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हरियाणा: सांदल कलां गांव में नमाज़ियों पर हमला, पर नहीं तोड़ सके गांव की एकता!

“जो लोग इस पूरे मामले को हिंदू-मुसलमान करके भड़काना चाहते थे, हमने उनके ज़हरीले इरादों पर पानी फेर दिया।”
Sandal Kalan

हरियाणा के सोनीपत ज़िले का एक गांव सांदल कलां जहां पिछले कई सालों से हिंदू-मुस्लिम एक साथ रहते आए हैं लेकिन बीते दस अप्रैल, रविवार को कुछ उपद्रवी नौजवानों ने इस एकता पर हमला करने की कोशिश की। रविवार रात 9 बजे के आस-पास जब कुछ मुस्लिम परिवार के लगभग 15 से 20 लोग एक छोटी सी मस्जिद में नमाज़ पढ़ रहे थे, उस दौरान कथित तौर पर बिना किसी उकसावे के उनपर लाठी-डंडों से हमला कर दिया गया और शांति व भाईचारे से रहने वाला यह गांव अचानक अशांत दिखने लगा। हालांकि कुछ उद्रवियों की साज़िश को ग्रामीणों ने पुलिस और अपने पुराने भाईचारे के दम पर नाकाम कर दिया। इस अचानक हुई घटना के बाद धार्मिक उन्मादी संगठनों के मुंह पर तमाचा तब लगा जब ग्रामीणों ने इस घटना पर एकजुट होकर अपराधियों के ख़िलाफ़ बयान दिया और पीड़ितों के पक्ष में खड़े हुए। गांव के निवासियों के अलावा किसान और मज़दूर के नेता भी गांव पहुंचे और अपनी एकजुटता ज़ाहिर की।

आपको बता दे यह गांव हिंदू बहुल है। यहां सबसे बड़ी आबादी गुर्जर समाज की है जबकि मुसलमान परिवार बेहद कम हैं। लेकिन इस घटना के बाद गांव एकजुट नज़र आया और घटना पर गुस्सा और क्षोभ प्रकट किया। इस घटना के तुरंत बाद सोमवार को गांव में सर्व समाज की पंचायत हुई जिसमें सर्वसम्मति से फैसला हुआ कि गांव ज़िम्मेदारी लेता है कि आगे से इस तरह की घटना न हो, इसके अलावा पंचायत में रविवार की इस घटना की निंदा करते हुए इसे शर्मनाक बताया गया।

मुस्लिम समाज के लिए अभी रमज़ान का पाक महीना चल रहा है। इस महीने में मुस्लिम धर्म के लोग दिन भर बिना पानी और खाने के कठिन उपवास करते हैं। इसके अलावा उनकी कोशिश होती है कि इस दौरान सामूहिक तौर पर नमाज़ पढ़ी जाए। इसी कड़ी में सोनीपत के गांव सांदल कलां की एक मस्जिद में कुछ मुस्लिम उपासक रमज़ान की नमाज़ अदा कर रहे थे और इसी दौरान उनपर हमला किया गया।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि हथियारों से लैस कुछ युवकों ने गांव में मुसलमानों पर उस समय हमला कर दिया जब वे एक छोटी से मस्जिद में रमज़ान की नमाज़ अदा कर रहे थे। हालांकि पुलिस ने इसे मस्जिद नहीं, बल्कि एक घर बताया है जबकि मुस्लिम समाज के लोगों ने बातचीत में इसे मस्जिद बताया है। वहां मौजूद कुछ लोगों ने बताया कि कुछ समय पहले गांव के कुछ लोगों ने लाउड स्पीकर को लेकर आपत्ति जताई थी तो उसे उतार लिया गया था।

इस हमले में, नमाज़ अदा करने वाले लोगों को गंभीर चोटें आई हैं। इसमें महिलाएं, बुजुर्ग और नौजवान शामिल हैं जो गंभीर रूप से घायल हुए हैं। इनका इलाज सोनीपत के स‍िव‍िल अस्पताल में हुआ है।

इस पूरे मामले में न्यूज़क्लिक ने पंचायत में शामिल 'सर्व कर्मचारी संघ' के नेता सलिक राम से बात की। उन्होंने बताया, "इस घटना के बाद हम गांव पहुंचे। ग्रामीणों ने खुद के स्तर पर ही इस मामले को निपटाने का प्रयास किया है। पूरे गांव के लोगों ने एक साथ बैठ कर फैसला किया कि आगे से ऐसा कतई नहीं होने दिया जाएगा। इसके अलावा जिनके बच्चे इस घटना में आरोपी हैं उनके परिवार ने भी कहा कि ये गलत हुआ और उन्हें भी नहीं पता चला कि उनके बच्चे इस तरह की संगत में कैसे चले गए।"

सलिक राम ने कहा, "इस गांव में कभी भी इस तरह की घटना नहीं हुई है। उन्होंने कहा ये नौजवान फेसबुक और व्हाट्सअप के माध्यम से कट्टरवादी संगठनों के संपर्क में थे। वहीं से इन्होंने इस घटना को अंजाम देने की प्रेरणा ली और इसने ही युवाओ के दिमाग में ये धार्मिक उन्माद भर दिया।

गांव के निवासी और पीड़ित जमील ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा कि, "हमने कभी भी नहीं सोचा था कि हमारे गांव में इस तरह का कुछ होगा। ये सभी बच्चे हमारे गांव के ही है। हां, इनमे एक-दो नौजवान हैं जो आपराधिक और कट्टर संगठनों से जुड़े हैं।

जमील ने कहा, "हमला करने वालों में से एक-दो लड़के व्हाट्सअप और फेसबुक के माध्यम से विश्व हिंदू परिषद से जुड़े है। उनके कहने और उन्हीं के निर्देश पर इस तरह की घटना को अंजाम दिया गया है। गिरफ़्तार लड़कों के फोन में ज़रूर व्हाट्सअप ग्रुप है जिससे पता चल जाएगा की इन्हें कौन भड़का रहा था।"

जमील ने बताया, "सोमवार को जब एक तरफ पूरे गांव वाले इस दर्दनाक घटना से निकलने का प्रयास कर रहे थे। उस दौरान विश्व हिंदू परिषद से जुड़े लोगों ने गांव वालों को भड़काने का प्रयास किया। एक बाबा की भेष में एक आदमी उलटे मुस्लिम समाज के लोगों पर ही हिंसा का आरोप लगा रहा था जबकि आरोपियों के परिवार सहित पूरा गांव लड़कों की गलती मान रहा था।

जमील ने कहा, "जब इनकी 'फूट डालने' की कोशिश सफल नहीं हुई तब विश्व हिंदू परिषद के मनीष राई ने फेसबुक पर लिखा कि हिंदू ही अपने हिंदुओं के सहयोग में नहीं आते है.."

गांव वालों का कहना है कि, "जो लोग इस पूरे मामले को हिंदू-मुसलमान करके भड़काना चाहते थे, हमने उनके ज़हरीले इरादों पर पानी फेर दिया।”

हालांकि बीते दिनों पूरे देश में ही मुसलमानों के ख़िलाफ़ घृणा और धार्मिक उन्माद का माहौल बनाने के आरोप लगे हैं। बार-बार इसमें दक्षिणपंथी संगठनों के शामिल होने के आरोप लगते रहे हैं। बीते दिनों रामनवमी के दिन सोनीपत ज़िले के ही खरखोदा में हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं द्वारा मस्जिद पर झंडा फहराने का मामला आया था। उसमें भी मुस्लिम समाज की ओर से संयमित प्रतिक्रिया सामने आई। यहां भी हिंदू-मुस्लिम हिंसा को होने से रोक लिया गया।

संयुक्त किसान मोर्चा हरियाणा के नेता और किसान सभा के प्रदेश महासचिव सुमित दलाल ने बयान जारी कर कहा, "भाजपा अपनी कार्पोरेट परस्त नीतियों के ख़िलाफ़ पैदा हुए व्यापक रोष से ध्यान हटाने के लिए किसान मज़दूरों के बीच धार्मिक उन्माद और नफ़रत फैला कर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने की ख़तरनाक नीति पर चल रही है।

उन्होंने (सुमित दलाल) मांग की है कि इस गंभीर घटना के ज़िम्मेदार व्यक्तियों के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई की जाए।

इसके साथ ही उन्होंने जनता से अपील की है कि धर्म के नाम पर हिंसा फैलाने वाले राष्ट्रविरोधी तत्वों की पहचान करके उन्हें अलग-थलग करें और किसी भी उकसावे में न आएं और अपनी एकता को हर हालत में बनाए रखें।

रविवार को मस्जिद में हमला करने वाले कुछ युवाओं की तस्वीरें लोगों ने अपने फोन में रिकॉर्ड की जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। इस घटना के बाद डायल-112 व सोनीपत इंडस्ट्रियल एरिया थाना पुलिस मौके पर पहुंची और घायलों को इलाज के लिए स‍िव‍िल अस्‍पताल ले जाया गया।

इस पूरे मामले पर न्यूज़क्लिक ने इंडस्ट्रियल एरिया थाना के थानाध्यक्ष संदीप कुमार से बात की। उन्होंने कहा, "रविवार को गांव की मस्जिद में कुछ शरारती तत्वों ने घुसकर मार-पीट की। इसमें 8 लोग ज़ख़्मी हुए थे। इस घटना को अंजाम देने वाले लड़के गांव के ही हैं। सभी लड़के नई उम्र के हैं।”

उन्होंने कहा, "घटना की सूचना मिलते ही पुलिस की टीम वहां पहुंची और पूरे इलाके को घेर लिया। हमने FIR दर्ज कर ली और जांच करके उनमें से 10 लोगों को गिरफ़्तार कर लिया। यहां हिंदू-मुस्लिम का कोई मामला नहीं है, कुछ लड़के शराब के नशे में थे। उनकी बहस हुई और उसके बाद वे मस्जिद के अंदर चले गए और मार-पीट शुरू हो गई।”

SHOने ये भी कहा कि, "ये कोई बड़ी मस्जिद नहीं है। एक छोटा सा कमरा ही है, जिसमें नमाज़ पढ़ी जाती है। आज से पहले कभी भी यहां दोनों समुदाय के बीच इस तरह की संघर्ष की घटना नहीं हुई थी। हमने पूरे गांव से बात की है गांव में अब भी पूरी शांति है। यहां पहले भी दोनों समुदाय के लोग एक-दूसरे के साथ मिल-जुलकर रहते थे और एक-दूसरे की सहायता करते थे।”

आगे उन्होंने कहा, "जिन लोगों ने इस घटना को अंजाम दिया है उनके ऊपर धार्मिक भावना को भड़काने का केस दर्ज किया गया है और उन लोगों की गिरफ़्तारी भी हो चुकी है।”

पुलिस द्वारा दर्ज FIR के अनुसार इन उपद्रवियों पर IPC की कई धाराओं, 148 (दंगा करने), 149 (अवैध सभा), 153 A (विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना और सद्भाव बिगाड़ना), 295 A (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य, जिसका उद्देश्य किसी भी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना है।), 323 (जानबूझ कर किसी को स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 452 (बिना अनुमति घर में घुसना, चोट पहुंचाने के लिए हमले की तैयारी, हमला या गलत तरीके से दबाव बनाना) और 506 (आपराधिक धमकी देने जैसी संगीन धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।

FIR के मुताबिक़ 19 लोग नामजद हैं जिसमे पुलिस ने 16 लोगों को हिरासत में लिया था। इनमें से दस को गिरफ़्तार किया और बाक़ी को पूछताछ के बाद रिहा कर दिया गया।

इस घटना के बाद से सांदल कलां में नमाज़ पढ़ने वाले लोगों ने दोबारा उस जगह पर नमाज़ नहीं पढ़ी है। उन्हें डर है कि वहां फिर कोई घटना न हो जाए जबकि पुलिस बल अभी भी गांव में है और पुलिश कमिश्नर ने भी गांव का दौरा किया और पीड़ितों को आश्वस्त किया कि इस तरह की कोई घटना नहीं होगी और वो नमाज़ पढ़ें। लेकिन इस आश्वासन के बाद भी लोगों के मन में डर बैठ गया है।

उन्होंने (गांव वालों ने) न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा कि जेल में बंद आरोपियों में से एक ने धमकी दी थी कि अगर दोबारा गांव में नमाज़ पढ़ी तो वो उन्हें जान से मार देगा। उन्होंने उस दिन को याद करते हुए कहा कि, "हम दुआ कर रहे थे और सब झुके हुए थे। तब हम पर लाठी और हॉकी से हमला किया गया। उन्होंने मस्जिद में तोड़-फोड़ भी की और कुरआन को भी नुकसान पहुंचाया। सभी नमाज़ियों को बुरी तरह पीटा गया जिसमें छोटे बच्चे व महिलाएं भी शामिल हैं।

पीड़ित पक्ष के लोग जहां गांव की एकजुटता की सराहना कर रहे हैं लेकिन वहीं इस घटना के बाद उनके मन में एक डर बैठ गया जो शायद ही इतनी जल्दी जाए। उनके मन से ये डर तभी दूर होगा जब दोषियों को कड़ी सज़ा मिलेगी। पीड़ित पक्ष का कहना है कि प्रशासन को मामले को रफ़ा-दफ़ा करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए बल्कि दोषियों को सज़ा दिलाकर एक नज़ीर पेश करनी चाहिए। 

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