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हरियाणा में भी अविश्वास प्रस्ताव, किसानों ने भी की मोर्चाबंदी, सत्ता पक्ष के विधायकों को ज्ञापन सौंपे

खट्टर सरकार के ख़िलाफ़ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव के लिए समर्थन जुटाने के लिए भारतीय किसान यूनियन- हरियाणा के आह्वान पर किसानों ने मंगलवार को  अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में विधायकों को ज्ञापन सौंपें।
हरियाणा में भी अविश्वास प्रस्ताव, किसानों ने भी की मोर्चाबंदी, सत्ता पक्ष के विधायकों को ज्ञापन सौंपे

उत्तराखंड में तो अपने ही विधायकों के असंतोष और विरोध के चलते भारतीय जनता पार्टी को अपनी ही सरकार में फेरबदल करते हुए अपने मुख्यमंत्री से इस्तीफ़ा लेना पड़ा है। जी हां, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा है। इसके उलट हरियाणा में विपक्ष और किसान भाजपा की खट्टर सरकार की घेराबंदी कर रहे हैं। जी हां, हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के ख़िलाफ़ विपक्ष 10 मार्च यानी बुधवार को अविश्वास प्रस्ताव ला रहा है। अविश्वास प्रस्ताव किसानों के हक़ में और तीन नये कृषि कानूनों के विरोध में है।

किसान भी यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि सत्तारूढ़ बीजेपी और जेजेपी व अन्य विधायक भी उनके साथ आकर खट्टर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में मतदान करें। 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में बीजेपी की 40 सीटें और जननायक जनता पार्टी यानी जेजेपी की 10 सीटें हैं और सरकार को पांच स्वतंत्र विधायकों का समर्थन हासिल है।

अविश्वास प्रस्ताव के लिए समर्थन जुटाने के लिए भारतीय किसान यूनियन- हरियाणा के नेता गुरनाम सिंह चाडूनी के आह्वान पर किसानों ने मंगलवार को  अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में विधायकों के घरों के बाहर विरोध प्रदर्शन करते हुए उन्हें ज्ञापन सौंपे।

इस ज्ञापन में विधायकों से कहा गया है कि “10 मार्च 2021 को आप सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव पर बहस में सरकार के ख़िलाफ़ वोट करें। यही एकमात्र तरीका है जिसमें जन-विरोधी सरकारें एक महत्वपूर्ण सबक सीखेंगी। यदि आप सरकार के समर्थन में मतदान करते हैं, तो इस निर्वाचन क्षेत्र में जनता आपको सबक सिखाने के लिए मजबूर होगी।”

किसानों की इस मोर्चाबंदी से सत्तारूढ़ बीजेपी में खलबली है और उसने अपने विधायकों को लेकर व्हिप जारी कर दिया है। व्हिप जारी होने के बाद अविश्वास प्रस्ताव के दौरान पार्टी के विधायक पार्टी के खिलाफ वोटिंग नहीं कर सकेंगे। साथ ही सभी विधायकों को हर हाल में सदन में मौजूद रहना होगा। अगर वे ऐसा नहीं करते तो उनकी सदस्यता निरस्त हो सकती है।

अब इसी से आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि सदन में अपने बहुमत को लेकर खुद को आशवस्त दिखा रही बीजेपी भीतर से किस कदर हिली हुई है।

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