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जो बाइडन ने यमन में सऊदी नेतृत्व वाले युद्ध के लिए अमेरिकी मदद समाप्त करने की घोषणा की

अमन पसंद एक्टिविस्टों ने इस फ़ैसले का स्वागत किया है। हालांकि, कुछ ने आशंका व्यक्त की कि सऊदी के रक्षात्मक कार्यों के लिए बाइडन की घोषणा भविष्य में आक्रामकता का कारण बन जाएगा।
जो बाइडन ने यमन में सऊदी नेतृत्व वाले युद्ध के लिए अमेरिकी मदद समाप्त करने की घोषणा की

मानवाधिकार और शांति समूहों द्वारा एक दीर्घकालिक मुहिम पर निर्णय लेते हुए राष्ट्रपति जो बाइडन ने गुरुवार 5 फरवरी को घोषणा की कि यमन में सऊदी अरब के नेतृत्व वाले युद्ध में यूएस कोई मदद नहीं करेगा। उन्होंने यह भी जोर दिया कि उनका प्रशासन पूरी तरह से युद्ध को समाप्त करने के प्रयासों पर काम कर रहा है।

बाइडन ने राष्ट्रपति के रूप में अपनी पहली विदेश नीति के संबोधन में कहा कि जिस युद्ध ने बड़े पैमाने पर मानवीय तबाही मचाई है उसे "खत्म होना है" और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अमेरिका "सऊदी अरब और इसके सहयोगियों को हथियार बेचने सहित आक्रामक अभियानों के लिए सभी मदद को समाप्त कर रहा है"।

हालांकि, बाइडन ने इस बात पर भी जोर दिया कि उनका प्रशासन सऊदी अरब की रक्षात्मक मामलों में अपनी मदद जारी रखेगा और उसकी संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करेगा।

यमन में सऊदी नेतृत्व वाले युद्ध प्रयासों के लिए मदद को समाप्त करने की घोषणा का कई एक्टिविस्ट और मानवाधिकार संगठनों ने स्वागत किया है जो वर्षों से इसके लिए अभियान चला रहे हैं। सीनेटर बर्नी सैंडर्स ने एक बयान में इस घोषणा का स्वागत किया और इसे "वर्षों से भारी संख्या में एक्टिविस्टों के कार्यों को श्रद्धांजलि" देने जैसा बताया। उन्होंने यह भी कहा कि, "यमन को भोजन, दवा और चिकित्सा व्यवस्था की आवश्यकता है न कि बम और नाकेबंदी की।"

अपने चुनावी वादे को पूरा करने और युद्ध के प्रयासों के लिए अमेरिकी मदद को समाप्त करने जैसे वादे को पूरा करने के लिए CODEPINK सहित अन्य संगठनों ने दिसंबर में चुनावों जीतने के बाद बाइडन को पत्र लिखा था। CODEPINK तथा अन्य संगठनों ने बाइडन प्रशासन के हालिया घोषणा का स्वागत किया है।

सऊदी अरब के नेतृत्व में यमन में युद्ध की शुरुआत 2015 में अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के सक्रिय मदद से हुई थी। हाउथिस द्वारा राजाधानी साना और यमन के अधिकांश क्षेत्र पर कब्जा करने के बाद देश से निर्वासित राष्ट्रपति अब्दरबुह मसूर हादी की सत्ता को स्थापित करने के क्रम में इसकी शुरुआत हुई थी। उन पर भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप लगाया गया था। तब से, सऊदी के नेतृत्व वाले गठबंधन ने बमबारी की, समुद्र और जमीनी नाकेबंदी की जिसके चलते यहां भोजन, दवाओं और बुनियादी ढांचे की कमी होने लगी जिससे हजारों लोगों की मौत हुई और लाखों लोगों को भुखमरी का शिकार होना पड़ा। संयुक्त राष्ट्र द्वारा यमन की परिस्थिति को “सदी का सबसे बड़ा मानवीय संकट” बताया गया है।

इल्हान उमर, रशीदा तलीब, रो खन्ना सहित अन्य डेमोक्रेटिक कांग्रेसियों ने भी इस घोषणा का स्वागत किया।

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