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न्यूज़क्लिक के ख़िलाफ़ ‘टारगेटेड कैंपेन’ पर पत्रकार यूनियनों ने चिंता ज़ाहिर की

“हम समाचार वेब पोर्टल न्यूज़क्लिक और उसके संस्थापकों के ख़िलाफ़ चल रहे टारगेटेड कैंपेन पर गहरी चिंता व्यक्त करते हैं। न्यूज़क्लिक, बाक़ी मीडिया आउटलेट्स की तरह, सरकारी कार्यों की आलोचनात्मक जांच करता है।”
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नई दिल्ली: जर्नलिस्ट बॉडीज़ समेत कई संगठनों ने एक साथ आकर समाचार वेब पोर्टल न्यूज़क्लिक और उसके संस्थापकों के ख़िलाफ़ चल रहे टारगेटेड कैंपेन पर गहरी चिंता ज़ाहिर की। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष उमाकांत लखेरा, दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स की अध्यक्ष सुजाता मधोक, इंडियन विमेंस प्रेस कॉर्प्स (IWPC) की अध्यक्ष शोभना जैन और प्रेस एसोसिएशन के अध्यक्ष सीके नायक की ओर से 9 अगस्त, 2023 को जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि न्यूज़क्लिक, बाक़ी मीडिया आउटलेट्स की तरह, सरकारी कार्यों की आलोचनात्मक जांच करता है, ऐसा करना इसे देशद्रोही या किसी विदेशी देश का टूल नहीं बनाता है।

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने अपने बयान में कहा कि कुछ संसद सदस्यों समेत वरिष्ठ राजनीतिक हस्तियों द्वारा हाल ही में लगाए गए आरोप, जिसमें कहा गया है कि न्यूज़ पोर्टल पड़ोसी देश के लिए मुखपत्र के रूप में कार्य करता है, अनुचित और निंदनीय दोनों हैं। इसके अलावा बयान में कहा गया कि एक संपन्न लोकतंत्र के लिए ज़रूरी है कि मीडिया आउटलेट्स को सरकार या कॉर्पोरेट दबाव के बिना काम करने की स्वतंत्रता हो।

पूरा बयान इस प्रकार है:

बयान में हम, नीचे हस्ताक्षरित संगठन, समाचार वेब पोर्टल न्यूज़क्लिक और उसके संस्थापकों के ख़िलाफ़ चल रहे टारगेटेड कैंपेन पर गहरी चिंता व्यक्त करते हैं। कुछ संसद सदस्यों समेत वरिष्ठ राजनीतिक हस्तियों द्वारा हाल ही में लगाए गए आरोप, जिसमें कहा गया है कि न्यूज़ पोर्टल पड़ोसी देश के लिए मुखपत्र के रूप में कार्य करता है, अनुचित और निंदनीय दोनों हैं। जबकि न्यूज़क्लिक, बाक़ी मीडिया आउटलेट्स की तरह, सरकारी कार्यों की आलोचनात्मक जांच करता है, ऐसा करना इसे देशद्रोही या किसी विदेशी देश का टूल नहीं बनाता है। यह पोर्टल निष्ठावान और सार्थक व्यक्तियों के योगदान को प्रदर्शित करता है। वे लेख जो अन्य देशों की नीतियों पर आलोचनात्मक लेकिन सराहनीय दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं, उन्हें लेकर ऐसी भूल नहीं की जानी चाहिए की वे लेख उनकी ओर से वकालत कर रहे हैं, न ही उन्हें राष्ट्र-विरोधी या देशद्रोही के रूप में लेबल किया जाना चाहिए।

यदि न्यूज़क्लिक के लिए फंडिंग के स्रोत जांच के दायरे में हैं, तो वही पारदर्शिता विभिन्न अन्य पोर्टलों के समर्थकों तक भी विस्तारित होनी चाहिए। पूर्ण पारदर्शिता के हितों के लिए यह ज़रूरी है कि ऐसे सभी पोर्टलों के स्पोंसर्स और फंडिंग स्रोतों का खुलासा किया जाए। इस तरह के खुलासे के बिना, न्यूज़क्लिक को निशाना बनाने वाली हालिया कार्रवाईयों को सही मायने में विच-हंट के रूप में देखा जा सकता है।

मीडिया संगठन भारतीय कानून के दायरे में काम करते हैं और सरकारी एजेंसियों के लिए भी इन मानकों का पालन करना उतना ही महत्वपूर्ण है। एक संपन्न लोकतंत्र के लिए ज़रूरी है कि मीडिया आउटलेट्स को, उनके एफिलियेशन की परवाह किए बिना और सरकार या कॉर्पोरेट दबाव के बिना काम करने की स्वतंत्रता हो। लोकतंत्र की जीवंतता स्वतंत्र मीडिया से अटूट रूप से जुड़ी हुई है।

उमाकांत लखेरा (अध्यक्ष, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया)

सीके नायक (अध्यक्ष, प्रेस एसोसिएशन)

सुजाता मधोक (अध्यक्ष, दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स)

शोभना जैन (अध्यक्ष, IWPC)

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