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पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कश्मीर को लेकर कुछ और खुलासे किए

हाल ही में एक साक्षात्कार में, जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल ने कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए लेकिन राजनीतिक दलों ने उन पर पूर्ववर्ती राज्य में उनके कार्यकाल के दौरान उन पर "मिलीभगत" का आरोप लगाया।
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फोटो साभार : Wikimedia commons

श्रीनगर: हाल ही में ‘द वायर’ के साथ एक साक्षात्कार में, जम्मू-कश्मीर  के पूर्व राज्यपाल, सत्य पाल मलिक ने अपने कार्यकाल के दौरान विभिन्न मुद्दों पर कई आश्चर्यजनक खुलासे किए, जैसे कि पुलवामा, भ्रष्टाचार, राज्य को एक केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) में अपग्रेड करना आदि। हालांकि उनकी टिप्पणी कश्मीर-आधारित राजनीतिक दलों के बीच अधिक रुचि जगाने में विफल रही।

साक्षात्कार में किए गए दावों में से एक में, मलिक ने कहा कि दिवंगत हुर्रियत नेता सैयद अली गिलानी ने उनके साथ बातचीत में रुचि दिखाई थी और अलगाववादी एक वरिष्ठ नेता मुजफ्फर हुसैन बेग को इसकी सूचना दी थी, जो तब पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) से जुड़े थे।

हालांकि, पीडीपी के संस्थापक सदस्यों में से एक बेग ने मलिक की आलोचना की और इस बात का खंडन किया कि तत्कालीन राज्य में विधानसभा चुनाव में भाग लेने के बाद से वह कभी गिलानी से मिले थे। 

बेग ने एक स्थानीय समाचार एजेंसी को बताया, "मैं एक बार उनसे मिलने गया था और हमने क्षेत्र की समग्र स्थिति सहित कुछ संक्षिप्त चर्चा की, लेकिन बैठक में गिलानी का कोई उल्लेख नहीं था।"

बेग ने कहा, "गिलानी हमें अछूत मानते थे और जब हमने चुनाव में हिस्सा लिया, तो उन्होंने लोगों से हमारे खिलाफ सामाजिक बहिष्कार करने का आग्रह किया।"

पूर्व राज्यपाल की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए, नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के पूर्व विधायक सैयद मोहम्मद अखून ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि मलिक विद्रोही क्यों हो गए थे। उन्होंने कहा, “जब वह राज्यपाल थे, तो वह भाजपा और उसके नेतृत्व की प्रशंसा करते थे और आज वह उनके खिलाफ हो गए हैं। भाजपा नेतृत्व के सामान्य स्थिति के दावों के बावजूद हमारा क्षेत्र उबर नहीं पाया है।”

हालांकि, नेकां के एक प्रवक्ता के अनुसार, जो मलिक के खुलासों पर आगे बोलने से बचते रहे, अखून ने अपनी निजी विचार के तहत  "व्यक्तिगत क्षमता" में टिप्पणी की थी। अतीत में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने मलिक पर लगातार "झूठा" होने का आरोप लगाया था।

पूर्व जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल कई राजनीतिक हलचलों के गवाह रहे हैं, जिसमें 2018 में क्षेत्र की विधानसभा को भंग करना भी शामिल है, यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सरकार बनाने का दावा किया था। मलिक जम्मू-कश्मीर के दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित होने और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के विरोध के बावजूद अनुच्छेद 370 और 35 ए को एक साथ हटाने से पहले के अंतिम राज्यपाल थे।

नेकां के एक अन्य वरिष्ठ नेता, रूहुल्लाह मेहदी ने मलिक द्वारा बताए गए अनुच्छेद 370 और 35 ए को निरस्त करने के आसपास की परिस्थितियों को "दिनदहाड़े ठगी" करार दिया।

मेहदी ने ट्वीट किया, “उस दिन जम्मू-कश्मीर के लोगों के भाग्य का फैसला इस तरह हुआ था। इस तरह उन्होंने लोकतंत्र की लिंचिंग और हत्या कर दी। खंड 3 के अनुच्छेद 370 (के) में कहा गया है कि राज्य की (जम्मू-कश्मीर) संविधान सभा की सहमति के बिना यानी  लोगों की इच्छा के बिना निरस्त नहीं किया जा सकता है।”

उन्होंने कहा, “इस तरह से जम्मू-कश्मीर के लोगों से ली गई सहमती दिन दहाड़े ठगी है। भारत सरकार का एक नियुक्त व्यक्ति 14 मिलियन लोगों का फैसला करता है और बेशर्मी से कहता है यह उनकी (भाजपा की) सरकार है। नाम न बताने की शर्त पर एक क्षेत्रीय दल के नेता ने न्यूज़क्लिक से कहा मलिक के बयान आत्म- प्रशंसा से ओत-प्रोत हैं। मलिक राज्यपाल के रूप मे उनके समय मे हुई हर गतिविधि मे उलझे हुए हैं। और यह ऐतिहासिक गलतियों और भूलों का समय था। वह खुद कश्मीरियों के अधिकारों के ठग हैं। वह भी इन सब का अनिवार्य हिस्सा रहे हैं।”

इस बीच पीडीपी अध्यक्ष  महबूबा मुफ़्ती ने रविवार को उत्तर प्रदेश सरकार पर अतीक अहमद और उनके भाई की हत्याओं का इस्तेमाल “ध्यान भटकानेवाली रणनीति” के रूप  मे करने का आरोप लगाया ताकि मलिक द्वारा पुलवामा हमले के बारे मे किए गए खुलासे से ध्यान भटकाया जा सके। उन्होंने कहा अतीक कोई फ़रिश्ता नहीं था लेकिन पुलिस हिरासत मे जिस तरह उसे मारा गया वह उत्तर प्रदेश के जंगल राज की ओर संकेत करता है। और ऐसा लगता है कि अतीक और उसके भाई की हत्या बड़े षड़यंत्र का हिस्सा है यह  भी प्रतीत होता है कि मलिक द्वारा किए गए खुलासे से ध्यान हटाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) के पोलित ब्यूरो की मांग है कि मोदी सरकार को स्पष्ट रूप से सामने आना चाहिए और जम्मू कश्मीर राज्य के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा लगाए गए सभी गंभीर आरोपों का जवाब देना चाहिए। माकपा नेता एम वाई तारिगामी ने कहा, “जिस तरह से संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त किया गया और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित राज्यों मे विभाजित किया गया उस से संबंधित आरोप समान रूप से गंभीर हैं।” तारिगामी ने आगे कहा इन मुद्दों पर मोदी सरकार की चुप्पी का “हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और भारत की एकता और अखंडता पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।”   

मूलरूप से अंग्रेजी में प्रकाशित लेख को पढने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें :

Former Governor Satya Pal Malik Stirs up Memories of ‘Deep Betrayal’ in Kashmir

 

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