ़्तारी देंगे।  

नेताओं ने बताया कि किसान संगठन 10 लोगों की उनके पहचान पत्र के साथ तैनाती करेंगे, ताकि कोई भी असामाजिक तत्व जत्थों में प्रवेश ना कर पाए। ऑल इंडिया किसान फेडरेशन के सचिव प्रेम सिंह भांगु ने न्यूज़क्लिक को बताया कि किसान संगठनों की जिम्मेदारी होगी कि वे पहचान पत्र के साथ लोगों की तैनाती करें। 

उन्होंने बताया, "हमने 26 जनवरी को हुई घटना की पृष्ठभूमि में, इस बारे के प्रदर्शन के लिए तमाम नियमों को लेकर लंबी बातचीत की। हमने टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर का इसलिए चुनाव किया, क्योंकि उन्हें पुलिस ने खोल दिया है।"

एक प्रेस वक्तव्य में मोर्चा ने कहा, "दिल्ली में 29 नवंबर को संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होगा। एसकेएम ने तय किया है कि 29 नवंबर से इस सत्र के अंतिम दिन तक, 500 चयनित किसानों को हर दिन ट्रैक्टर ट्रॉली में शांतिपूर्ण ढंग से पूरे अनुशासन के साथ  संसद भेजा जाएगा, ताकि वे राष्ट्रीय राजधानी में अपने विरोध प्रदर्शन के अधिकार का इस्तेमाल कर सकें, जिससे इस अंसवेदनशील, जिद्दी, जन विरोधी और कॉरपोरेट समर्थक बीजेपी सरकार को देशभर के किसानों की मांग पूरी करने पर मजबूर किया जा सके, जिसके लिए उन्होंने पिछले एक साल से ऐतिहासिक संघर्ष छेड़ रखा है।"

ऑल इंडिया किसान सभा के अध्यक्ष अशोक धवाले ने न्यूज़क्लिक को बताया कि प्रदर्शन स्थल पर बड़ी संख्या में आने वाले किसान उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश से होंगे। हालांकि दूसरे राज्यों का भी इस प्रदर्शन को मजबूत करने में अहम योगदान होगा। 

उन्होंने कहा, "हमने तय किया है कि राज्यों की राजधानियों में बड़े प्रदर्शन किए जाएंगे। केरल में हर जिले में प्रदर्शन किया जाएगा। इसी तरह तमिलनाडु में भी प्रदर्शन होंगे। मुंबई के आजाद मैदान में 28 नवंबर को एक महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। फिर 22 नवंबर को लखनऊ में एक बेहद अहम महापंचायत होगी। हरियाणा के जींद में 16 नवंबर को मोर्चा का राज्य सम्मेलन होगा, इसके लिए हर गांव में जत्थे जाएंगे, ताकि लोगों की ज़्यादा से ज़्यादा भागीदारी सुनिश्चित की जा सके।" 

धवाले ने कहा कि 28 नवंबर को मुंबई के आज़ाद मैदान में एक बड़ी किसान-मजदूर महापंचायत होगी। यह आयोजन सम्युक्त शेतकारी कामगार मोर्चा (एसएसकेएम) के बैनर चले होगा, ऐतिहासिक किसान प्रदर्शन के एक साल पूरा होने के उपलक्ष्य में होने वाले इस प्रदर्शन में 100 से ज़्यादा संगठन हिस्सा लेंगे। 28 नवंबर को महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबाराव फुले की पुण्यतिथि भी है। 

एआईकेएस नेता ने कहा कि "महापंचायत हर मोर्चे पर भारतीय जनता पार्टी की सरकार का विरोध करेगी और कामग़ार वर्ग के तमाम ज्वलंत मुद्दों को उठाएगी, जिसमें कृषि क़ानूनों और लेबर कोड की वापसी, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर केंद्रीय क़ानून की गारंटी, पेट्रोल और खाना बनाने की गैस की कीमत आधी करने के साथ-साथ निजीकरण रोकने की मांग शामिल रहेगी।"

धवाले ने कहा कि महापंचायत अस्थि कलश यात्रा में शामिल सभी लोगों के लिए जुटाव का एक बिंदु भी रहेगी। अस्थि कलश यात्रा लखीमपुर में शहीद हुए किसानों की राख-अस्थियों को लेकर निकाली गई थी। 

"लखीमपुर खीरी शहीद कलश यात्रा, जो पुणे से 27 अक्टूबर को शुरू हुई थी और जिन्हें अब सभी राज्यों में किसान संगठनों द्वारा ले जाया जा रहा है, जिसे बड़ा जनसमर्थन भी मिल रहा है, यह सारी यात्राएं मुंबई में 27 नवंबर को आकर मिलेंगी। उस दिन शहीद कलश यात्रा शिवाजी पार्क में छत्रपति शिवाजी, चैत्य भूमि में बीआर आंबेडकर, मंत्रालय के पास महात्मा गांधी की मूर्ति और शहीद बाबू गेनू को मेमोरियल में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेगी। बाबू गेनू को स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटेन के कपड़ों का विरोद करने पर एक ब्रिटिश ट्रक द्वारा कुचल दिया गया था।    

भारतीय किसान यूनियन-टिकैत के नेता धर्मेंद्र मलिक ने न्यूज़क्लिक को बताया कि किसान संगठनों ने यह सुनिश्चित किया है कि प्रदर्शन बिना किसी हिंसा के संपन्न हों। वह कहते हैं, "मैं उस संगठन से आता हूं जिसने दिल्ली के बोट क्लब पर ऊचित मुआवज़े के अधिकार के लिए दस लाख लोगों को इकट्ठा कर दिया था। आज हम ज़्यादा जुड़े हुए हैं। तो हमारा बकाया लेने का यह संघर्ष ऐतिहासिक है।" 

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Farm Law Repeal: Farmers to Move to Parliament from November 29 on Tractors from Protest Sites

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