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कर्नाटकः हर ज़िले में मेडिकल कॉलेज का वादा था, लेकिन ज़िला अस्पताल तक नहीं

2018 में भाजपा ने अपने घोषणा-पत्र में कहा था कि लोगों का स्वास्थ्य भाजपा की प्राथमिकता है। लेकिन लोगों को मिला क्या, आइए पड़ताल करते हैं।
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प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार: The New Indian Express

कर्नाटक विधानसभा चुनाव-2018 में भाजपा ने अपने घोषणा-पत्र में कहा था कि लोगों का स्वास्थ्य भाजपा की प्राथमिकता है। भाजपा ने वायदा किया था कि कर्नाटक के हर ज़िले में एक मेडिकल कॉलेज़ की स्थापना की जाएगी। तो क्या कर्नाटक के हर ज़िले में एक मेडिकल कॉलेज़ बन गया? मेडिकल कॉलेज़ तो छोड़िये, क्या कर्नाटक के हर ज़िले में ज़िला अस्पताल भी हैं? क्या पर्याप्त सब-सेंटर, पीएचसी, सीएचसी उपलब्ध हैं? क्या इन अस्पतालों में पर्याप्त डॉक्टर और अन्य सहायक स्टाफ हैं? आइये, पड़ताल करते हैं।

क्या हर ज़िले में मेडिकल कॉलेज़ बन गया?

कर्नाटक में तीस ज़िले हैं। कायदे से फिलहाल कर्नाटक में तीस मेडिकल कॉलेज़ होने चाहिए। क्या ऐसा है?

राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार कर्नाटक में 2018 में 19 सरकारी एमबीबीएस मेडिकल कॉलेज़ थे और आज 23 सरकारी एमबीबीएस मेडिकल कॉलेज़ हैं। यानी भाजपा के कार्यकाल में पिछले पांच सालों में मात्र चार एमबीबीएस कॉलेज़ों का ही निर्माण हुआ है। इसका एक पहलू ये भी है कि मेडिकल कॉलेज़ निर्माण के मामले में भाजपा कांग्रेस से पछाड़ खा गई है। क्योंकि भाजपा कार्यकाल में मात्र 4 मेडिकल कॉलेज़ का निर्माण हुआ है जबकि 2013-2018 कांग्रेस कार्यकाल में 7 मेडिकल कॉलेज़ों का निर्माण किया गया था।

7 फरवरी 2023 को राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब जवाब में स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडवीय ने देश भर के स्वास्थ्य ढांचे का राज्यवार ब्योरा प्रस्तुत किया था। जिसके अनुसार कार्नाटक में मात्र 16 ज़िला अस्पताल हैं। यानी मेडिकल कॉलेज़ तो छोड़िए हर ज़िले में ज़िला अस्पताल तक नहीं है।

राज्यसभा में जवाब

ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टरों की उपलब्धता की स्थिति

कर्नाटक में ग्रामीण प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों में डॉक्टरों के 414 पद खाली पड़े हैं। विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी है। प्रत्येक सीएचसी में चार विशेषज्ञ डॉक्टरों की अनुशंसा की गई है। लेकिन कर्नाटक के 182 में से मात्र 16 सीएचसी ऐसे हैं जहां चारों डॉक्टर हैं। कुल मिलाकर सीएचसी स्तर पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की स्थिति चिंताजनक है।

सीएचसी स्तर पर 182 आंखों के सर्जन चाहिए लेकिन सिर्फ 14 पद सैंक्शंड हैं, जिनमें से मात्र 2 भरे गए हैं।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर 182 सर्जन चाहिए, जबकि मात्र 48 पद स्वीकृत हैं। इनमें से भी मात्र 16 पदों पर भर्ती की गई है।

प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ के 179 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 52  पद खाली पड़े हैं।

सीएचसी स्तर पर 182 फिज़िशियन की ज़रूरत है। लेकिन मात्र 64 पद ही सैंक्शंड हैं, जिनमें से सिर्फ 19 पदों पर भर्ती की गई।

इसी प्रकार बाल रोग विशेषज्ञ के भी 69 पद खाली पड़े हैं।

सीएचसी स्तर पर कुल मिलाकर 728 डॉक्टरों की जरूरत है लेकिन सिर्फ 461 पद ही सैंक्शंड हैं। जिनमें से मात्र 263 पर भर्ती की गई है।

स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे की स्थिति

बात सिर्फ मेडिकल कॉलेज़ तक ही सीमित नहीं है बल्कि हमें ये भी देखना होगा कि कर्नाटक में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे की स्थिति क्या है?

कर्नाटक में 8757 सब-सेंटर, 2138 पीएचसी और 182 सीएचसी हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2005 में कर्नाटक में 8143 सब-सेंटर, 1681 पीएचसी और 254 सीएचसी थे। यानी पिछले 17 सालों में 614 सब-सेंटर और 457 पीएचसी बनाए गए हैं। जबकि नये सीएचसी खोलने की बजाय 72 सीएचसी बंद किए गए हैं। ये पिछले 17 साल का लेखा-जोखा है।

कर्नाटक शहरी इलाके में कुल 594 पीएचसी चाहिए लेकिन मात्र 383 पीएचसी हैं। 36% शॉर्टफाल है। लगभग तीन करोड़ आबादी 383  पीएचसी पर निर्भर है। 6,671 सब-सेंटर में महिलाओं के अलग से शौचालय नहीं है। 166 पीएचसी और 11 सीएचसी में महिलाओं के लिए अलग से शौचालय नहीं है। 182 सीएचसी में मात्र 152 में एक्स-रे की सुविधा है। मात्र 159 में रेफरल ट्रांसपोर्ट की सुविधा है। मात्र 173 सीएचसी में फंक्शनल लेबर रूम है। सिर्फ 169 सीएचसी में फंक्शनल ओटी है।

सहायक स्टाफ की स्थिति

कर्नाटक में सब-सेंटर स्तर पर महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता के 1,661 पद और पुरुष स्वास्थ्य कार्यकर्ता के 1,879 पद खाली पड़े हैं। पीएचसी स्तर पर महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता/एनम के 1,383 पद खाली पड़े हैं। ग्रामीण इलाके में पीएचसी स्तर पर हैल्थ असिस्टेंट के 1,260 पद खाली पड़े हैं। एनेस्थेटिस्ट के 71 पद खाली पड़े हैं। रेडियोग्राफर के 28 पद खाली पड़े हैं। फार्मासिस्ट के 620 पद खाली पड़े हैं। ये।

उपरोक्त आंकड़े बता रहे हैं कि कर्नाटक में बुनियादी स्वास्थ्य ढांचे की स्थिति क्या है और कर्नाटक के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर क्या उपलब्ध है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं।)

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