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ज्ञानवापी विवादः ज़िला अदालत के निर्देश पर ASI टीम का सर्वे शुरू, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- कोई तोड़फोड़ न हो

शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को एएसआई की टीम को यह सूचित करने का निर्देश दिया कि मस्जिद परिसर में ‘तोड़-फोड़ का कोई कार्य’ या खुदाई नहीं होनी चाहिए।
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भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई (Archaeological Survey of India) ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे शुरू कर दिया है। उधर यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि परिसर में कोई तोड़-फोड़ या खुदाई का काम नहीं किया जाए।

ज्ञानवापी ऐतिहासिक मस्जिद है, जिसे भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। ASI टीम ने सर्वेक्षण के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर की नींव की मिट्टी और पत्थरों के सैंपल लिए गए हैं। वजूखाने को छोड़कर परिसर के सभी हिस्सों में सर्वे चल रहा है।

इस दौरान मुस्लिम पक्ष ने सर्वेक्षण के खिलाफ नाराजगी जाहिर की और कहा कि बनारस में हर तरफ मनमानी चल रही है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद डिस्ट्रिक कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के बाबत आदेश जारी किया है। स्थानीय अदालत का यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना है। न्याय की आस में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंची है।

शीर्ष अदालत मस्जिद समिति द्वारा दायर याचिका पर सोमवार को दोपहर दो बजे सुनवाई के लिए सहमत हो गई। इस याचिका में वाराणसी की एक अदालत के उस आदेश पर रोक लगाने का आग्रह किया गया है, जिसमें एएसआई को यह पता लगाने के लिए वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया है कि मस्जिद का निर्माण मंदिर पर किया गया था या नहीं।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मस्जिद समिति की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील हुजेफा अहमदी की दलील का संज्ञान लिया कि मामले में तत्काल सुनवाई की जानी चाहिए।

शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को एएसआई की टीम को यह सूचित करने का निर्देश दिया कि मस्जिद परिसर में ‘तोड़-फोड़ का कोई कार्य’ या खुदाई नहीं होनी चाहिए।

पीठ ने कहा, “हम (याचिका पर) दोपहर दो बजे सुनवाई करेंगे।”

ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण और कार्बन डेटिंग पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा रखी है। कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में संभलकर चलने की जरूरत है। मगर बनारस डिस्ट्रिक कोर्ट के निर्देश पर ज्ञानवापी मस्जिद में किए जा रहे हैं। ASI सर्वेक्षण के पहले दिन करीब तीन घंटे तक समूचे परिसर की नापी कराई गई। मस्जिद परिसर में सभी कोनों पर चार कैमरे लगाए गए हैं। कमरों में अंधेरा होने के कारण सर्वेक्षण में कुछ दिक्कतें आईं। ASI टीम ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर को चार हिस्सों में बांटकर सर्वेक्षण कर रही है। इस दौरान परिसर में लगे ईंट और पत्थरों की ऊंचाई भी नापी जा रही है। नींव के पास से मिट्टी का सैंपल लिया गया है। सीढ़ियों पर लगे पत्थर के सैंपल भी लिए जा रहे हैं। मस्जिद परिसर के सभी कमरों और बरामदे की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कराई जा रही है।

ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वेक्षण को लेकर दोनों पक्षों के बीच तनातनी बढ़ गई है। हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों के बीच कई बार तीखी बहस हुई। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि उन्हें पहले से कोई नोटिस नहीं दिया गया था। वह इस सर्वे के खिलाफ हैं और सुप्रीम कोर्ट में फैसले को अनदेखा किया जा रहा है। दूसरी ओर, हिंदू पक्ष के अधिवक्ताओं का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद वास्तव में एक प्राचीन हिंदू मंदिर है। मस्जिद की सूक्ष्म दीवारों और धार्मिक चिह्नों की खोज की जाए, तभी सही नतीजे सामने आएंगे। साथ ही यह भी पता लग जाएगा कि ज्ञानवापी मस्जिद का पुरातात्विक ढांचा इसके निर्माण के पहले किसी अन्य धार्मिक संरचना का था या नहीं? उनके अनुसार, सर्वेक्षण के परिणाम भी उनके पक्ष में आएंगे।

बनारस के डिस्ट्रिक कोर्ट ने कहा था कि सर्वेक्षण के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में ASI की 30 सदस्यीय टीम के साथ हिंदू और मुस्लिम पक्ष के चार-चार अधिवक्ता, मसाजिद कमेटी से चार लोग और उनके चार अधिवक्ता भी मौजूद रहेंगे। हलांकि प्रशासन ने कई सरकारी अधिवक्ताओं को भी मौके पर भेजा है। वहां कई प्रशानिक और पुलिस के अफसर तैनात किए गए है। मस्जिद के आसपास भारी फोर्स तैनात की गई है। आसपास के रास्तों को सील कर दिया गया है। दर्शनार्थियों को भी उस तरफ नहीं जाने दिया जा रहा है। हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के तीन गुंबदों के ठीक नीचे और पश्चिमी दीवार के नीचे सर्वेक्षण का आदेश दिया था और कहा था कि आवश्यकता होने पर खुदाई की भी अनुमति है। सर्वेक्षण के दौरान पूरे प्रक्रिया की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी करने का भी निर्देश दिया गया है।

विशेषज्ञों का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार (GPR) तकनीक और जिओ रेडियोलॉजी सिस्टम का प्रयोग कर रही है। इस तकनीक के जरिए ज्ञानवापी मस्जिद के सभी हिस्सों का सर्वे होगा। यह तकनीक पुरातात्विक इमारतों के सर्वेक्षण में उपयोगी होती है। ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में मौजूद दीवारें, नींव, कलाकृतियां, और मिट्टी में रंग परिवर्तन के संकेतों की जांच की जाएगी, जो सुविधाओं का संकेत दे सकते हैं। सर्वेक्षण के नतीजे को सुप्रीम कोर्ट में पेश किए जाएंगे। ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण बनारस के इतिहास के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। इससे मस्जिद के मूल स्वरूप और इतिहास को लेकर बड़ा फैसला आ सकता है। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद ही इस मुद्दे का निर्णय होगा।

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