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नफ़रती भाषण: कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को ‘बेहतर हलफ़नामा’ दाख़िल करने का दिया निर्देश

दिल्ली की ‘धर्म संसद’ में कोई हेट स्पीच नहीं हुई, पुलिस के इस हलफ़नामे पर देश की सुप्रीम कोर्ट में एकबार फिर दिल्ली पुलिस की किरकिरी हुई है, लेकिन पुलिस इससे कोई सबक़ लेगी, नहीं लगता।
Supreme Court

देश की सुप्रीम कोर्ट में एकबार फिर दिल्ली पुलिस की किरकिरी हुई है। कोर्ट ने शुक्रवार को पूर्व में राजधानी में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हेट स्पीच (नफ़रती भाषणों) के संबंध में दिल्ली पुलिस के हलफनामे पर निराशा जतायी और उसे ''बेहतर हलफनामा'' दाखिल करने का निर्देश दिया।

दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा कि 19 दिसंबर 2021 को आयोजित दिल्ली धर्म संसद में कोई नफ़रती भाषण नहीं दिया गया। जिसके बाद से क़ानून के जानकर और पूर्व पुलिस अधिकारी इस पर सवाल उठा रहे थे। पूर्व आईपीएस अधिकारी विभूति नारायण राय ने तो न्यूज़क्लिक से बातचीत में इसे दुर्भाग्यपूर्ण तक बताया। उन्होंने पुलिस के रवैये पर नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कहा कि पुलिस नफ़रती भाषण देने वालों पर कार्रवाई नहीं कर रही है।

वीएन राय ने कहा कि इस धर्म संसद में काफी ख़राब भाषण दिए गये था परन्तु पता नहीं कैसे दिल्ली पुलिस को इसमें कुछ आपत्तिजनक नहीं लगा। खैर अब मामला सुप्रीम कोर्ट में है वो खुद इस मामले को देखेगा और सब सामने आ जाएगा कि ये भाषण कितने खतरनाक थे और इसके बाद पुलिस कार्रवाई करने से नहीं बच पाएगी।

पूर्व आईपीएस जो कह रहे थे, कोर्ट ने अपनी अगली ही सुनवाई में यही किया। 22 अप्रैल को न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति अभय एस ओका की पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज को निर्देश प्राप्त करने और चार मई तक ‘‘बेहतर हलफनामा’’ दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया।

पीठ ने कहा, ‘‘हलफनामा पुलिस उपायुक्त द्वारा दाखिल किया गया है। हमें उम्मीद है कि वह बारीकियों को समझ गए हैं। क्या उन्होंने केवल जांच रिपोर्ट फिर से पेश कर दी या दिमाग लगाया है। क्या आपका भी यही रुख है या उप निरीक्षक स्तर के अधिकारी की जांच रिपोर्ट फिर से पेश करना है?’’

पीठ ने कहा, ‘‘एएसजी ने बेहतर हलफनामा दाखिल करने के लिए अधिकारियों से निर्देश प्राप्त करने के लिए समय मांगा है...दो सप्ताह का समय देने का अनुरोध किया गया है। इस मामले को 9 मई को सूचीबद्ध करें। बेहतर हो, हलफनामा 4 मई को या उससे पहले दायर किया जाए।’’

दरअसल वरिष्ठ पत्रकार कुर्बान अली और पटना हाईकोर्ट की रिटायर्ड जज एवं सीनियर अधिवक्ता अंजना प्रकाश ने दिल्ली और उत्तराखंड में हुई कथित धर्म संसंद में दिए गए नफ़रती भाषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगाई है। जिसपर कोर्ट सुनवाई कर रहा है। याचिका में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने वालों के खिलाफ जांच एवं कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है। इसके साथ ही नफ़रती भाषण की घटनाओं की एसआईटी द्वारा ‘‘स्वतंत्र, विश्वसनीय और निष्पक्ष जांच’’ के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया है।

दिल्ली पुलिस ने हलफनामे में कहा है कि 19 दिसंबर 2021 को 'हिंदू युवा वाहिनी' की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में नफरत भरे भाषण दिए जाने का आरोप लगाते हुए कुछ शिकायतें दर्ज कराई गई थीं। इसके आधार पर सभी शिकायतों की जांच शुरू की गई थी। जिसमें पाया गया कि धर्म संसद में कोई नफ़रती भाषण नहीं दिया गया। इस मामले में अगली सुनवाई 9 मई के लिए निर्धारित है।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ।)

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