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ग्रेनो प्राधिकरण पर किसानों का धरना जारी, 27 जून को होगी महापंचायत

धरना स्थल पर डटे किसानों का कहना है कि ये धरना मज़बूती से चल रहा है व आगे और मजबूत होगा तथा मुद्दों के समाधान होने तक जारी रहेगा।
farmers protest
फ़ोटो साभार: ट्विटर/AIKS

उत्तरप्रदेश के ग्रेटर नोएडा (ग्रेनो) के किसान लगभग दो महीने से दिन रात धरना दे रहे हैं। अखिल भारतीय किसान सभा के नेतृत्व में ग्रेटर नोएडा के किसानों-भूमिहीनों के वर्षों से लंबित जायज मुद्दों व अधिकारों को लेकर आज गुरुवार को 59 दिन से आंदोलन जारी है। बुधवार किसानों ने संघर्ष के अगले चरण में प्रवेश करते हुए मंगलवार 27 जून को प्राधिकरण के सामने धरना स्थल पर बड़ी महापंचायत की घोषणा की।

धरने के 43 वें दिन 6 जून को किसानों ने शांतिपूर्वक घेरा डालो धरना के दौरान पुलिस द्वारा किसानों को जेल भेजने की कार्रवाई करने के बाद इसका ऐलान किया।

महापंचायत की घोषणा करते हुए किसान सभा के नेताओं ने कहा कि शासन और पुलिस प्रशासन कानून का दुरुपयोग करते हुए पिछले 15 दिन से 33 किसानों को जेल में बंद कर रखा है जो निंदनीय है। उन्होंने कहा कि इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उनका कहना है कि 27 जून की महापंचायत इसका जवाब मांगेगी। किसानों ने कहा कि क्षेत्र और देश के लोग जानना चाहते हैं कि लोकतंत्र में शांतिपूर्ण आंदोलन करने वाले किसानों-भूमिहीनों को प्रशासन कौन से कानून के तहत गांव में घर घर जाकर धमका कर झूठे मुकदमे बनाकर आतंकित कर रहा है।

धरना स्थल पर डटे किसानों का कहना है कि धरना मजबूती से चल रहा है और आगे और मजबूत होगा तथा मुद्दों का समाधान होने तक जारी रहेगा।

किसानों की मांग है कि 10 प्रतिशत विकसित आबादी प्लॉट, सर्किल रेट में लंबे समय से रुके हुए रेट रिवीजन और उसी रुके हुए रेट रिवीजन के कारण किसानों के काफी कम मुआवजा मिला है जिसकी भरपाई हो। इसके अलावा प्राधिकरण द्वारा जानबूझकर किसानों के लंबित अन्य मुद्दों जैसे साढे 17 प्रतिशत प्लॉट कोटा, आबादी के लीज बैक, 120 वर्ग मीटर का न्यूनतम प्लॉट, समझौते के अनुसार भूमिहीनों का 40 वर्ग मीटर का प्लॉट, और अन्य मुद्दे भी इस आंदोलन की बड़ी मांग है। आंदोलन में शामिल किसानों का कहना है कि यह क्षेत्र 1857 के क्रांतिकारियों का क्षेत्र है। सभी संगठन और विपक्षी पार्टियां किसानों के साथ हैं।

आपको बता दें कि इस महापड़ाव के लिए बीते 7 फरवरी को किसान सभा के नेतृत्व में अथॉरिटी के विरुद्ध आंदोलन की शुरुआत हुई थी, जिसके क्रम में 14 मार्च और 23 मार्च को आंदोलन हुआ। 23 मार्च के आंदोलन के बाद 25 अप्रैल से रात दिन के महापड़ाव की घोषणा की गई। 25 अप्रैल को डेढ़ हजार की संख्या में किसान अथॉरिटी पर धरना प्रदर्शन करने पहुंचे जिसके क्रम में सीईओ से बातचीत भी हुई लेकिन किसी भी मसले पर कोई सहमति नहीं बन सकी, लिहाजा किसानों ने घोषणा के अनुसार अपने रात दिन के महापड़ाव की शुरुआत कर दी और 2 मई के बड़े आंदोलन की घोषणा कर दी जिसमें साढ़े तीन हजार की संख्या में किसान प्राधिकरण को घेरने पहुंचे थे।

फिलहाल किसान अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हुए हैं और उन्हें विपक्षी राजनीतिक दलों का भी साथ मिलने लगा है।

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