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'लखीमपुर खीरी हिंसा' के पीड़ितों के मुआवज़े में देरी का मुद्दा राज्यसभा में उठा

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में मृतकों के परिजनों को सरकारी नौकरी और घायल किसानों को 10 लाख रुपये का मुआवज़ा देने के उत्तर प्रदेश सरकार के आश्वासन को पूरा करने में विलंब का मुद्दा उठाया गया।
rajya sabha
फ़ोटो साभार: पीटीआई

राज्यसभा में शुक्रवार को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में मृतकों के परिजनों को सरकारी नौकरी और घायल किसानों को 10 लाख रुपये का मुआवज़ा देने के उत्तर प्रदेश सरकार के आश्वासन को पूरा करने में विलंब का मुद्दा उठाया गया।

राष्ट्रीय लोक दल के जयंत चौधरी ने शून्यकाल के तहत उच्च सदन में यह मामला उठाया।

शून्य काल के दौरान विभिन्न दलों के सदस्यों ने बिहार में कथित तौर पर बढती अपराध की घटनाओं, देश भर में आग लगने की बढ़ती घटनाओं पर अंकुश लगाने और करतारपुर जाने वाले श्रद्धालुओं को होने वाली परेशानियों सहित कई मुद्दे उठाए।

जयंत चौधरी ने लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों का एक साल बाद भी मुआवज़ा ना मिलने का मुद्दा उठाते हुए केंद्र सरकार से इस दिशा में समुचित क़दम उठाने की मांग की।

उन्होंने कहा कि एक दिसंबर, 2021 को ‘‘लखीमपुर नरसंहार’’ ने देश के किसानों को झकझोर कर रख दिया था, जिसकी चर्चा पूरे देश में हुई थी।

उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश की सरकार ने आश्वासन दिया था कि घायलों को 10 लाख रुपये का मुआवज़ा और चार मृतक किसानों के परिजनों में से एक को सरकारी नौकरी दी जाएगी।

उन्होंने कहा, ‘‘एक साल हो चुका है, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई है।’’

चौधरी ने इस दिशा में उचित क़दम उठाने की मांग करते हुए सवाल उठाया कि सरकार यदि वादे पूरे ना करे तो जनता क्यों उस पर विश्वास करे?

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