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गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने अखिल गोगोई को मिली जमानत को बरकरार रखा

एनआईए  की याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति सुमन श्याम और न्यायमूर्ति मीर अल्फाज अली की पीठ ने कहा कि असैन्य हंगामे की कोई भी गतिविधि उस समय तक गैरकानूनी गतिविधियां (निषेध) कानून, 1967 के तहत नहीं आएगी, जब तक वह शांति भंग करने की मंशा से ना हो।
गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने अखिल गोगोई को मिली जमानत को बरकरार रखा
Image courtesy : The Indian Express

गुवाहाटी: गौहाटी उच्च न्यायालय ने किसान कार्यकर्ता अखिल गोगोई को राष्ट्रीय जांच एजेंसी की विशेष अदालत द्वारा जमानत दिए जाने के आदेश को बरकरार रखा है।

असम में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ 2019 में हुए प्रदर्शनों में कथित भूमिका के मामले में विशेष अदालत ने गोगोई को जमानत दी है।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति सुमन श्याम और न्यायमूर्ति मीर अल्फाज अली की पीठ ने कहा कि असैन्य हंगामे की कोई भी गतिविधि उस समय तक गैरकानूनी गतिविधियां (निषेध) कानून, 1967 के तहत नहीं आएगी, जब तक वह शांति भंग करने की मंशा से ना हो।

अदालत ने नौ अप्रैल को अपने आदेश में कहा, ‘‘अदालत के एक अक्टूबर, 2020 के फैसले और आदेश तथा हमारे समक्ष पेश सामग्री पर गौर करने के बाद हमारा विचार है कि याचिकाकर्ता को जमानत देते हुए एनआईए की विशेष अदालत द्वारा रखे गए विचार मामले के तथ्यों और परिस्थतियों के आधार पर उचित हैं।’’

अदालत ने कहा, ‘‘इसलिए हमें याचिकाकर्ता को जमानत देने के अदालत (एनआईए) के फैसले में कोई खामी नजर नहीं आ रही है...।’’

एनआईए द्वारा आरोपपत्र दाखिल किए जाने के बाद विशेष अदालत ने एक अक्टूबर, 2020 को गोगोई को जमानत दे दी थी।

कौन है अखिल गोगोई

अखिल गोगोई एक धर्मनिरपेक्ष, प्रगतिशील जन नेता हैं उन्होने असम में कृषक मुक्ति संग्राम समिति (KMSS) – नामक एक किसान संगठन की स्थापना की हैं। केएमएसएस भूमिहीन किसानों, ग्रामीण और शहरी गरीबों के अधिकारों के लिए लड़ने वाला अग्रिम संगठन है। इसने भूमि और वन अधिकारों को हासिल कर  वन गांवों से बाढ़ पीड़ितों और आदिवासी लोगों के पुनर्वास की मांग के लिए बड़े पैमाने पर आंदोलन चलाए हैं।

यह पर्यावरण के संरक्षण के लिए काम करता है जिसमें पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में बड़े बांधों के निर्माण के खिलाफ लड़ाई शामिल है जो हजारों लोगों के जीवन को खतरे में डालते हैं और वनस्पतियों और जीवों का विनाश करते हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ एक अथक सेनानी के रूप में, गोगोई ने मंत्रियों से जुड़े कई बड़े घोटाले उजागर किए हैं। 2013 में, गोगोई ने खुदरा में एफडीआई के विकल्प के तौर पर किसान सहकारी और खुदरा दुकानों की स्थापना की, जो किसान को सीधे तौर पर शहरी बाजारों से जोड़ते हैं।

जनता के बीच गोगोई की लोकप्रियता राज्य द्वारा किए जा रहे अन्याय का विरोध करने और लोगों को जुटाने की उनकी क्षमता में परिलक्षित होती है; जो शांतिपूर्ण और निडरता का सबब है। लेखक के अनुसार, अखिल गोगोई की राज्य में अवैध हिरासत 2017 में एनएसए के तहत शुरू हुई थी, जिसे उच्च न्यायालय ने अवैध ठहराया था। उन्होंने सीएए-विरोधी आंदोलन का भी नेतृत्व किया क्योंकि उनका मानना है कि यह संविधान का उल्लंघन है और इसलिए भी क्योंकि इससे असम के छोटे देशज समुदायों की पहचान को खतरा पैदा हो जाएगा। सीएए के खिलाफ व्यापक जन आंदोलन के बाद, राज्य ने विरोधियों के खिलाफ एफआईआर की झड़ी लगा दी और इस प्रक्रिया के माध्यम से मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को निरंतर और अवैध हिरासत में ले लिया है। लेखक अन्याय के खिलाफ और कार्यकर्ताओं के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए न्यायिक हस्तक्षेप का तर्क पेश करती है।

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