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इराक़ : नई सरकार के लुभावने वादों के बावजूद फिर शुरू हुआ विरोध

इराक़ की राजधानी बग़दाद सहित दक्षिणी इराक़ के विभिन्न शहरों में लोग सड़कों पर आ गए। सबसे गंभीर घटना तब हुई जब एक राजनीतिक पार्टी के मुख्यालय में आग लगा दी गई।
इराक़

रविवार 10 मई को इराक़ में सरकार विरोधी प्रदर्शन नए सिरे से फिर से शुरू हो गए। इराक़ में नई सरकार बनने और नए प्रधानमंत्री मुस्तफ़ा अल-क़दीमी के चुने जाने के कुछ दिन बाद ही प्रदर्शनकारी सड़कों पर आ गए हैं। यह विरोध प्रदर्शन देश के दक्षिणी हिस्से के शहरों जैसे बग़दाद, बाबेल, वासित, नासिरिया और अन्य में हुए हैं।

राजधानी बग़दाद में प्रदर्शनकारी तहरीर स्क्वायर पर जमा हुए थे। हालांकि कोविड-19 संक्रमण को देखते हुए एक जगह पर इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगाया गया है।

प्रदर्शनकारियों ने सरकार के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की। लोगों ने शहर को ग्रीन ज़ोन से जोड़ने वाले अल-जम्हूरीया पुल पर खड़े सुरक्षा बलों पर पत्थरबाज़ी भी की। प्रदर्शनकारियों ने नई सरकार को पुरानी भ्रष्ट सरकार जैसा ही बताते हुए कहा कि यह सरकार भी पिछली सरकार की तरह ही भ्रष्ट और नाकाम राजनीतिक बिज़नेस एलीट का हिस्सा है, जिसकी वजह से देश में ग़रीबी, बेरोज़गारी, अस्त व्यस्तता फैली है और इसी की वजह से मौजूद समय में आम नागरिक आर्थिक तौर पर बेहद कमज़ोर हो गया है।

प्रदर्शनकारियों ने उन मांगों को भी दोहराया जो अक्टूबर 2019 के प्रदर्शन की मांगें थीं। इनमें जल्दी चुनाव, नया वोटिंग क़ानून, देश के राजनीतिक सिस्टम में बदलाव, मौजूदा सत्ता का पतन जैसी मांगें शामिल थीं। इसके साथ ही उन्होंने 1 अक्टूबर यानी सरकार विरोधी प्रदर्शन शुरू होने के बाद से अब तक 600 प्रदर्शनकारियों की हत्या के लिए सुरक्षा बलों की ज़िम्मेदारी और जवाबदेही तय करने की भी मांग की।

दक्षिणी शहर वासित में ग़ुस्साये प्रदर्शनकारियों ने बद्र आर्गेनाइजेशन पार्टी के मुख्यालय में आग लगा दी, और एक अन्य राजनीतिक दल के एमपी के भी घर को आग लगा दी गई।

हालांकि नए प्रधानमंत्री अल-कदीमी ने शनिवार, 9 मई को कुछ मिलाप उपायों का ऐलान किया था, जिसमें कुछ प्रदर्शनकारी उपायों की घोषणा की गई, जिसमें प्रदर्शनकारियों की हत्या की पूरी जांच करने और जेल में बंद लोगों को रिहा करने सहित कई उपायों की घोषणा की गई। प्रधानमंत्री ने संसद से नए चुनावों के लिए जरूरी नए मतदान कानून को अपनाने का भी आह्वान किया, जो प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांग थी। एक अन्य प्रमुख कदम में, उन्होंने जनरल अब्दुलवहाब अल-सादी को इराक़ की एलीट काउंटर टेररिज्म सर्विस के प्रमुख के रूप में बहाल किया और पदोन्नत किया। यह प्रदर्शनकारियों के बीच एक लोकप्रिय मिलिट्री चेहरा हैं

अल-कदीमी ने सभी राज्य के खर्चों को रोकने के लिए पिछली सरकार के फैसले को भी रद्द करने की घोषणा की, जिसमें सिविल सेवकों के लिए वेतन और पेंशन भुगतान भी शामिल है, यह कहते हुए कि अगले कुछ दिनों में पेंशन का भुगतान किया जाना शुरू हो जाएगा, यह एक महत्वपूर्ण वित्तीय निर्णय है जो हर 5 इराक़ी नागरिक में से एक को प्रभावित करेगा।

इसके बावजूद, कुछ प्रदर्शनकारियों ने अल-जज़ीरा से कहा है कि अल-कदीमी के पास ख़ुद को साबित करने के लिए केवल 10 दिन हैं, और अगर वह अपनी मांगों को पूरा करने में विफल रहते हैं, तो उनका विरोध तेज़ हो जाएगा।

साभार : पीपल्स डिस्पैच

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