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झारखंड: राजनीतिक अवसरवाद में दल-बदल और भ्रष्टाचार का घालमेल, क्या जल्द खिलेगा कमल?

महाराष्ट्र के उद्धव सरकार के खिलाफ सत्ता परिवर्तन की सफलता के बाद झारखंड में भी ऑपरेशन लोटस की पटकथा लिखी जाने की बात सामने आ रही है।
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झारखंड की सियासत इन दिनों सुर्खियों में बनी हुई है। इसकी वजह सत्तारूढ़ कांग्रेस के तीन विधायकों के 49 लाख 37 हजार 300 रुपए नगद के साथ पश्चिम बंगाल के हावड़ा में पकड़े जाना है। तीनों विधायक फिलहाल दस दिनों की न्यायिक हिरासत में हैं और उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया है। लेकिन इस बीच पक्ष और विपक्ष में सरकार बचाने और गिराने की बहस जरूर तेज़ हो गई है। एक ओर सत्ताधारी जेएमएम-कांग्रेस गठबंधन इसे सरकार गिराने की बीजेपी की सुनियोजित साज़िश बता रही है। इसे लेकर एफआईआर भी दर्ज करवाई गई है तो, वहीं बीजेपी सत्ता दल को अपना घर संभालने की नसीहत दे रही है।

बता दें कि ये पहला मौका नहीं है जब सरकार गिराने के आरोप में एफ़आईआर दर्ज़ कराई गई है। इससे पहले 22 जुलाई 2021 को भी कुमार जयमंगल ने ही रांची के ही कोतवाली थाने में एक एफआईआर दर्ज़ कराई थी। उसमें भी सरकार गिराने की साज़िश के आरोप में बोकारो के फल एवं सब्जी विक्रेता निवारण महतो, अमित सिंह और अभिषेक दुबे को गिरफ्तार किया गया था। इनमें से किसी का राजनीति से कोई लेना देना नहीं था। एक साल होने को है, पुलिस अभी तक चार्जशीट दायर नहीं कर पाई है। जिस वजह से तीनों आरोपी जमानत पर बाहर हैं।

क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक बीती 30 जुलाई को झारखंड के तीन कांग्रेस विधायक इरफ़ान अंसारी, राजेश कच्छप और नमन बिक्सल एक वाहन में भारी नकदी के साथ पश्चिम बंगाल में पकड़े गए थे। इस संबंध में 31 की दोपहर बाद बेरमो सीट से विधायक कांग्रेस के कुमार जयमंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह ने रांची के अरगोड़ा थाने में ज़ीरो एफ़आईआर दर्ज़ कराई। एफ़आईआर में उन्होंने लिखा कि, 'इन तीनों विधायकों का उन्हें फ़ोन आया जिसमें उन्होंने कहा कि सरकार गिराने के एवज में प्रति विधायक 10 करोड़ रुपए दिए जाएंगे।'

इस संबंध में हावड़ा (ग्रामीण) की पुलिस अधीक्षक स्वाति भांगलिया ने कहा कि हमें सटीक सूचना मिली थी कि काले रंग की एक कार में बड़ी रकम ले जाई जा रही है। इस कार के एक बोर्ड पर कांग्रेस के चुनाव चिह्न के साथ ही ‘विधायक जामताड़ा झारखंड’ लिखा हुआ था। जिसके बाद पुलिस ने वाहनों की तलाशी शुरू कर दी और इस कार को रोका, जिसमें तीन विधायक सवार थे। कार से बड़ी नकद राशि बरामद हुई है। पुलिस के मुताबिक नकदी गिनने के लिए मशीन मंगवाई गईं। विधायकों से भी पूछताछ की जा रही है कि इस धन के स्रोत क्या हैं और इसे कहां ले जाया जा रहा था।

कांग्रेस ने विधायकों को तत्काल प्रभाव से किया निलंबित

दिल्ली में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पार्टी के झारखंड प्रभारी अविनाश पांडेय ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तीनों विधायकों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। साथ ही, कांग्रेस की ओर से झारखंड सरकार के स्थिर होने का दावा किया गया। इस संबंध में सोशल मीडिया पर भी अविनाश पांडेय ने कहा कि सरकार को कोई खतरा नहीं है। सरकार सुरक्षित और स्थिर है।

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘अधिकांश विधायक पार्टी के साथ हैं, लेकिन वो जो विधायक दल को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं, पार्टी नेतृत्व के पास उसकी पूरी जानकारी है. पार्टी उचित समय पर कार्रवाई करेगी।’

पांडेय ने कहा कि सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए इसे अस्थिर और कमजोर करने के प्रयास पिछले दो सालों से चल रहे हैं। उनके मुताबिक विधायकों से संपर्क करने, उन्हें डराने-धमकाने या ललचाने की लगातार कोशिशें की जा रही थीं। कुछ महीने पहले कुछ विधायकों से संपर्क करने के चलते कुछ बीजेपी नेताओं के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई थी।

पांडेय ने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का नाम लेकर विधायकों को डराने की कोशिशें की जा रही हैं। इसके बाद कांग्रेस ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि वह झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के गठबंधन वाली राज्य सरकार को गिराने के लिए विधायकों की ख़रीद-फरोख़्त कर रही है। एफआईआर में असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा के नाम का भी जिक्र किया गया है, जिसे लेकर उन्होंने मीडिया को दिए अपने बयान में एफ़आईआर पर सवाल उठाते हुए कहा कि वो 22 साल कांग्रेस में रहे हैं, ऐसे में वहां के नेताओं से संपर्क होना कोई बड़ी बात नहीं है।

राज्य की राजनीति और आंकड़े

मालूम हो कि आंकड़ों के अनुसार 81 सदस्यों वाली झारखंड विधानसभा में इस वक्त झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के पास 30, कांग्रेस के पास 18, आरजेडी के पास 1 विधायक हैं। यानी बहुमत के लिए जरूरी 41 में से आठ अधिक कुल 49 की संख्याबल है। वहीं विपक्ष में बीजेपी के पास 26, आजसू के पास 2, एनसीपी एक, सीपीआईएमल 1, निर्दलीय 2 विधायक हैं। ऐसे में हेमंत सोरेन की सरकार को गिराने के लिए कुल 9 विधायकों को तोड़ना होगा। ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या बिहार में जेपी नड्डा का दिया बयान कि वह सभी पार्टी को ख़त्म कर देंगे, झारखंड में असर दिखा रहा है या अभी के लिए झारखंड में ऑपरेशन लोटस को ख़त्म मान लिया जाए।

गौरतलब है कि इससे पहले झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु टिर्की को भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी पाए जाने के बाद हाल ही में विधायक पद से अयोग्य करार दिया गया था। अब ये तीन विधायकों का मामला निश्चित ही कांग्रेस के लिए एक वार्निंग के समान है। कांग्रेस के सूत्रों की माने तो अभी भी उनके विधायकों से संपर्क किया जा रहा है। वो चौकन्ने हैं और अगर ज़रूरत पड़ी तो सबूत के साथ जल्द ही उसका भी खुलासा करेंगे।

बहरहाल, झारखंड ऐसा राज्य है जहां अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग दलों का प्रभाव है और यहां मुद्दे भी अलग-अलग हैं। झारखंड की राजनीति भी लोगों की समझ से परे है। यहाँ कौन सा नेता कब किस दल में शामिल हो जाएगा? कोई अंदाज़ा नहीं लगा सकता। विधानसभा के चुनावों की घोषणा से पहले ही नेताओं में पाला बदलने की होड़ लगी थी। कुछ नौकरशाहों ने भी रिटायरमेंट के बाद राजनीतिक दलों का दामन थाम लिया था। ऐसे में अब महाराष्ट्र के उद्धव सरकार के खिलाफ सत्ता परिवर्तन की सफलता के बाद झारखंड में भी ऑपरेशन लोट्स की पटकथा लिखी जाने की बात सामने आ रही है। महाराष्ट्र मॉडल पर ही झारखंड में कांग्रेस को तोड़कर बीजेपी के सरकार बनाने की तैयारी कही जा रही है। इस पूरी घटना से राज्य में सियासी तपिश बढ़ गई है। जाहिर है राजनीतिक अवसरवाद के सबसे प्रदेश झारखंड में राजनीति और भ्रष्टाचार का घालमेल बहुत पुराना है। यहाँ के पूर्व मुख्यमंत्री, कई पूर्व मंत्री और नौकरशाह के आरोपों में जेल जा चुके हैं और आगे आने वाले दिनों में भी कुछ नए घटनाक्रम देखने को मिल सकते हैं।

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