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कर्नाटक: आरक्षण में बदलाव को कोर्ट मे चुनौती देगा मुस्लिम संगठन

बसवराज बोम्मई सरकार ने 2(बी) श्रेणी को ख़त्म कर दिया है और कहा कि पहले मुसलमानों को दिया गया 4% आरक्षण अब लिंगायत और वोक्कालिगा के बीच समान रूप से वितरित किया जाएगा।
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31 मार्च को एक मुस्लिम संगठन ने कहा कि वे ओबीसी सूची के भीतर 2 (बी) श्रेणी को खत्म करने के खिलाफ कानूनी चुनौती देंगे, जिसमें मुस्लिम समुदाय को 4% आरक्षण की गारंटी दी गई थी। संगठन ने कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व अध्यक्ष सी.एस. द्वारकानाथ की कर्नाटक उच्च न्यायालय में प्रतिनिधित्व करने के लिए मदद ली है।

मुस्लिम जनंगदा जागृत वेदिके (मुस्लिम लोगों की चेतना के लिए मंच) नामक संगठन ने अपनी योजना को लेकर बेंगलुरु में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। सामुदायिक कोटा में बढ़ोतरी की मांग के इरादे से फरवरी में ही इस मंच की स्थापना डॉ. गुलशाद अहमद बीजेड द्वारा की गई थी।

बसवराज बोम्मई सरकार ने 2(बी) श्रेणी को समाप्त कर दिया और घोषणा की कि पहले मुसलमानों को दिया गया 4% आरक्षण अब लिंगायत और वोक्कालिगा के बीच समान रूप से वितरित किया जाएगा। बोम्मई ने घोषणा की कि मुसलमान आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के कोटे का लाभ उठा सकेंगे। भाजपा सरकार ने 3(ए) और 3(बी) ओबीसी उपश्रेणियों को 2(सी) और 2(डी) से बदल दिया। वोक्कालिगा 3(ए) में कोडाव और बनजिगा के साथ मौजूद थे। पांच अन्य समुदायों के साथ 3(बी) में कई लिंगायत उपजातियां मौजूद थीं।

सी.एस. द्वारकानाथ ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि मुसलमानों को ईडब्ल्यूएस श्रेणी में नहीं लाया जा सकता है। उन्होंने कहा, “ईडब्ल्यूएस केवल उन समुदायों के लिए है जो सामाजिक रूप से मजबूत हैं लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर हैं। अभी तक किसी आयोग ने यह नहीं माना है कि मुसलमान आर्थिक रूप से कमजोर हैं। लेकिन कई अध्ययनों से यह निष्कर्ष निकला है कि मुसलमान सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हैं। ओबीसी सूची में बदलाव करने के लिए यह अध्ययन एक शर्त है।

इसके अलावा, मैं 3 (ए) और 3 (बी) श्रेणियों को 2 (सी) और 2 (डी) के साथ बदलने के तर्क को नहीं समझ सकता क्योंकि यह सिर्फ नाम में बदलाव् है संरचना में नहीं। दरअसल, वहां लिंगायत और वोक्कालिगा के साथ-साथ कई समुदाय मौजूद हैं। आप 4% आरक्षण के लाभ से दूसरों को कैसे वंचित करेंगे और यह कैसे सुनिश्चित करेंगे कि यह केवल लिंगायतों और वोक्कालिगाओं को ही मिले? वे इस संबंध में स्पष्टीकरण नहीं दे रहे हैं। यह कदम केवल अल्पकालिक राजनीतिक लाभ को ध्यान में रखकर उठाया गया है।”

मुस्लिम जनांगदा जागृत वेदिके की एक प्रेस रिलीज में कहा गया है, “ओबीसी सूची में संशोधन और मुसलमानों को आरक्षण के लाभ से वंचित करना समाज को निराशाजनक समय की ओर ले जाने का एक प्रयास है। मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या और स्थिति को देखते हुए हम आरक्षण को अपना संवैधानिक अधिकार मानते हैं। हम इसकी बहाली की मांग करते हैं।”

ध्यान देने योग्य बात यह है कि कर्नाटक ओबीसी सूची की श्रेणी 1 में चैपरबैंड जैसे समुदायों सहित आठ मुस्लिम उपजातियां हैं। ये समुदाय अभी भी ओबीसी आरक्षण का लाभ उठाने के पात्र होंगे।

मूल रुप से अंग्रेज़ी प्रकाशित रिपोर्ट को पढने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें :

Karnataka: Muslim Organisation to Move Court to Challenge Change in Reservations

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