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खाद संकट: "फार्म इनपुट सब्सिडी सीधे किसानों को हस्तांतरित किया जाए”

सरकार को लिखे खुले पत्र में कहा गया है कि, "किसानों को किसी भी प्रकार के खाद, सिंथेटिक हो या प्राकृतिक खाद, पर खर्च करने के लिए इस तरह की इनपुट सब्सिडी का इस्तेमाल करने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए।”
खाद संकट: "फार्म इनपुट सब्सिडी सीधे किसानों को हस्तांतरित किया जाए”

नई दिल्ली: मौजूदा खाद संकट के बीच कृषि क्षेत्र में काम करने वाले 30 से अधिक संगठनों और संबंधित व्यक्तियों ने सरकार को इस कमी को दूर करने के प्रस्तावों के साथ पत्र लिखा है। ये खाद संकट इस खरीफ सीजन के बाद भी जारी रहने की संभावना है।

कृषि मंत्री और कृषि व किसान कल्याण सचिवों के साथ-साथ रसायन और उर्वरक विभागों, जय किसान आंदोलन, सतत और समग्र कृषि के लिए गठबंधन और मीडिया आउटलेट ग्रामीण वॉयस डॉट इन जैसे संगठनों को लिखे खुले पत्र में ये सुझाव दिया गया है कि कृषि इनपुट सब्सिडी को सीधे काश्तकारों के खातों में जमा किया जाना चाहिए।

इस पत्र में कहा गया कि, "किसानों को किसी भी तरह के इनपुट पर खर्च करने के लिए इस तरह की इनपुट सब्सिडी का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए चाहे ये सिंथेटिक या प्राकृतिक खाद ही हो।"

इसके अलावा, इस नकद राशि को मुद्रास्फीति के अनुसार आंका जाना चाहिए और हर साल बढ़ती लागत के अनुपात में वृद्धि होनी चाहिए।

इस ओर इशारा करते हुए कि हरित क्रांति के बाद से भारत सिंथेटिक खाद का एक बड़ा उपभोक्ता रहा है क्योंकि इस अवधि के दौरान शुरू की गई संकर फसल किस्मों को अपनी घोषित पैदावार प्राप्त करने के लिए पोषण के लिए सिंथेटिक उर्वरकों की आवश्यकता होती है।

इस पत्र में कहा गया कि, "इससे मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा कम हुई है, जिससे सिंथेटिक उर्वरकों की 'उपयोग दक्षता' कम हुई है। नतीजतन, किसान समान पैदावार प्राप्त करने के लिए हर साल सिंथेटिक उर्वरक की अधिक मात्रा उपयोग कर रहे हैं। यह उपयुक्त और लाभदायक पैदावार सुनिश्चित करने के लिए सिंथेटिक उर्वरकों की आवश्यकता को बढ़ाता है।”

मौजूद खाद संकट को देखते हुए, उपलब्धता की गंभीर कमी है और इसके परिणामस्वरूप कई सिंथेटिक उर्वरकों की कीमतें काफी ज्यादा है जिसका किसान खरीफ 2022 में सामना कर रहे हैं। पिछले दो साल से सिंथेटिक उर्वरकों की कीमतों में तिगुनी बढ़ोतरी के कई कारण हैं, जिनमें प्राकृतिक गैस की कीमतों में वृद्धि, कोविड -19 पाबंदियां, रूस का यूक्रेन पर हमला आदि शामिल हैं।

इस पत्र पर हस्ताक्षरकर करने वालों का मानना है कि तत्काल कोई कदम उठाना सबसे महत्वपूर्ण है और ये कार्रवाई परिभाषित करेगी कि देश के किसान चालू वर्ष कैसे बिताएंगे।

इस पत्र में बहुरूपता का भी प्रस्ताव दिया गया है, जैसे अधिक बाजरा और दालें उगाना और चावल और गेहूं के अलावा फसलों की खरीद में वृद्धि करना।

अन्य प्रस्तावों के अलावा, इस पत्र में रिजेनेरेटिव एग्रीकल्चर की ओर अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने, जैव-उर्वरक पर जीएसटी में 5% की कमी करने का सुझाव दिया गया है।

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