Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

ज्ञानवापी मस्जिद में ASI सर्वे पर रोक के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर, कल नई बेंच का गठन होगा

हिंदू पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में सोमवार को कैविएट दाखिल किया था। सुप्रीम कोर्ट 26 जुलाई की शाम 5 बजे तक एएसआई सर्वे पर रोक लगाने का आदेश दे चुका है। हाईकोर्ट में दोपहर बाद मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई हुई।
gyanvapi

उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) की टीम से सर्वे कराने पर रोक लगाने के लिए मंगलवार को मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की। दोपहर बाद जस्टिस प्रकाश पांडिया की सिंगल बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। ASI सर्वे के खिलाफ दाखिल याचिका पर 26 जुलाई को सुनवाई होगी। इस बीच एक अन्य सिविल वाद की पोषणीयता पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। कोर्ट 28 अगस्त को इस मामले में फैसला सुनाएगी। अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी और सुन्नी सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड ने दायर कर रखी है।

हिंदू पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में सोमवार को कैविएट दाखिल किया था। सुप्रीम कोर्ट 26 जुलाई की शाम 5 बजे तक एएसआई सर्वे पर रोक लगाने का आदेश दे चुका है। हाईकोर्ट में दोपहर बाद मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई हुई।

मुस्लिम पक्ष की याचिका से पहले सोमवार को हिंदू पक्ष की वादी राखी सिंह ने हाईकोर्ट में कैविएट दाखिल की थी। यह कैविएट उनके वकील सौरभ सिंह ने ऑनलाइन फाइल की थी। राखी सिंह ने कैविएट के जरिये हाईकोर्ट से आग्रह किया था कि अगर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने बनारस के डिस्ट्रिक कोर्ट के 21 जुलाई के एएसआई सर्वे के आदेश को चुनौती देने आती है तो उनके पक्ष को भी सुना जाए और इसके बाद फैसला सुनाया जाए।

बनारस के डिस्ट्रिक कोर्ट के फैसले के बाद एएसआई की 30 सदस्यीय टीम ने 24 जुलाई को ज्ञानवापी का सर्वे शुरू किया था। शुरुआती तीन घंटे के दौरान पूरे परिसर की नापी कराई गई। साथ ही चार कैमरों के जरिये वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराई गई। हालांकि मुस्लिम पक्ष ने एएसआई सर्वे का बहिष्कार किया और सर्वे के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर सुनवाई करने के बाद 26 जुलाई शाम 5 बजे तक के लिए सर्वे पर रोक लगा दी गई। शीर्ष कोर्ट ने कहा है कि इस दौरान अगर मस्जिद कमेटी चाहे तो वाराणसी कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जा सकती है।

ज्ञानवापी परिसर का एक साल पहले भी बनारस के सिविल कोर्ट के निर्देश पर कमिश्नर सर्वे किया गया था। उस रिपोर्ट को कोर्ट में जमा की गई थी और दावा किया गया था कि परिसर में शेषनाग की आकृति के अलावा खंडित देव विग्रह, मंदिर का मलबा, हिंदू देवी-देवताओं और कमल की आकृति, शिलापट्ट मिले हैं। मुस्लिम पक्ष अभी भी इस दावे पर अड़ा हुआ है कि मस्जिद उनकी है और उन्हें धार्मिक कार्य करने में बार-बार अड़चन पैदा की जा रही है। कुछ सियासी दलों ने इस मुद्दे को वोट बैंक का जरिया बना लिया है।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest