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मणिपुर में जातीय हिंसा के कारण खेती प्रभावित होने से खाद्यान्न की कमी का खतरा

कम से कम 5,127 हेक्टेयर कृषि भूमि ऐसी है, जिस पर किसान खेती नहीं कर पा रहे, जिसके कारण 28 जून तक 15,437.23 टन फसल का नुक़सान पहले ही हो चुका है।
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Photo Courtesy : India Today

मणिपुर में जारी जातीय हिंसा का कृषि पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है, क्योंकि कई किसान सुरक्षा संबंधी खतरों के मद्देनजर खेती नहीं कर पा रहे और यदि हालात में सुधार नहीं हुआ तो पूर्वोत्तर राज्य में खाद्य सामग्री का उत्पादन प्रभावित होगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।

कृषि विभाग के निदेशक एन गोजेंद्रो ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि कम से कम 5,127 हेक्टेयर कृषि भूमि ऐसी है, जिस पर किसान खेती नहीं कर पा रहे, जिसके कारण 28 जून तक 15,437.23 टन फसल का नुकसान पहले ही हो चुका है।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर किसान इस मानसून में धान की रोपाई नहीं कर पाए तो जुलाई के अंत तक नुकसान बढ़ जाएगा। विभाग ने हालांकि ऐसे खाद और बीज तैयार कर लिए हैं जिनसे पैदावार एवं कटाई में कम समय लगता है और जिनके लिए पानी की भी कम आवश्यकता होती है।’’

राज्य में करीब दो से तीन लाख किसान 1.95 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि पर धान की खेती कर रहे हैं। 

अधिकारी ने बताया कि कि थौबल जिले में राज्य में प्रति हेक्टेयर सबसे अधिक उपज है। इंफाल के बाहरी इलाकों में कुछ किसान निकटवर्ती पहाड़ियों से उग्रवादियों द्वारा गोली मारे जाने के डर के बावजूद अपने खेतों में जा रहे हैं, लेकिन कई किसान ऐसे हैं, जो अपनी जान को खतरा होने के भय से खेती करने से बच रहे हैं।

बिष्णुपुर जिले के मोइदांगपोकपी क्षेत्र के एक किसान थोकचोम मिलन (40) ने कहा, ‘‘पहाड़ियों की चोटियों पर उग्रवादियों के बंकरों से किसानों पर गोलीबारी किए जाने की घटनाओं के कारण इंफाल घाटी के दायरे में आने वाले क्षेत्र में धान की खेती पर बहुत प्रतिकूल असर पड़ा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हममें से कुछ लोग मन में डर के साथ खेतों में जाते हैं लेकिन हमें खेती करनी ही होगी, अन्यथा हमें सालभर भूखे रहना पड़ेगा।’’

किसान ने कहा कि इस साल कम उत्पादन के कारण अगले साल ‘मैतेई चावल’ की कमी हो जाएगी और कीमत बढ़ जाएगी।
इसी जिले के एक अन्य किसान सबित कुमार ने कहा, ‘‘चावल की देसी किस्म की रोपाई और निराई जून और जुलाई में की जाती है, जबकि कटाई पांच महीने बाद नवंबर के अंत में की जाती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस साल बारिश की कमी ने हमारी परेशानियां और बढ़ा दी हैं। पिछले साल मई के अंत में भारी बारिश के कारण धान के खेतों में पानी भर गया था, जबकि इस साल कम बारिश हुई है। चिलचिलाती धूप से जमीन सूख जाती है, जिससे खेती करना मुश्किल हो गया है।’’

‘मैतेई चावल’ की खेती के लिए बहुत अधिक पानी की आवश्यकता होती है। 

राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने पहले कहा था कि किसानों को खेती के दौरान सुरक्षा प्रदान करने के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में राज्य के 2,000 बलों को तैनात किया गया है।

उधर मणिपुर के थौबल जिले में नाराज भीड़ ने भारतीय आरक्षित वाहिनी (आईआरबी) के एक कर्मी के मकान में आग लगा दी। पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी।

यह घटना मंगलवार रात को सामाराम में हुई। इससे पहले 700-800 लोगों की भीड़ ने चार किलोमीटर दूर वांगबल में आईआरबी के शिविर से हथियार लूटने की कोशिश की थी, जिसके परिणामस्वरूप सुरक्षा बलों के साथ हुई झड़प में 27 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। मृतक की पहचान रोनाल्डो के रूप में की गई है।

अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा बलों ने स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की और पहले आंसू गैस के गोलों एवं रबड़ की गोलियों का इस्तेमाल किया, लेकिन हथियारबंद भीड़ ने गोलीबारी शुरू कर दी जिसके बाद जवाबी कार्रवाई की गई।
उन्होंने बताया कि भीड़ ने शिविर तक आने वाली सड़कों को भी कई स्थानों पर बाधित कर दिया था, ताकि अतिरिक्त बलों को पहुंचने से रोका जा सके, लेकिन बल शिविर तक पहुंच गए।

अधिकारियों ने बताया कि भीड़ ने शिविर आ रहे असम राइफल्स के एक दल पर भी हमला किया। उन्होंने बताया कि उन्होंने असम राइफल्स के कर्मियों पर गोलीबारी की और उनके वाहन को आग लगा दी, जिसमें एक जवान घायल हो गया।
उन्होंने बताया कि जवान के पैर में गोली लगी है।

अधिकारियों ने बताया कि झड़पों में रोनाल्डो नाम के व्यक्ति की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि उसे पहले थौबल जिला अस्पताल ले जाया गया और बाद में उसकी नाजुक स्थिति को देखते हुए उसे इंफाल स्थित अस्पताल रेफर कर दिया गया, लेकिन इंफाल ले जाते समय रास्ते में ही उसकी मौत हो गई।

उन्होंने बताया कि झड़प में 10 अन्य लोग भी घायल हुए हैं, जिनमें से गंभीर रूप से घायल छह लोगों को इंफाल के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

(न्‍यूज एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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