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पड़ोसी देशों में चीन की बढ़ती उपस्थिति पर विदेश मंत्रालय का रवैया अदूरदर्शी : समिति

समिति ने सुझाव दिया कि मंत्रालय इस संबंध में एक स्पष्ट नीति अपनाए और सुनिश्चित करे कि पर्याप्त निधि आवंटन और पड़ोसी देशों में हमारी उपस्थिति और प्रभाव को मजबूत बनाने तथा इन देशों में सहायता परियोजनाओं को सर्वाधिक प्राथमिकता दी जाए।
पड़ोसी देशों में चीन की बढ़ती उपस्थिति पर विदेश मंत्रालय का रवैया अदूरदर्शी : समिति

नयी दिल्ली: संसद की एक समिति ने कहा है कि दक्षिण एशिया में भारत की सहायता एवं सहयोग कार्यक्रमों तथा ‘‘पड़ोसी प्रथम’’ नीति की सराहना करते हुए पड़ोसी देशों में चीन की बढ़ती उपस्थिति पर विदेश मंत्रालय के रवैये को ‘‘अदूरदर्शी’’ बताया है ।

लोकसभा में पेश विदेश मंत्रालय की वर्ष 2021-22 की अनुदान की मांगों संबंधी संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की दक्षिण एशिया में सहायता एवं सहयोग तथा ‘‘पड़ोस प्रथम’’ नीति के महत्व को देखते हुए समिति बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और म्यामां के लिये बढ़े हुए आवंटन का स्वागत करती है। रिपोर्ट में कहा गया कि इसके तहत बेहतर सम्पर्क, उन्नत आधारभूत अवसंरचना, क्षेत्रीय इलाकों में मजबूत सहयोग, लोगों के बीच बेहतर आपसी तालमेल आदि के क्षेत्र में सहयोग पर जोर दिया गया ।

समिति ने कहा कि फिर भी पड़ोसी देशों में चीन की तेजी से बढ़ती उपस्थिति के संबंध में मंत्रालय का उत्तर सामान्य और अप्रासंगिक है ।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘ समिति महसूस करती है कि हमारे पड़ोशी देशों में चीन की बढ़ती उपस्थिति पर मंत्रालय का रवैया अदूरदर्शी और अवास्तविक है । ’’

समिति ने सुझाव दिया कि मंत्रालय इस संबंध में एक स्पष्ट नीति अपनाए और सुनिश्चित करे कि पर्याप्त निधि आवंटन और पड़ोसी देशों में हमारी उपस्थिति और प्रभाव को मजबूत बनाने तथा इन देशों में सहायता परियोजनाओं को सर्वाधिक प्राथमिकता दी जाए । ’’

इसमें कहा गया है कि समिति पाती है कि वर्ष 2021-22 के बजट अनुमान में ‘बांग्लादेश को सहायता’ शीर्षक के तहत बजटीय आवंटन को 200 करोड़ रूपये रखा गया जो वर्ष 2020-21 में भी इतना ही था । इसके अनुसार हालांकि, वर्ष 2020-21 के संशोधित अनुमान चरण में परियोजना कार्यान्वयन की वास्तविक गति के आधार पर आवंटन को घटाकर 125 करोड़ रूपये कर दिया गया था ।

समिति ने कहा कि इस शीर्ष के तहत पिछले तीन वर्षो में परियोजना कार्यान्वयन की गति चिंताजनक है ।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की भूटान के साथ व्यापक साझीदारी है और राजस्व एवं पूंजी दोनों शीर्ष के तहत बजटीय आवंटन का प्रावधान है । इसके अनुसार वर्ष 2021-22 के बजटीय अनुमान में भूटान को सहायता के तहत 2124 करोड़ रूपये का आवंटन प्रदान किया गया है।

इसमें कहा गया है कि जलविद्युत परियोजनाओं के अलावा भारत सरकार, भूटान में परियोजना सहायता और लघु विकास परियोजनाओं को कार्यान्वित कर रही है । रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘समिति यह जानकर प्रसन्न है कि भूटान और भारत मिलकर भूटान के लिये एक छोटे उपग्रह के संयुक्त विकास के लिये काम कर रहे हैं ।’’

नेपाल के संबंध में समिति ने कहा कि उसका मानना है कि नेपाल को सहायता मद के तहत बजटीय आवंटन वर्ष 2020-21 के बजटीय अनुमान में 800 करोड़ रूपये था और 2021-22 के बजटीय अनुमान में इसमें सुधार दर्ज किया गया है और यह 992 करोड़ रूपये हो गया है।

अफगानिस्तान के संबंध में रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति इसका संज्ञान लेती है कि अफगानिस्तान को सहायता के तहत बजटीय आवंटन वर्ष 2020-21 में 400 करोड़ रूपये से वर्ष 2021-22 में 350 करोड़ रूपये हो गया है ।

समिति ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बावजूद अफगानिस्तान को बजटीय आवंटन का 76 प्रतिशत राशि का अब तक उपयोग हो चुका है ।

रिपोर्ट के अनुसार, म्यामां को सहायता के तहत बजटीय आवंटन वर्ष 2020-21 में 300 करोड़ रूपये था जो संशोधित अनुमान में 350 करोड़ रूपये कर दिया गया ।

समिति ने कहा कि म्यामां को वर्ष 2021-22 के बजटीय अनुमान में यह 400 करोड़ रूपये है जो कलादान मल्टीमॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोट परियोजना, तटीय निगरानी रडार, त्रिपक्षीय राजमार्ग आदि की स्थापना परियोजना को पूरा करने से जुड़ी है।

समिति ने कोविड-19 महामारी के कारण श्रीलंका में वर्ष 2020-21 में बजटीय आवंटन में कमी का उल्लेख किया है।

मालदीव के संबंध में संसदीय समिति ने कहा है कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान मालदीव में परियोजना कार्यान्वयन में कमी आई है ।

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