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"नूपुर शर्मा पर होती कार्रवाई तो नहीं सुलगता देश"

उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद हुई हिंसा के सिलसिले में पुलिस ने करीब 250 लोगों को गिरफ्तार किया है। अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने बताया कि इसमें प्रयागराज में 68, हाथरस में 50, सहारनपुर में 64, अंबेडकरनगर में 28, मुरादाबाद में 25 और फिरोजाबाद में 8 लोग शामिल हैं। इसके साथ ही आरोपियों पर रासुका लगाई जा रही है तो सहारनपुर में दो आरोपियों के मकानों पर अवैध निर्माण बताते हुए बुलडोजर चलाया गया है। लेकिन "नूपुर शर्मा पर कार्रवाई को लेकर मौन के असल सवाल पर सत्ताधारी व पुलिस प्रशासन सभी चुप हैं जो भी सभी को खल रहा है।
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सहारनपुर में हिंसा के आरोपियों के घर बुलडोजर चलाया गया है। पुलिस का कहना है कि आरोपियों के घर पर अवैध निर्माण को गिराया गया है। पैगंबर मोहम्मद पर बीजेपी प्रवक्ता के विवादित बयान के बाद उत्तर प्रदेश में प्रयागराज, सहारनपुर समेत कई स्थानों पर हिंसा भड़की थी। जानकारी के मुताबिक, अभियुक्त मुजम्मिल पुत्र अस्मत निवासी राहत कॉलोनी 62 फुटा रोड थाना कोतवाली देहात जनपद सहारनपुर के मकान पर नगर निगम की टीम के साथ मिलकर द्वारा बुलडोजर प्रभावी कार्रवाई कारवाई की गई है। अभियुक्त अब्दुल वाकीर पुत्र बिलाल निवासी खाता खेड़ी बिलाल मस्जिद थाना मंडी जनपद सहारनपुर के मकान पर नगर निगम की टीम के साथ मिलकर द्वारा बुलडोजर प्रभावी कार्रवाई हुई है।

इस बीच, हिंसा करने वालों को परोक्ष चेतावनी देते हुए, उप्र के मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने शनिवार को एक ट्वीट में कहा, 'उपद्रवी याद रखें, हर शुक्रवार के बाद एक शनिवार ज़रूर आता है…' कुमार ने अपने ट्वीट के साथ एक इमारत को ध्वस्त करते हुए एक बुलडोजर की तस्वीर भी ट्वीट की। वहीं मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रहे व देवरिया से भाजपा विधायक शलभ मणि त्रिपाठी ने इसे बलवाइयों का रिटर्न गिफ्ट बताया है। दरअसल, सोशल मीडिया पर बवाल के बाद का एक वीडियो इन दिनों वायरल हो रहा है। इसमें कुछ पुलिसकर्मी आरोपियों को लॉकअप में डंडे बरसाते नजर आ रहे हैं। इस वीडियो को सहारनपुर का बताया जा रहा है। इसी वायरल वीडियो पर भाजपा विधायक ने भी टिप्पणी की है। हालांकि स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने इस वीडियो की पुष्टि नहीं की है। पुलिस अभी मामले में कुछ भी कहने से बच रही है। दूसरी ओर, समूचे विपक्ष ने भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा आदि पर भी कड़ी कार्रवाई करने और निर्दोषों का उत्पीड़न न करने की मांग पुलिस प्रशासन से की है। 

उधर, विपक्ष के नेताओं का कहना है कि नूपुर शर्मा पर समय से कार्रवाई हो गई होती तो आज देश न सुलगता। इस असली बात आज के ज्यादातर अख़बार भी छुपा ले गए। नुपुर शर्मा के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर देश भर में प्रदर्शन हुआ आज के सभी अखबारों में इससे संबंधित खबर है लेकिन कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है या उस दिशा में क्या हो रहा है उस पर कोई खबर नहीं दिखी। भड़ास 4 मीडिया पर संजय सिंह सवाल उठाते हैं कि दिल्ली में (केंद्र) सरकार समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होना अब कोई दबा-छिपा मामला नहीं है और मांग करने वालों का विरोध अखबारों में सोशल मीडिया पर आम है। दिल्ली में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय पर हमले की आरोपी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो बात आई-गई हो गई लेकिन पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ बोलने वाले के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी तो मांग ज्यादा और तेज होगी इसमें कोई शक नहीं है। वही हो रहा है पर बहुत लोगों को यह अजूबा लग रहा है और सबकी अपनी व्याख्या है।

दूसरी ओर, हिंसा या पत्थरबाजी निश्चित रूप से गलत है लेकिन अपनी बात रखने का दूसरा तरीका क्या है। विकल्प क्या है। संजय लिखते हैं कि कार्रवाई की मांग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुई और उसके नाम पर आंख में धूल झोंकने से ज्यादा कुछ नहीं हुआ। उसका विरोध कैसे किया जाए और क्यों नहीं किया जाए। ठीक है हिंसा और पत्थरबाजी गलत है और जब तक कोई सही रास्ता नहीं मिले हिंसा नहीं होनी चाहिए। पर पुलिस कार्रवाई के साथ तो ऐसा नहीं है। वहां तो कायदा कानून सब ठीक है और ज्ञात है। फिर गलती या देरी सच कहिये तो दोनों क्यों हो रही है। कहने की जरूरत नहीं है कि वीडियो में पुलिस भी पत्थर फेंकती दिखती है। क्या इसे सही कहा जाएगा। क्या इसके लिए कार्रवाई की मांग का कोई घोषित और मान्य तरीका है जिस पर कार्रवाई हुई हो, होती हो। मेरे ख्याल से नहीं। इसलिए मुझे नहीं लगता है कि स्थिति ठीक होने वाली है या ठीक करने की कोई इच्छा है। इसलिए समझना उन्हें ही होगा जो हिंसा कर रहे हैं। नुकसान भी उनका ही तो हो रहा है।

बात विपक्षी राजनीतिक नेताओं की करें तो सुहेलदेव समाज पार्टी के नेता ओम प्रकाश राजभर ने शनिवार को प्रदेश के कई जिलों में जुमे की नमाज के बाद पत्थरबाजी की घटनाओं को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्‍होंने इस हिंसा के लिए भारतीय जनता पार्टी की नेता नूपुर शर्मा को कसूरवार ठहराया है। इसके साथ राजभर ने कहा कि अगर सरकार ने समय रहते उन पर कार्रवाई कर दी होती तो यह घटना नहीं होती। देश संविधान से चलता है, बुलडोजर से नहीं। ओपी राजभर ने कहा कि वर्तमान समय में पूरे देश में और उत्तर प्रदेश में अराजकता की हालत है। शुक्रवार को कई जगह हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं। इस घटना के लिए भारतीय जनता पार्टी की नेता नूपुर शर्मा जिम्‍मेदार हैं। समय रहते सरकार ने कार्रवाई करते हुए नूपुर और उनके साथी को मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया होता तो कोई घटना नहीं होती। सरकार इन दोनों को बचाने में लगी हुई है।

बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पैगंबर मोहम्मद पर दिए गए विवादित बयान के बाद भारतीय जनता पार्टी की प्रवक्‍ता नूपुर शर्मा पर निलंबन की कार्रवाई को नाकाफी बताया है। दोनों नेताओं ने कहा कि भाजपा को भी अपने लोगों पर सख्ती से शिकंजा कसना चाहिए। समाजवादी पार्टी के प्रमुख और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा,’ भाजपा नूपुर शर्मा पर सिर्फ निलंबन की दिखावटी कार्रवाई न करे बल्कि कानूनी कदम उठाए। साथ ही कहा कि विवादित बयान पर भाजपा से निलंबन तो उनका भी हुआ था, जो आज यूपी की भाजपा सरकार में मंत्री बने बैठे हैं।

बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सोमवार को ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, ‘देश में सभी धर्मों का सम्मान जरूरी। किसी भी धर्म के लिए आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल उचित नहीं। इस मामले में बीजेपी को भी अपने लोगों पर सख्ती से शिकंजा कसना चाहिए।’ वहीं, इसी ट्वीट में शर्मा और जिंदल का नाम लिए बिना मायावती ने कहा कि केवल उनको निलंबित करने और निकालने से काम नहीं चलेगा बल्कि उनको सख्त कानूनों के तहत जेल भेजना चाहिए।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी को लेकर बीजेपी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि फ्रिंज (अराजक) भाजपा के मूल में है। साथ ही राहुल गांधी ने बुधवार को सरकार के शीर्ष नेताओं के पिछले कुछ बयानों पर प्रकाश डाला। निलंबित भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल के मोहम्मद पैगंबर पर दिए गए बयान पर मुस्लिम देशों ने कड़ी आपत्ति जताई है। इसके बाद राहलु गांधी ने ट्वीट कर बीजेपी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस तरह की टिप्पणियों से खुद को दूर कर लिया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि कुछ व्यक्तियों के बयान सरकार का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। राहुल गांधी ने अमित शाह, योगी आदित्यनाथ, अनुराग ठाकुर और साध्वी प्रज्ञा जैसे भाजपा नेताओं के बयानों पर समाचार रिपोर्टों की सुर्खियों को साझा करते हुए कहा कि फ्रिंज बीजेपी का मूल है।

उधर, भाकपा (माले) ने मांग की है कि पैगम्बर विवाद खड़ा करने वाले भाजपा नेताओं, जो सरकार की नजर में हाशिए के तत्व (फ्रिंज) हैं, को सरकार जेल भेजे और अशोभनीय टिप्पणी का विरोध करने वाले निर्दोष लोगों का उत्पीड़न रोके। माले नेता ने कहा कि इसका जिम्मेदार भाजपा और उसकी सरकार है। अशोभनीय टिप्पणी करने वाले जिन नेताओं को वह हाशिए का तत्व बताकर मामले को हल्का बनाना चाहती है, दरअसल वे भाजपा की मुख्य धारा के नेता हैं। भारतीय सामानों के बहिष्कार की अरब देशों  की चेतावनियों से अपने प्रिय कारपोरेट घरानों के आर्थिक हितों को पहुंचने वाले नुकसान को देखकर भाजपा ने अपने दोनों नेताओं–नूपुर शर्मा व नवीन जिंदल का निलंबन-निष्कासन तो किया, मगर सरकार ठोस कार्रवाई करने से बच रही है। 

सिर्फ मुकदमा दर्ज कर वह चुप है और दोषी नेताओं को जेल नहीं भेजना चाहती। जबकि शिकायत व प्रतिवाद करने वाले अल्पसंख्यकों के विरुद्ध न सिर्फ एफआईआर दर्ज हो रहे हैं, बल्कि उन्हें जेल तक भेजा जा रहा है। माले नेता ने कहा कि शर्मा, जिंदल पर कार्रवाई के क्रम में उचित होगा कि सांप्रदायिक उन्माद भड़काने और एक समुदाय के खिलाफ नफरती बयान दे-देकर अपना कैरियर बनाने वाले भाजपा नेताओं की समीक्षा की जाए और उनके खिलाफ भी कार्रवाई हो।

साभार : सबरंग 

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