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कर्नाटक: पुलिस भर्ती घोटाले में बैकफ़ुट पर बीजेपी, राजनेताओं और पुलिस की सांठगांठ का बड़ा खुलासा

इस घोटाले के समय आज के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई तब राज्य के गृह मंत्री थे। यही नहीं इस मामले में सीआईडी ने कलबुर्गी में बीजेपी की महिला विंग की अध्यक्ष रह चुकीं दिव्या हागरागी को भी गिरफ़्तार किया है, जिसके चलते बोम्मई सरकार विपक्ष के निशाने पर है।
CM Bommai
image credit- social media

बीजेपी शासित प्रदेश कर्नाटक एक बार फिर सुर्खियों में है। लेकिन इस बार वजह हलाल या हिजाब नहीं बल्कि पुलिस सब-इंस्पेक्टर भर्ती घोटाला है, जिसमें सीआईडी ने सीनियर आईपीएस अधिकारी अमृत पॉल को गिरफ्तार किया है। इस मामले के तार सत्ताधारी बीजेपी से भी जुड़े हुए हैं। जांच के बाद सीआईडी ने कलबुर्गी में बीजेपी की महिला विंग की अध्यक्ष रह चुकीं दिव्या हागरागी को भी गिरफ्तार किया है। फिलहाल इस मामले में सीआईडी ने अब तक 70 से ज्यादा लोगों को अपनी गिरफ्त में लिया है, तो वहीं इसमें डीएसपी रैंक के अधिकारी, पुलिस भर्ती विभाग के कई स्टाफ, एग्जाम सेंटर के स्टाफ और 40 से ज्यादा 'सेलेक्टेड कैंडिडेट' भी शामिल हैं। इस पूरे घोटाले ने बीजेपी की बसवराज बोम्मई सरकार को विपक्ष के निशाने पर लाकर खड़ा कर दिया है, तो वहीं सीआईडी जांच ने राजनेताओं और राज्य पुलिस के बीच सांठगांठ का बड़ा खुलासा किया है, जिससे राज्य की पुलिस शर्मनाक स्थिति में आ गई है।

बता दें कि इस साल अप्रैल में ये घोटाला सामने आया था। तब अमृत पॉल कर्नाटक पुलिस भर्ती विभाग के प्रमुख थे और फिलहाल आतंरिक सुरक्षा विभाग के एडीजी थे। इससे पहले दो साल से भी अधिक समय तक वे पुलिस भर्ती विभाग के प्रमुख थे। पीएसआई परीक्षा में बड़े स्तर पर धांधली सामने आने के बाद मई में उनका ट्रांसफर किया गया था। सोमवार, 4 जुलाई को सरकार ने पॉल को सस्पेंड कर दिया। गिरफ्तारी के बाद उन्हें एक लोकल कोर्ट में पेश किया गया, जिसके बाद उनको 10 दिन की पुलिस कस्टडी में भेजा गया है।

क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक कर्नाटक में पुलिस सब-इंस्पेक्टर के 545 पदों पर भर्ती के लिए परीक्षा बीते साल 3 अक्टूबर 2021 को 93 केंद्रों पर आयोजित हुई थी। इस परीक्षा में फिजिकल एग्जाम के बाद शॉर्टलिस्ट किए गए लगभग 54 हजार से ज्यादा कैंडिडेट बैठे थे। परीक्षा के नतीजे इस साल जनवरी में आए, जिसमें 545 कैंडिडेट चुने गए, कुछ छात्रों ने नंबर देने में गड़बड़ी की शिकायत भी की। लेकिन जल्द ही परीक्षा में चुने गए कैंडिडेट वीरेश की OMR शीट सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। उसकी ओएमआर शीट में 100 सवालों में सिर्फ 21 सवालों के जवाब दिए गए थे, लेकिन परीक्षा में उसे 121 मार्क्स मिले थे। इस आंसर शीट के वायरल होने के बाद छात्रों ने प्रदर्शन करना शुरू किया।

जांच की शुरुआत में पुलिस ने वीरेश के खिलाफ केस दर्ज किया। लेकिन अन्य उम्ममीदवारों के भारी विरोध और कर्नाटक विधानसभा में घोटाले का मुद्दा गरमाने के बाद 7 अप्रैल को सरकार ने मामला सीआईडी को सौंप दिया। 11 अप्रैल को पुलिस ने वीरेश को गिरफ्तार किया। सीआईडी ने कलबुर्गी सेंटर में एग्जाम देने वाले 4 कैंडिडेट और सेंटर के तीन निरीक्षकों को भी गिरफ्तार किया। दरअसल, परीक्षा में घोटाले की जानकारी सबसे पहले कलबुर्गी जिले से ही सामने आई थी।

परीक्षा में चुने जाने के लिए 30 से 80 लाख रुपये तक दिए गए

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सीआईडी ने जांच में पाया कि इस परीक्षा में कई तरह से नकल करवाई गई थी। कुछ कैंडिडेट ने OMR शीट को खाली छोड़ दिया, ताकि अंदर का कोई व्यक्ति उसे भर दे। कुछ कैंडिडेट ने परीक्षा देते हुए ब्लूटुथ डिवाइस का इस्तेमाल किया। इसके अलावा कई सेंटर पर निरीक्षकों ने कैंडिडेट को आंसर भी उपलब्ध कराए। रिपोर्ट बताती है कि कैंडिडेट्स ने परीक्षा में चुने जाने के लिए 30 से 80 लाख रुपये तक दिए गए थे।

रिपोर्ट में एक और हैरान करने वाला खुलासा हुआ, जिसके मुताबिक परीक्षा में टॉप करने वाले कैंडिडेट कौशल कुमार जे के मामले में भी गड़बड़ी सामने आई। कौशल ने परीक्षा में 200 में 167.5 अंक लाकर टॉप किया। उसे ऑब्जेक्टिव पेपर में 137.5 अंक और रिटन पेपर में 30 नंबर मिले थे। जांच में पता चला कि परीक्षा के बाद उसकी OMR शीट से छेड़छाड़ की गई थी। सीआईडी ने 8 जून को उसे भी गिरफ्तार किया।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस भर्ती विभाग के स्टाफ ने स्ट्रॉन्ग रूम में रखी OMR शीट हासिल कर ली। घूस देने वाले कई कैंडिडेट्स की शीट को भर्ती विभाग के स्टाफ ने भर दिया। ये काम कई दिनों तक ऑफिस में दूसरे स्टाफ के आने के समये से पहले किया जाता था। एक पुलिस अधिकारी ने एक्सप्रसे को बताया, "कैंडिडेट्स ने 5 से 10 लाख रुपये एडवांस में दिए थे ताकि एग्जाम सेंटर और वहां के कमरे का पहले से पता हो।"

अमृत पॉल की जानकारी में छेड़छाड़ भर्ती विभाग में ही हुई

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सूत्रों ने बताया कि घोटाले में शामिल कैंडिडेट के ओएमआर शीट में छेड़छाड़ भर्ती विभाग में ही की गई थी। उन्होंने दावा किया कि अमृत पॉल को इसके बारे में जानकारी थी। क्योंकि आंसर शीट्स एडीजी की कस्टडी में ही थीं, इसके बावजूद इस तरह की धांधली हुई। मामला बढ़ने के बाद 29 अप्रैल को कर्नाटक सरकार ने भर्ती परीक्षा रद्द करने का फैसला किया था। सरकार ने कहा था कि परीक्षा फिर से ली जाएगी।

मालूम हो कि परीक्षा में मुख्य रूप से कलबुर्गी और बेंगलुरु के परीक्षा सेंटर पर धांधली हुई थी। सीआईडी जांच में पाया गया कि बेंगलुरु के कई सेंटर पर एग्जाम देने वाले कैंडिडेट की OMR शीट से भी छेड़छाड़ की गई। इस घोटाले में सीआईडी अब तक कम से कम सात एफआईआर दर्ज कर चुकी है। इसमें पांच केस बेंगलुरु में और दो कलबुर्गी में दर्ज किए गए हैं।

सीआईडी की जांच में ज्ञान ज्योति इंग्लिश मीडियम स्कूल का नाम सामने आया, जहां इस तरह की धांधली हुई। स्कूल की मालिक दिव्या हागरागी हैं जो कलबुर्गी में बीजेपी की महिला विंग की अध्यक्ष रह चुकी हैं। जांच के बाद सीआईडी ने उन्हें गिरफ्तार किया। दिव्या को घोटाले के मुख्य आरोपियों में से एक बताया जाता है। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने स्कूल में बड़े स्तर पर चीटिंग करवाई। सीआईडी ने इस स्कूल में पढ़ाने वाली एक और टीचर अर्चना को भी गिरफ्तार किया था। जांच में सामने आया कि इस स्कूल में परीक्षा आयोजित कराने की सुविधाएं नहीं थीं। यहां तक कि वहां सीसीटीवी कैमरे भी काम नहीं कर रहे थे। खबरों की मानें तो दिव्या हागरागी और अमृत पॉल की मिलीभगत का ये नतीजा है। पॉल की गिरफ्तारी से पहले सीआईडी ने उनसे कम से कम 4 बार पूछताछ की थी। पूछताछ के दौरान ही घोटाले में उनकी भूमिका सामने आई थी।

विपक्ष ने घोटाले को लेकर बीजेपी सरकार पर साधा निशाना

कांग्रेस विधायक प्रियांक खड़गे ने आरोप लगाया कि 300 से ज्यादा कैंडिडेट ने भर्ती के लिए अधिकारियों और बीजेपी के मंत्रियों को 70 से 80 लाख रुपये दिए। उन्होंने परीक्षा में शामिल होने वाले एक कैंडिडेट और एक बिचौलिए के बीच बातचीत का ऑडियो क्लिप जारी किया था। खड़गे ने दावा किया था कि इस घोटाले में बीजेपी के बड़े नेता शामिल हैं। वहीं पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने इसे '300 करोड़ रुपये का भर्ती घोटाला' बताया था। उन्होंने कहा था कि इस घोटाले और 50 हजार कैंडिडेट के साथ धोखे के लिए बीजेपी को जिम्मेदारी लेनी होगी।

इस मामले पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री को बर्खास्त करने की मांग के साथ ट्वीट किया, “बीजेपी की खुल्लमखुल्ला भ्रष्टाचार और 'नौकरियों की सेल' ने कर्नाटक में हजारों युवाओं के सपनों को बर्बाद कर दिया है।"

गौरतलब है कि सरकार भले ही अपने बचाव में ये दावा कर रही है कि सीआईडी को मामले की जांच और किसी को नहीं छोड़ने के लिए खुली छूट दी गई है। लेकिन घोटाले में बड़े शासनिक-प्रशासनिक नाम जुड़े होने के कारण जांच को प्रभावित करने की शंकाएं भी कम नहीं हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि इस घोटाला के सामने आने के बाद बैकफुट पर आई सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी, किसी भी हाल में डैमेज कंट्रोल की पूरी कोशिश कर सकती है।

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