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हरियाणा का डाडम पहाड़ी हादसाः"मुनाफे की हवस में गई मज़दूरों की जान"

एक जनवरी की सुबह भिवानी जिले के तोशाम इलाक़े में डाडम पहाड़ी में खनन के दौरान हुए हादसे में 5 मज़दूरों की जान चली गयी वहीं कुछ और लोगों के फंसे होने की संभावना है। रेस्क्यू आज तीसरे दिन भी जारी है।
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फ़ोटो साभार: सोशल मीडिया

एक तरफ जहां एक जनवरी को देश और पूरी दुनिया नए साल के जश्न में जब डूबी थी वहीं दूसरी तरफ उसी समय हरियाणा के भिवानी जिले में सुबह तोशाम इलाके में डाडम पहाड़ी में खनन के दौरान हादसे में 5 मजदूरों की जान चली गयी। वहीं कुछ और लोगों के फंसे होने की संभावना है। रेस्क्यू आज तीसरे दिन भी जारी है। इस हादसे लेकर कई गंभीर सवाल उठ रहे है कि ख़तरनाक स्थति में खनन की मंजूरी दी कैसे गई? क्या मंजूरी से पहले इस साईट का निरीक्षण हुआ भी था या नहीं? मज़दूर संगठन इस हादसे को लेकर सीधे तौर पर खनन मालिकों की लापरवाही और सरकार के गैरज़िम्मेदाराना रवैये को जिम्मेदार बता रहे है। इस बीच सरकार ने इस पूरे मामले के जांच के आदेश दे दिए है। उधर मज़दूर संगठन और विपक्ष इस घटना की न्ययिक जांच की मांग कर रहा है। उसका कहना है कि इसमें करोड़ो का भ्र्ष्टाचार है।

क्या है पूरा मामला

भिवानी जिला मुख्यालय से करीब 30 किलो मीटर दूर उपमंडल तोशाम के गांव डाडम में खनन क्षेत्र में शनिवार को पहाड़ी ढहने से ये दर्दनाक हादस हुआ। इस हादसे में पांच मजदूरों की मौत हो गयी जबकि दो अन्य मजदूरों की हालत गंभीर है। अब भी कुछ मजदूरों के इन पत्थरों के नीचे दबे होने की आशंका है। हादसे के बाद पत्थरों के नीचे चार पोकलेन मशीनें, दो हॉल मशीनें, दो ट्रैक्टर और छह ट्रॉली एवं डंपर दब गए थे। इसमें एनडीआरएफ, एचडीआरएफ और सेना की टीमें बचाव कार्य में लगी हैं। जबकि स्थानीय प्रत्यक्षदर्शियों ने दावा किया कि इस हादसे के कई घंटे बाद तक रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू नहीं हुआ था।

बता दें कि अरावली पर्वतमाला क्षेत्र जिसमें ये पहाड़ी भी आती है वहां पिछले दो महीने से खनन के काम को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने प्रदूषण का हवाला देकर रोक लगा दी थी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के रोक लगाने के बाद खनन करने वाली एसोसिएशन खनन को दोबारा शुरू करने को लेकर बार-बार मांग उठा रही थी। इस हादसे से दो दिन पहले ही खनन पर रोक को हटाया गया था।

मज़दूर बिगुल ने इस हादसे पर कहा कि खनन पर रोक के चलते पत्थरों की मांग बढ़ गयी थी। खनन माफ़िया और जमाखोरों ने मांग को जानबूझकर भी बढ़ने दिया था। बढ़े हुए मांग के मद्देनजर अधिकाधिक मुनाफ़ा कमाने के लिए आज सुबह पहाड़ में बड़े पैमाने पर ब्लास्ट किये गये थे। उसकी वजह से ही पहाड़ दरक गया और यह बड़ा हादसा हुआ। खनन माफ़िया, ठेकेदार और सरकारी तन्त्र सीधे तौर पर श्रमिकों की मौत के लिए ज़िम्मेदार हैं। सरकारें जानबूझकर ऐसी घटनाओं की अनदेखी करती है।

"मुनाफे की हवस में गई मज़दूरों की जान"

2 जनवरी को किसान सभा, मज़दूर संगठन सीटू व कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी का एक संयुक्त प्रतिनिधि मंडल डाडम पहाड़ी हादसे की जांच-पड़ताल के लिए डाडम पहुंचा। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सीटू के राज्य उपप्रधान सतबीर सिंह कर रहे थे। इस प्रतिनिधिमण्डल में किसान सभा के ओमपकाश, सीटू जिला प्रधान राममेहर सिंह, हिसार के सीटू प्रधान सुरेश कुमार, सीटू नेता सुखेदव पालवास, मजदूर नेता सदीक डाडम व राजेन्द्र मील दुर्जनपुर शामिल थें।

सतबीर सिंह ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में इस घटना पर कहा कि "ये कुछ और नहीं बल्कि ठकेदारो की मुनाफे की हवस थी जिसने मज़दूरों की जान ली है। डाडम और खानक क्षेत्र में राज्य सरकार की मिलिभगत से ख़ान माफिया अवैध तरीके से अंधाधुंध खनन में लगा हुआ है, जिसका सुरक्षा उपायों पर कोई ध्यान नहीं है। उसी का परिणाम ये भंयकर खान दुर्घटना है, जिसमें चार मजदूरों की जान चली गई, दो गंभीर रूप से घायल हैं जबकि कुछ मजदूर अंदर दबे हुए बताए जा रहे हैं।

दोषियों को मिले सजा

सीटू,अखिल भारतीय किसान सभा की ओर से उपमंडल अधिकारी तोशाम के माध्यम से राज्य के मुख्यमंत्री को संयुक़्त ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि पीड़ितों को न्याय देने के लिए पंजाब हरियाणा के उच्च न्यायालय के मौजूदा जज के नेतृत्व में उच्च स्तरीय न्यायिक जांच करवाई जाए तथा दोषियों को कड़ी सजा दिलवाई जाए। प्रतिनिधिमंडल ने मांग की है कि भविष्य में सरकार जनहित खनन नीति लागू करे जो रोजगारोन्मुख हो, अंधाधुंध मुनाफाखोरी पर अकुंश लगाए, सुरक्षा उपाय बेहतर किए जाए और खनन नियमों का कड़ाई से पालन हो। मृतकों के आश्रितोँ को 50-50 लाख रूपये मुआवजा व सरकारी नौकरी के साथ तथा घायलों को 25-25 लाख रुपये सहायता दी जाए। उन्होंने राज्य सरकार से मांग की है कि खनन माफिया पर अकुंश लगाकर जनहित में नीति बनाई जाए।

अवैध खनन का आरोप

उधर प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि मामले में जांच के आदेश दिये गये हैं और अगर मानकों का उल्लंघन हुआ है तो दोषियों को बख्शा नहीं जायेगा। हालांकि, मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने अवैध खनन का आरोप लगाते हुए स्वतंत्र एवं न्यायिक जांच की मांग की है।

समाचार एजेंसी भाषा की खबर के मुताबिक कांग्रेस की हरियाणा इकाई की अध्यक्षा कुमारी शैलजा ने रविवार को मामले में न्यायिक जांच की मांग की और कहा कि इसकी निगरानी उच्चतम न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश द्वारा की जाए क्योंकि ‘‘खनन घोटाले का पर्दाफाश करने के लिए’’ इसकी आवश्यकता है।

पूरे हादसे के लिए भाजपा-जजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने शनिवार को आरोप लगाया था कि डाडम खनन क्षेत्र में 'हजारों करोड़ का घोटाला' हुआ है।

कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और तोशाम से विधायक किरण चौधरी ने इलाके में अवैध तरीके से खनन का आरोप लगाते हुए स्वतंत्र जांच की मांग की है।

वहीं सत्तधारी दल बीजेपी के स्थानीय सांसद धरमबीर सिंह जो मुआयना करने पहुंचे थे उन्होंने भी खनन से संबंधित मानकों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कहा कि वह मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से भूस्खलन और उसके कारणों की गहन जांच का आदेश देने का आग्रह करेंगे ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

पंचकूला में एक कार्यक्रम से इतर पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने पहले ही खनन विभाग को यह पता लगाने का निर्देश दिया है कि क्या साइट पर खनन के लिए निर्धारित मानकों का उल्लंघन तो नहीं हुआ। उन्होंने कहा, 'अगर कोई उल्लंघन पाया जाता है तो कार्रवाई की जाएगी।

हालांकि मुख्यमंत्री के दावे पर सवाल उठाते हुए मज़दूर नेता सतबीर ने कहा सरकार ने अपराधियों को ही जांच का आदेश दिया है। सरकार ने उन्हीं खनन विभाग के अधिकारियो को जांच का जिम्मा दिया है जो खुद इस हादसे के लिए ज़िम्मेदार है। सरकार अगर वास्तव में न्याय दिलाना चाहती है तो उसे तुरंत खनन विभग के जिम्मेदार अधिकारियो को बर्ख़ास्त कर एक न्यायिक जांच बैठाना चाहिए।

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