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गोवा: कांग्रेस में उथल-पुथल और विधायकों के असंतोष के लिए कौन ज़िम्मेदार!

गोवा राजनीतिक संकट के लिए कांग्रेस भले ही बीजेपी को ज़िम्मेदार बता रही हो लेकिन ये भी सच्चाई है कि कांग्रेस नेताओं का असंतोष सिर्फ गोवा तक सीमित नहीं है। ये लगभग हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश तक फैल चुका है।
Sonia Rahul

गोवा एक नए राजनीतिक उथल-पुथल की ओर बढ़ता दिख रहा है। एक ओर कांग्रेस के विधायक जहां पार्टी में सबकुछ ठीक होने का दावा कर रहे हैं, वहीं कांग्रेस खुद अपने चार-पांच विधायकों के पार्टी छोड़ने की बात कर रही है और इस राजनीतिक संकट के लिए बीजेपी को ज़िम्मेदार ठहराते हुए अपने दो विधायकों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की बात भी कर रही है। हालांकि गोवा कांग्रेस में बगावत की आहट के बीच सोमवार, 11 जुलाई को पार्टी के पांचों विधायक विधानसभा मानसून सत्र में हिस्सा लेने पहुंचे। उन्होंने ये भी दावा किया कि कांग्रेस पार्टी में सब साथ हैं।

बता दें कि कांग्रेस ने गोवा विधानसभा में अपने नेता प्रतिपक्ष माइकल लोबो को उनके पद से हटा दिया है। इसके लिए शाखा के अध्यक्ष अमित पाटकर ने इस मामले में स्पीकर को पत्र भी सौंप दिया था। ऐसे में अब बड़ा सवाल है कि क्या कांग्रेस अब भी लोबो को विधायक दल के नेता के पद से हटाएगी या उनकी वापसी के साथ ही पद की वापसी भी हो जाएगी। अभी तक इसे लेकर स्थिति साफ नहीं हो पाई है।

क्या है पूरा मामला?

खबरों के मुताबिक मानसून सत्र से पहले कांग्रेस ने रविवार, 10 जुलाई को विधायकों की औपचारिक बैठक बुलाई थी। गोवा में कांग्रेस के 11 विधायक हैं, लेकिन इस बैठक में सिर्फ 7 ही शामिल हुए। इस बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत भी नहीं पहुंचे। यहीं से कांग्रेस में खलबली मच गई थी कि क्या पार्टी टूटने वाली है। इसके बाद कांग्रेस के कुछ विधायकों से पार्टी का संपर्क भी टूट गया और ऐसी खबरें आने लगीं कि गोवा में कांग्रेस एक बार फिर मुश्किल में है।

इसके बाद गोवा कांग्रेस के इंचार्ज दिनेश गुंडू राव ने आरोप लगाते हुए कहा था कि लोबो और कामत कांग्रेस में फूट डालने के लिए बीजेपी के साथ मिल कर साजिश रच रहे हैं। पार्टी प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी राव ने कहा था कि कांग्रेस माइकल लोबो को नेता सदन के पद से हटा रही है। राव ने आरोप लगाए थे कि बीजेपी कांग्रेस के दो तिहाई विधायकों को तोड़ना चाहती है ताकि दल-बदल कानून से बचा जा सके।

उधर, सोमवार को कथित बगावत की खबरों के बीच विधायक विधानसभा में मानसून सत्र का पहला दिन अटेंड करने पहुंचे माइकल लोबो ने मीडिया से कहा, “सब कुछ ठीक है। मुझे नहीं पता कि समस्या क्या है। कांग्रेस के सभी विधायक एक साथ थे. हम रविवार को मीटिंग के लिए साउथ गोवा गए थे। कांग्रेस के कुछ नेता, एक और प्रेस कॉन्फ्रेंस करना चाहते थे, जिसकी जरूरत नहीं थी, इसलिए हम इसमें शामिल नहीं हुए।"

इतिहास दोहराने से बच गई कांग्रेस

बहरहाल, मीडिया की खबरों के मुताबिक जिस बगावत की खबरें गोवा में फिलहाल चल रही थीं, अगर वो सच साबित हो जातीं, तो यहां इतिहास एक बार फिर खुद को दोहरा जाता। पूर्व रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद जुलाई की 10 तारीख को ही ठीक तीन साल पहले साल 2019 में कांग्रेस के 10 विधायकों ने गोवा में बगावत की थी और बाद में बीजेपी में शामिल हो गए थे। पिछली बार भी बगावती गुट के अगुआ सदन में विपक्ष के नेता चंद्रकांत बाबू कावलेकर थे और इस बार भी बगावत के खबरों के बीच विपक्ष के नेता का ही नाम था।

गौरतलब है कि गोवा में इसी साल की शुरूआत में चुनाव हुए थे। चुनाव में 40 विधानसभा सीटों में से बीजेपी को 20 सीटें, कांग्रेस को 11 सीटें, आम आदमी पार्टी और महाराष्ट्र गोमांतक पार्टी को दो-दो, गोवा फॉर्वर्ड पार्टी और रिवल्यूशनरी गोवन्स पार्टी को एक-एक सीट मिली थी। हालांकि चुनाव 2022 में राज्य में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था। लेकिन बीजेपी ने निर्दलीय के सहयोग से राज्य में सरकार बना ली थी।

कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व और विधायकों का असंतोष

हालांकि दिलचस्प बात ये है कि साल 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। कांग्रेस के पास 17 विधायक थे और बीजेपी के पास 13 विधायक थे। बीजेपी इसके बाद भी सरकार बनाने में सफल रही और चार सालों में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 17 से घटकर चार रह गई। ऐसे में अगर गोवा कांग्रेस के इस राजनीतिक हालत की वजह तलाशें तो कई जानकार कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व को ज़िम्मेदार मानते हैं। गोवा के कांग्रेस नेताओं में असंतोष की बात एक अरसे से कही जा रही है, जिसकी सबसे बड़ी वजह सही समय पर फ़ैसले न लिए जाना बताया जाता है।

वैसे कांग्रेस नेताओं का असंतोष सिर्फ गोवा तक सीमित नहीं है। ये लगभग हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश तक फैल चुका है। कांग्रेस आला कमान न वक़्त पर फ़ैसले ले पाता है और न ही समय रहते हस्तक्षेप कर पार्टी को टूटने से बचा पाता है। शायद यही कारण है कि कांग्रेस के नेताओं का पार्टी के प्रति मोहभंग होता जा रहा है। पार्टी सिमटती जा रही है और नेता एक-एक कर पार्टी के हाथ का साथ छोड़ते जा रहे हैं। फिलहाल हालात ये है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी वर्तमान में अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष करती नज़र आ रही है।

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