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जामिया: नूंह हिंसा के ख़िलाफ़ प्रोटेस्ट पर पुलिस का पहरा, छात्रों ने पूछा कहांं है हमारा राइट टू प्रोटेस्ट?

दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में आज कई छात्र संगठनों ने नूंह हिंसा के विरोध में हरियाणा भवन तक मार्च की एक कॉल दी थी। लेकिन पुलिस ने उन्हें कैंपस से ही बाहर नहीं आने दिया।
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दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की तरफ जाते रास्ते पर भारी सुरक्षा बल और दिल्ली पुलिस की तैनाती के साथ ही जगह-जगह बैरिकेडिंग की गई थी। गेट नंबर सात से अंदर जाने वाले हर छात्र का आईकार्ड चेक किया जा रहा था। हालांकि छात्रों को ख़ुद ही नहीं पता था कि उनके कैंपस को आज पुलिस छावनी में क्यों तब्दील किया गया है।

दरअसल 31 जुलाई को मेवात के नूंह में हुई हिंसा और उसके बाद के बुलडोज़र एक्शन के विरोध में क़रीब दस छात्र संगठनों की तरफ से आज एक मार्च का आयोजन किया गया था। ये मार्च जामिया यूनिवर्सिटी से दिल्ली के हरियाणा भवन तक जाना था। लेकिन पुलिस की तैनाती और गेट पर लगे ताले से साफ ज़ाहिर था कि छात्र अपने कैंपस से बाहर तक नहीं निकल पाएंगे।

डेढ़ बजे के क़रीब गेट पर हलचल बढ़ी और पुलिस और सुरक्षा बल के जवान सतर्क हो गए, गेट पर भले ही ताला लगा था लेकिन बावजूद बैरिकेडिंग कर दी गई थी और पुलिस ने एक घेरा बना लिया था।

जामिया, गेट नम्बर 7 के बाहर भारी पुलिस बल की तैनाती

विश्वविद्यालय के अंदर छात्र बैनर-पोस्टर के साथ बढ़ते हुए आगे आए लेकिन ताला बंद होने की वजह से उन्होंने गेट पर ही जमकर नारेबाज़ी शुरू कर दी। लेकिन दिल्ली पुलिस भी जी-20 के मद्देनज़र कोई कोताही करने के मूड में नहीं थी हैरानी की बात ये थी कि मुट्ठी भर छात्रों को रोकने के लिए प्रशासन की तरफ से भारी इंतज़ाम किए गए थे।

छात्रों के हाथ में जो बैनर थे उनपर लिखा ''SAVE NUH'', ''STOP VHP SHOBHA YATRA ON 28TH AUG IN NUH'', ''मेवात में मुसलमान युवाओं की गिरफ़्तारी बंद करो''। प्रशासन के रोकने से नाराज़ Fraternity Movement से जुड़े एक छात्र ने कहा कि '' हम बाहर जाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन पुलिस-प्रशासन और यहां (जामिया) के एडमिनिस्ट्रेशन ने मिलकर हमें यहां बंद कर दिया, कल प्रॉक्टर ने फोन करके बोला है अगर पुलिस किसी को हिरासत में लेती है तो इसमें यूनिवर्सिटी प्रशासन की कोई जिम्मेदारी नहीं है। ये इतने अफसोस की बात है कि यहां जामिया के छात्र हक की बात कर रहे हैं लेकिन प्रशासन हमारी बजाए आरएसएस का साथ दे रहा है।'’

हमारी अपील है कि जितने भी छात्र संघ हैं, जितनी भी यूनिवसिर्टी हैं उन्हें मेवात के मुद्दे को उठाना चाहिए। क्योंकि मेवात में 1200 घरों और दुकानों को तोड़ा गया है, और तीन सौ से ऊपर लोगों को गिरफ़्तार किया गया है। यहां इतने हथियार इस्तेमाल किए गए, हम ये बात बाहर लाना चाहते थे, लेकिन हमें यहां से निकलने नहीं दिया गया, हम प्रोस्टेट करते हैं तो जामिया प्रशासन की तरफ से हमें कारण बताओ नोटिस भेजा जाता है। यहां कहा जाता है कि ''अगर आपने प्रोटेस्ट में हिस्सा लिया तो आपको सीधा निष्कासित किया जाएगा।'' ये छात्र आगे कहता है कि ''हम चाहते हैं कि वीएचपी की रैली को रोका जाए, हम मीडिया रिपोर्ट्स नहीं मानेंगे, सरकार की तरफ से इस पर एक नोटिस आना चाहिए। दूसरा मोनू मानेसर एक अपराधी है लेकिन वो खुला घूम रहा है। उसकी गिरफ़्तारी होनी चाहिए, जिन लोगों के घर टूटे हैं उनका पुनर्वास होना चाहिए।''

दिल्ली पुलिस के द्वारा मार्च को रोकने से नाराज़ एक और छात्र ने कहा कि ''दिल्ली पुलिस को जब इंसाफ देने की बात आती है तो वो पीछे हट जाती है, जब कोई इंसाफ की मांग के लिए उठता है तो उन्हें रोक देती है। कह रहे हैं कि जी-20 की मीटिंग होने वाली है, क्या जी-20 की बैठक करवा रहे हो, यहां छात्रों से उनकी आज़ादी छीनी जा रही है और आप जी-20 की बैठक की बात करते कर रहे हो।''

गौरतलब है कि विश्व हिंदू परिषद ने घोषणा की थी कि वे ब्रज मंडल यात्रा को फिर से आयोजित करेगी। 13 अगस्त को हरियाणा के पलवल में आयोजित हिन्दुत्ववादी संगठनों की एक महापंचायत में ऐलान किया गया था कि 31 जुलाई को बाधित हुई यात्रा को 28 अगस्त को फिर से निकाला जाएगा।

हालांकि इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 3 सितंबर को तावडू में जी- 20 की बैठक का हवाला देते हुए यात्रा को अनुमति नहीं दी गई। जबकि द वायर पर छपी ख़बर के मुताबिक़ बजरंग दल के एक सदस्य ने कहा है कि वे यात्रा जारी रखेंगे।

मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से आ रही इन ख़बरों पर प्रोटेस्ट कर रहे 'मेवाती स्टूडेंट्स यूनियन' के एक छात्र ने कहा कि ''यात्रा रोक दी गई है ये हमें तब सुकून देने वाली बात लगेगी जब ये एसपी या फिर डीसी लिख कर दे दें या फिर सरकार की तरफ से ये लिखित में मिले'' वे आगे कहते हैं कि '' इस बार वीडियो तो नहीं आ रहे लेकिन स्क्रीन शॉट आ रहे हैं जिनमें सीधे-सीधे धमकी दे रहे हैं ना हम प्रशासन की मानेंगे ना हम सरकार की। हम आएंगे मेवात जिससे रोका जाए रोक ले।'’

प्रदर्शन कर रहे छात्र

छात्रों ने बताया कि वे शांतिपूर्वक मार्च करते हुए हरियाणा भवन जाकर एक मेमोरेंडम देना चाहते थे। प्रोटेस्ट कर रहे छात्रों ने अपनी मुख्य मांगे भी बताईं-

मुख्य मांगे

  • मेवात के मुसलमानों को इंसाफ मिले
  • जिन 1208 मकान-दुकानों को तोड़ा गया है उन्हें दोबारा से बनाया जाए
  • मेवात में चल रही बड़े लेवल पर मुसलमानों की गिरफ़्तारी को रोका जाए

इस प्रोटेस्ट में जामिया में पढ़ने वाले कई मेवाती मुसलमानों ने आरोप लगाया कि गिरफ़्तारी के नाम पर लोगों से वसूली की जा रही है। एक छात्र ने कहा कि ''सौ फीसदी सिर्फ़ मुसलमानों की गिरफ्तारी चल रही है, एकतरफा।

अभी भी गिरफ़्तारी चल रही है किसी दिन 15 उठा लेते हैं किसी दिन 20 उठा लेते हैं। कोई सामान खरीदने जाता है उसे उठा लेते हैं, कोई जॉब पर जा रहा है उसे उठा लेते हैं, कोई ऑटो चला रहा है, कोई गाड़ी चला रहा है उसे उठा लेते हैं।''

मेवात से ही आने वाले एक छात्र ने आरोप लगाया कि ''मेरे गांव से 16 लोगों को उठाया गया है। मास अरेस्टिंग चल रही है, हम सरकार से निवेदन करना चाहेंगे इस मास अरेस्टिंग को रोका जाए। अरेस्टिंग के नाम पर पुलिस वसूली का धंधा कर रही है। लोगों को तीन लाख से पांच लाख लेकर छोड़ा जा रहा है।'' जब हमने उस छात्र से पूछा कि क्या अब भी गिरफ्तारियां हो रही है तो उसका जवाब था '' बिल्कुल, परसो मेरे गांव से 6 लोगों को उठाया है, लोगों में डर है, गांव के मर्दों ने गांव छोड़ दिया है। लोग रिश्तेदारों में चले गए हैं। हम सरकार से निवेदन करना चाहते हैं कि उन्हें छोड़ा जाए और जो मुख्य आरोपी हैं, जिन लोगों पर दंगे को भड़काने का आरोप है उनको गिरफ़्तार किया जाए।एक नहीं बल्कि मेवात से आने वाले कई छात्रों ने आरोप लगाया कि गिरफ़्तारियों का सिलसिला थम नहीं रहा है। वहीं उनके जनप्रतिनिधि भी गायब हो गए हैं। ऐसे में वे किससे कहें, इन्हीं मांगों के साथ वे हरियाणा भवन जाना चाहते थे लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें कैंपस के गेट से ही बाहर नहीं निकलने दिया।

एक नाराज़ छात्र ने कहा कि ''आप यहां देख सकते हो ताले लगा दिए गए हैं और वहां पर पूरी बैरिकेडिंग कर दी है। जितने स्टूडेंट नहीं हैं, उससे ज़्यादा पुलिस को खड़ा कर दिया गया है। उससे भी ज़्यादा पैरा मिलिट्री के जवान खड़े हैं, बहुत ही शर्म की बात है। छात्रों से इतना डर, हम छात्र हैं कि आतंकवादी। हम सिर्फ छात्र हैं हमारे हाथ में क्या है आप देख सकते हो। ये कलम है और ये कागज है और क्या है?''

वहीं एक और छात्र ने कहा कि '' मैं मेवाती हूं, मेरे चाचा का घर तोड़ दिया गया। हम यहां पढ़ने के लिए आए हैं लेकिन अब पढ़ें कि जाकर टूटा घर देखें।'' ये छात्र आगे कहता है कि ''अगर पुलिस वक़्त पर काम करती और वहां बजरंग दल को रोकती तो इस तरह की हिंसा नहीं होती। और यहां छात्र अपने संवैधानिक अधिकारों के तहत प्रोटेस्ट करना चाहते हैं, शांतिपूर्वक अपनी बात रखना चाहते हैं, लेकिन आप देख सकते हैं कैसे ताले लगा दिए गए हैं, ऐसे व्यवहार क्यों किया जा रहा है, कहां है हमारा राइट टू प्रोटेस्ट?

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