फ़िलिस्तीनी क़ैदियों को लेकर अंतर्राष्ट्रीय दिवस दुनिया भर में मनाया गया
हर साल 17 अप्रैल को फ़िलिस्तीनी क़ैदियों को लेकर अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। इस दिन इज़रायल की जेलों और हिरासत केंद्रों व पूछताछ केंद्रों में क़ैद हज़ारों फ़िलीस्तीनी पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के साथ एकजुटता व्यक्त किया जाता और उन्हें याद किया जाता है।
अधिकांश फ़िलिस्तीनी क़ैदियों और बंदियों को इज़़रायल ने उनके अपराध को लेकर नहीं बल्कि क्रूर इज़़रायली क़ब्ज़े का विरोध करने को लेकर उनको क़ैद किया है। अहिंसक, शांतिपूर्ण आंदोलन और विरोधों के बावजूद फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध को इज़रायल के अधिकारियों द्वारा दबा दिया गया है। फ़िलिस्तीन के मामलों और क्रूर इज़रायल के क़ब्ज़े में मुसीबत झेलने वालों के बारे में जागरूकता फैलाने में लगे लोगों को भी दंडित किया गया है और उन्हें अक्सर गिरफ़्तारी का सामना करना पड़ा है।
इस साल ये तारीख़ और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि घातक कोरोनोवायरस महामारी के चलते पूरे विश्व में उथल पुथल, चिंता और अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है।
फ़िलिस्तीनी क़ैदी जो पहले से ही क़ब्ज़े के चलते गंभीर कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं और बेहद अमानवीय और ख़तरनाक परिस्थितियों में रह रहे हैं, अब ज़िंदगी ख़त्म करने वाले वायरस के प्रकोप से जूझना पड़ रहा है ऐसे में इज़़रायल की जेल के अधिकारियों की तरफ से उन्हें इज़़रायल की उदासीनता, चिकित्सा की उपेक्षा और सख्त तिरस्कार का सामना करने की आशंका है।
आख़िरी बार सामने आए आंकड़ों के मुताबिक़ लगभग 5500 से अधिक फ़िलिस्तीनी क़ैदी हैं जिनमें राजनीतिक क़ैदी और प्रशासनिक बंदी शामिल हैं और ये वर्तमान में इज़रायल की जेलों और हिरासत केंद्रों में रखे गए हैं। इज़रायल की हिरासत में 432 प्रशासनिक बंदी, 41 महिलाएं, 183 बच्चे, 700 गंभीर रूप से अस्वस्थ क़ैदी हैं जिनमें से 200 को पुरानी या जानलेवा बीमारियां हैं।
अंतर्राष्ट्रीय क़ानून और मानवाधिकार समझौते के तहत कब्जा करने के चलते इजरायल अपने नियंत्रण में रखने वाले लोगों की देखरेख करने के लिए बाध्य है जिसमें कैदी भी शामिल हैं। अपने दायित्वों को पूरा न करना भी इजरायल द्वारा अपने कानूनों का उल्लंघन है।
कोरोनावायरस महामारी के प्रकोप के बाद से मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों, क़ैदियों का समर्थन करने वाले समूहों द्वारा इज़़रायल के अधिकारियों से अपील की गई है कि जेल में बंद क़ैदियों के बीच इसके प्रसार को रोकने के लिए तत्काल सभी फ़िलिस्तीनी कैदियों को बिना शर्त रिहा करे। लेकिन इस मानवतापूर्ण अपील को भी नज़रअंदाज़ कर दिया गया है, क्योंकि इज़रायल न केवल क़ैदियों को अपनी हिरासत में पहले से ही रखे हुए है बल्कि फ़िलिस्तीनी घरों, गांवों और क़स्बों पर छापा मार कर अपने दमनात्मक और आपराधिक नीतियों को जारी रखे हुए है। साथ ही इज़रायल सैंकड़ों हजारों फ़िलीस्तीनियों को पकड़ने का सिलसिला जारी रखे हुए।
साभार : पीपल्स डिस्पैच
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