ज्ञानवापी केस: वजूखाने को छोड़कर पूरे ज्ञानवापी परिसर का होगा सर्वे, आया आदेश
उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में जिला एवं सत्र न्यायालय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) को सर्वे करने की मंजूरी दे दी है। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने फैसला सुनाते हुए कहा कि वजूखाना को छोड़कर पूरे ज्ञानवापी परिसर का एएसआई सर्वे होगा। डिस्ट्रिक कोर्ट ने इस फैसले को खारिज करते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को 04 अगस्त 2023 तक सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। मुस्लिम पक्ष ने सर्वे पर रोक लगाने की याचिका दाखिल की थी।
वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सर्वे करने पर रोक लगाने के लिए याचिका दाखिल की गई थी। 14 जुलाई 2023 को करीब डेढ़ घंटे तक हुई बहस के बाद जिला जज ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। मुस्लिम पक्ष ने कहा है कि विवादित स्थल पर पहले से ही मस्जिद थी, और वह किसी धार्मिक स्थल पर नहीं बनाई गई है। ज्ञानवापी मस्जिद के मुस्लिम पक्ष ने कहा है कि इस स्थान पर पहले से मस्जिद थी। पिछले दिनों हुए सर्वे में जिन चिह्नों को दर्शाया है उसका प्रयोग मस्जिदों में पहले भी होता था। दूसरी ओर, हिंदू पक्ष के अधिवक्ता ने कोर्ट मस्जिद में मिले चिह्न को हिन्दुओं का प्रतीक चिह्न बताते हुए मस्जिद पर अपना दावा पेश किया था। साथ ही कोर्ट से आग्रह किया था कि आर्कियोलॉजिकल विशेषज्ञ रडार पेनिट्रेटिंग, एक्सरे पद्धति, रडार मैपिंग, स्टाइलिस्ट डेटिंग आदि पद्धति का प्रयोग कर मस्जिद परिसर का सर्वे किया जाए, ताकि सच समाने आ सके। बाद में जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने दोनों पक्षों की बात सुनकर फैसला सुरक्षित कर लिया था। वही फैसला आज सुनाया गया।
हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, "हमारा कहना था कि पूरे क्षेत्र का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) से सर्वे कराया जाना चाहिए। कोर्ट ने हमारी याचिका पर सहमति जता दी है। अब एएसआई ही इस मामले की दिशा और दशा तय करेगा। विवादित आकृति का सर्वे नहीं होगा। उसका मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, जिसकी अगली सुनवाई 29 अगस्त 2023 को होगी। ज्ञानवापी आदिविश्वेश्वर का मूल स्थान है। यह लाखों हिन्दुओं की भावनाओं से जुड़ा मामला है।"
अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने यह भी कहा, "मौखिक साक्ष्य के आधार पर कोई पक्ष नहीं रखा जा सकता है। ऐसे में साइंटिफक सर्वे जरूरी है। हमारी मांग है कि समूची परिसर का सर्वे किया जाए। साइंटिफक सर्वे से ही यह स्पष्ट हो सकता है कि विवादित परिसर आखिर क्या है? मंदिर अथवा मस्जिद के वजूद के बारे में बताने के लिए कोई जिंदा नहीं है। मस्जिद के ढांचे को देखकर कहानी समझ में आ जाती है। मस्जिद के सर्वे के बाद ही बनारस के गर्भ में क्या है, इसका इतिहास सामने होगा।"
एएसआई (ASI) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग का पूरा नाम है। यह भारतीय सरकार की एक एजेंसी है, जो पुरातात्विक अनुसंधान और देश में सांस्कृतिक स्मारकों के संरक्षण के लिए जिम्मेदार है। यह संस्था संस्कृति मंत्रालय से जुड़ी हुई है। पुरातत्व विशेषज्ञों के मुताबिक, स्टाइलिस्ट डेटिंग में किसी संरचना के निर्माण शैली से उसकी सदियों पुरानी स्थिति का आकलन कर विशेषज्ञ स्पष्ट और प्रमाणित कर देते हैं कि उस संरचना का कौन-सा काल खंड है। ज्ञानवापी परिसर में किस काल खंड में किस संरचना से विवादित ढांचा बना था, यह भी रिपोर्ट में होगा।
काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी के पिछले हिस्से की दीवार है, जिस पर स्वास्तिक, त्रिशूल, डमरू और कमल चिह्न मिले थे। हिन्दू पक्ष इस निशान के आधार पर ज्ञानवापी मस्जिद को अपना बता रहा है, जबकि इंतजामिया मसाजिद कमेटी के सचिव मोहम्मद यासीन कहते हैं कि उक्त मस्जिद अकबर के कार्यकाल में उस समय बनाई गई थी जब मुगल शासक ने एक नया धर्म दीन-ए-इलाही चलाया था।
सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर से विवादित आकृति के सर्वे और कार्बन डेटिंग सर्वे पर रोक लगा रखी है। यह फैसला तब आया था जब हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व विभाग को मस्जिद का सर्वे कराने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। ज्ञानवापी मसाजिद इंतजामिया कमेटी की ओर से अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने यह याचिका दायर की थी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और केवी विश्वनाथन की पीठ ने इसकी सुनवाई की थी। ज्ञानवापी मसाजिद इंतजामिया कमेटी की ओर से अधिवक्ता हुजेफा अहमदी बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक आदेश जारी करते हुए कहा कि सर्वे और कार्बन डेटिंग के मामले में जिला एवं सत्र न्यायालय में सुनवाई की जाए। ज्ञानवापी में मिले कथित शिवलिंग के साइंटिफिक सर्वे और कॉर्बन डेटिंग के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि इस मामले में संभलकर चलने की जरूरत है।
ज्ञानवापी से जुड़े शृंगार गौरी वाद की महिला वादियों (रेखा, सीता, मंजू, लक्ष्मी) ने पिछले साल दिसंबर में वाराणसी के जिला जज की कोर्ट में अर्जी देकर सात मामलों की सुनवाई एक साथ एक ही कोर्ट में करने की मांग की थी। इस केस पर जिला जज की अदालत ने 17 अप्रैल 2023 को आदेश पारित किया था कि उनकी कोर्ट में सभी सात मामलों की फाइलों को रखा जाए।
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