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हरियाणा : शिक्षकों को घर-घर जाकर राशन बांटने का आदेश, शिक्षकों ने आदेश को बेतुका बताया

"सरकार को इस गंभीर समस्या के लिए विशेष राहत पैकेज घोषित करने चाहिए जिससे दैनिक मज़दूरी करने वालों, रेहड़ी-पटरी लगाने वालों और स्कूली बच्चों को कुछ राहत मिल सकेगी और इस महामारी से मिलकर लड़ा जा सकेगा।"
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Image courtesy: India Today

हरियाणा सरकार की ओर से जारी एक आदेश में अध्यापकों को घर-घर जाकर बच्चों को राशन बांटने को कहा गया है। कोरोना महामारी से बचने के लिए राज्य में लॉकडाउन कर दिया गया है। इसी वजह से 10 दिन की छुट्टियों के दौरान स्कूली बच्चों तक खाना पहुँचाने के लिए विभाग ने शिक्षकों की ड्यूटी लगाई है। शिक्षकों को हर विद्यार्थी के हिस्से में आने वाला खाना उनके घरों तक पहुँचाना होगा। हालांकि, अध्यापकों ने कहा कि इस आदेश में बच्चों की सहायता का उद्देश्य कम व दिखावा ज़्यादा प्रतीत हो रहा है।

पूरा मामला है क्या?

कोरोना वायरस महामारी के कारण अभी स्कुल भी बंद हो गए जिस कारण मिड डे मील की स्कीम भी रुक गई थी। अभी वर्तमान में इस योजना के तहत 9.17 करोड़ छात्रों को भोजन मिल रहा है। इसलिए केरल की वामपंथी सरकार ने सुनिश्चित किया कि बच्चों को मिड डे मिल का भोजन उनके घर पे ही मिले।

जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए बाक़ी सरकारों को भी कहा की छात्रों को मिड डे मील दिया जाए। इसके तहत अलग-अलग राज्यों में सरकार ने शिक्षकों से कहा है कि वो घर घर जाकर उन्हें राशन पहुंचायें जिसको लकेर शिक्षकों में रोष है।

हरियाणा सरकार ने अपने आदेश में बताया कि प्राथमिक स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों को एक किलो अनाज और उससे बड़े बच्चों  को डेढ़ किलो अनाज दिया जाना चाहिये।

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सरकार के इस आदेश में कई तरह की समस्याए है जिसको लकेर हरियाणा के अध्यपकों ने आपत्ति जताई और इस फ़रमान को बेतुका कहा।

हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ ने कहा है कि सरकार ने पिछले छह महीनों से कई ज़िलों में मिड-डे मील का बजट नहीं बढ़ाया है और न ही कुछ शिक्षकों को मानदेय मिले हैं। संघ ने सवाल किया कि जब बजट ही नहीं होगा तो बच्चों की सहायता कैसे संभव है। वर्कर इस महंगाई व महामारी के समय बिना मानदेय के कैसे अपना व अपने परिवार का बचाव कर सकेंगे।

शिक्षक संघ के नेताओं ने यह भी कहा कि जिस राशन के लिए अध्यापकों को इस महामारी के समय घर-घर घुमाया जा रहा है उसकी प्राथमिक स्तर पर मात्रा सिर्फ़ एक किलो और उच्च प्राथमिक स्तर पर डेढ़ किलो है और संक्रमण फैलने का ख़तरा बहुत बड़ा है। एक ओर प्रधानमंत्री व सारा देश घरों में रहने की हिदायतें दे रहा है पर शिक्षा विभाग इसके एकदम उलट आदेश जारी कर रहा है।

हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ ने कहा है, "बच्चों व अभिभावकों की मदद का पक्षधर है और मांग करता है कि अगर सरकार वास्तव में गरीब बच्चों व अभिभावकों की कुछ मदद करना चाहती है तो मिड-डे मील का बजट तुरंत जारी किया जाए। राशन बांटने, पैकिंग, बजट संबंधी विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।"

हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के राज्य अध्यक्ष सी एन भारती ने कहा, "सरकार को इस गंभीर समस्या के लिए विशेष राहत पैकेज घोषित करने चाहिए जिससे दैनिक मज़दूरी करने वालों, रेहड़ी-पटरी लगाने वालों और स्कूली बच्चों को कुछ राहत मिल सकेगी और इस महामारी से मिलकर लड़ा जा सकेगा। अनेक देशों में सरकारें ऐसा कर चुकी हैं, हमारे देश में भी केरल सरकार ऐसा उदाहरण प्रस्तुत कर चुकी है।"

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