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कर्नाटक चुनाव : 'स्मार्ट सिटी' बेलगावी को हफ़्ते में सिर्फ़ 2 बार मिलता है पीने का पानी

स्मार्ट सिटी परियोजना का मक़सद पांच वर्षों में शहर को एक आधुनिक महानगर में बदलना था, जबकि इस साल निवासियों को पीने के पानी की आपूर्ति के लिए 10 दिनों तक का इंतज़ार करना पड़ा।
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फ़ोटो साभार: Telangana Today

बेलगावी/बेलगाम: पीएम मोदी की स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत बेलगावी को चुना गया था, लेकिन चुने जाने के आठ साल बाद भी, बेलगावी शहर के 58 में से केवल 10 वार्डों को ही 24/7 पीने के पानी की आपूर्ति मिल रही है। अन्य वार्डों में चार दिन के अंतराल में पानी दिया जाता है। जबकि स्मार्ट सिटी परियोजना का मक़सद पांच वर्षों में शहर को एक आधुनिक महानगर में बदलना था, लेकिन हालत यह है कि इसके निवासियों को इस वर्ष पेयजल आपूर्ति के लिए 10 दिनों तक इंतज़ार करना पड़ा। इसका कारण एक खस्ताहाल पाइपलाइन को बताया जा रहा है जो अविश्वसनीय है और अक्सर रिसाव का शिकार रहती है।

2021 में, लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) को बाकी 48 वार्डों में 24/7 पीने के पानी की आपूर्ति करने का ठेका मिला था। 804 करोड़ रुपये की इस परियोजना के तहत एलएंडटी को पाइपलाइन के बुनियादी ढांचे की पूरी तरह से मरम्मत और सड़ रही पाइपलाइन बदलने की थी। अनुबंध के तहत कंपनी 12 वर्षों तक ऑपरेशन और रखरखाव में सहायता प्रदान करेगी। उनके काम में एक लाख घरों की मीटरिंग करना भी शामिल है। इस परियोजना को विश्व बैंक से आर्थिक सहायता मिली है। 

बेलगावी के निवासी पानी की समस्या से लगातार जूझ रहे हैं, जो कई वर्षों से मंडरा रही है। हालांकि, पीने के पानी का आंदोलन कोई बड़ा आंदोलन नहीं बन पाया है। इसके बजाय, नागरिक कार्यकर्ताओं ने इस समस्याओं का समाधान खोजने का काम अपने ऊपर ले लिया है।

कार्यकर्ता और उद्यमी, 45 वर्षीय किरण निप्पणिकर ने शहर में कुओं के कायाकल्प को  अंजाम देने ले लिए कम से कम दो समर्पित संगठन शुरू किए हैं। उन्होंने दो कुओं को पुनर्जीवित भी किया है और खर्च भी खुद ही उठाया है। न्यूज़क्लिक से बात करते हुए, उन्होंने कहा कि, "पानी का संकट 2015 में तब शुरू हुआ था जब बेलगाम (बेलगावी का पुराना नाम) में सूखा पड़ा था। तब से, भूजल स्तर में भारी गिरावट आई है। राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (इस साल जारी) की एक रिपोर्ट में बताया गया कि शहरी बुनियादी ढांचे ने भूजल स्तर पर बड़ा असर डाला है। बारिश के पानी की हार्वेस्टिंग भी नहीं होती है; इसलिए, पानी नालियों में बह जाता है। और इसलिए बोरवेल के ज़रिए अधिक पानी निकाल लिया जाता है। इन सभी ने संकट को अधिक बढ़ा दिया है।"

बेलगावी शहर में पीने के पानी दो मुख्य स्रोत - राकास्कोप और हिडकल जलाशय हैं। जब कभी कम बारिश होती है, तो कई घटनाएं ऐसी घटती हैं, जिसके परिणामस्वरूप लक्ष्मी टेक जल उपचार संयंत्र में कम पानी छोड़ा जाता है और इसलिए बेलगावी के घरों में सप्लाई कम हो जाती है।

2015 में, निप्पणिकर ने शहर में झीलों के कायाकल्प का काम शुरू किया था। अब तक, वे दो लाख रुपए खर्च करने के बाद दो झीलों/कुओं का ही कायाकल्प कर पाए हैं। 

एल एंड टी परियोजना

50 वर्षीय अशोक बुर्कुले बेलगावी नगर निगम में एक कार्यकारी अभियंता हैं। वे कर्नाटक अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट एंड फाइनेंस कॉरपोरेशन (KUIDFC) में 24/7 जल आपूर्ति वाले विभाग में काम करते हैं। उन्होंने लार्सन एंड टुब्रो के अनुबंध के दायरे के बारे में न्यूज़क्लिक से बात की। वे कहते हैं कि, "48 वार्डों में, पीवीसी पाइप पुराने हैं। लीक के कारण बहुत पानी बर्बाद हो जाता है। पूरे पाइपलाइन के बुनियादी ढांचे को उच्च घनत्व वाले पॉलीथीन पाइप (एचडीपीई) से बदला जाना है। 2021 में, एलएंडटी को वर्क ऑर्डर मिला था। सिस्टम को पूरी तरह से ओवरहाल करने के लिए 804 करोड़ रुपये की परियोजना बनी थी। इसमें से लगभग 72 प्रतिशत या 571 करोड़ रुपये कैपेक्स (पूंजीगत व्यय) पर खर्च किए जाएंगे। शेष राशि 233 करोड़ रुपये संचालन और रखरखाव पर खर्च की जाएगी। यह है एक 12 साल की परियोजना है - बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए पांच साल और रखरखाव के सात साल हैं। उन्हें एक लाख घरों की मीटरिंग भी करनी होगी।"

नया बुनियादी ढांचा 900 किमी एचडीपीई पाइपलाइनों के साथ एक विशाल भूमिगत मकड़ी का जाला होगा। इसके अलावा कंपनी 16 ओवरहेड टैंक (भंडारण के लिए) और एक नया वाटर ट्रीटमेंट प्लांट भी बनाएगी। सफल होने पर यह बेलगावी शहर के पेयजल संकट का अंत कर सकता है।

साथ ही, मलिन बस्तियों और कम आय वाले परिवारों के निवासियों के लिए इस किस्म की जरूरी सेवा का निजीकरण एक उभरता जोखिम है। उच्च और अनियमित शुल्क उन्हें 24/7 पीने के पानी का लाभ हासिल करने से रोक सकता है। 

कई स्थानीय लोगों का कहना है कि 24/7 पानी की आपूर्ति से एक और लाभ होगा – वह है जल संरक्षण। वर्तमान में, जब पानी सप्ताह में एक बार आता है, तो निवासी जरूरत से अधिक पानी स्टोर करते हैं। और पानी को बड़े-बड़े ड्रमों में जमा करते हैं। जब अगले सप्ताह ताजा पानी आता है, तो वे "बासी" पानी को नाली में गिरा देते हैं। जल संकट से जूझ रहे शहर में यह पानी की दिमागी बर्बादी है।

विधानसभा चुनाव

बेलगावी शहर में दो विधानसभा क्षेत्र आते हैं - बेलगाम उत्तर और बेलगाम दक्षिण।

एक पत्रकार और पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष 45 वर्षीय राजकुमार टोपन्नावर ने नागरिक एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी पर सवाल उठाया है। वे अब बेलगाम उत्तर निर्वाचन क्षेत्र से आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवार हैं। चुनाव प्रचार के दौरान लंच ब्रेक में न्यूज़क्लिक ने उनसे बात की। 

टोपन्नावर ने कहा कि उन्होंने भाजपा-आरएसएस गठबंधन तब छोड़ दिया था जब उन्होंने "संगठन के भीतर लिंगायतों के प्रति एक आम घृणा महसूस की थी"।

उनका कहना है कि, "पीडब्ल्यूडी, बेलगाम स्मार्ट सिटी परियोजना, शहर नगर निगम और बेलगाम शहरी विकास प्राधिकरण चार एजेंसियां हैं जो बेलगाम में सड़कों का निर्माण कर रही थीं। उनका कर्नाटक शहरी जल आपूर्ति और जल निकासी बोर्ड (केयूडब्ल्यूएसडीबी) के साथ कोई समन्वय नहीं है। हाल ही में, बेलगाम में स्मार्ट सिटी फंड का इस्तेमाल करके कई सड़कों का पुनर्निर्माण किया गया। 1,000 करोड़ में से लगभग 600 करोड़ रुपये सड़कों पर खर्च किए गए हैं। यह एक मूर्खतापूर्ण खर्च है क्योंकि अब उन्हें नई पाइपलाइन बिछाने के लिए सभी सड़कों को फिर से तोड़ना होगा जो एलएंडटी की परियोजना है।"

टोपन्नावर, कन्नड़म्मा (कन्नड़ माता) नामक एक कन्नड़ समाचार पत्र और केएनएन सिटी न्यूज नामक एक टेलीविजन समाचार चैनल चलाते हैं। वे बेलगाम उत्तर सीट से पुराने नेताओं को चुनौती दे सकते हैं। कांग्रेस ने आसिफ सैत को मैदान में उतारा है जो निर्वाचन क्षेत्र के दो मुस्लिम उम्मीदवारों में से एक हैं। भाजपा ने लिंगायत उम्मीदवार- डॉ. रवि पाटिल को मैदान में उतारा है। तोपन्नावर ने पाटिल के खिलाफ मंदिर के अंदर चुनाव प्रचार करने सहित आदर्श आचार संहिता के कई उल्लंघनों की शिकायत दर्ज़ कराई है। इसके अलावा अलगाववादी संगठन, महाराष्ट्र एकीकरण समिति के उम्मीदवार अमर यल्लुराकर भी मैदान में हैं।

सीमावर्ती जिला होने के कारण, इस क्षेत्र में मराठी और कन्नड़ दोनों रहते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि शहर में उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला लिंगायत, मराठा और मुसलमान करेंगे। इस बार मुकाबला कांटे का है और एमईएस बीजेपी उम्मीदवारों की जीत की उम्मीदों पर पानी फेर सकता है। बेलगाम दक्षिण में, एमईएस उम्मीदवार, रमाकांत कोंडुस्कर, मराठी गौरव और हिंदुत्व के जुड़वां प्लेटफार्मों से प्रचार कर रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इससे बीजेपी उम्मीदवार अभय पाटिल का असर कम हो गया है। वे बेलगाम दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र से मौजूदा विधायक हैं, लेकिन उनकी सीट बरकरार रहने की उम्मीद है। हालांकि, उत्तर सीट पर बीजेपी उम्मीदवार के सामने समस्या बड़ी है। 

किरण निप्पणिकर का मानना है कि कांग्रेस के आसिफ सैत को पहले से ही फायदा है। उनका कहना है कि, "बेलगाम उत्तर सीट पर कोई अन्य मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में नहीं है (सिर्फ एक निर्दलीय उम्मीदवार है)। इसलिए समुदाय के वोट विभाजित नहीं होंगे। एमईएस मराठी वोटों को खींचेगा और टोपन्नावर कुछ लिंगायत वोटों खींच पाएगा। यह होगा तो लड़ाई बहुत दिलचस्प होगी। हालांकि, कोई भी उम्मीदवार शिक्षा या अपराध जैसे लोगों के मुद्दों को नहीं उठा रहा है। क्या हम बच्चों में निवेश कर रहे हैं? हाल ही में, एक नौवीं कक्षा की बच्ची के साथ उसके सहपाठी ने बलात्कार किया। उन दोनों को निष्कासित कर दिया गया और मामले को रफा-दफ़ा कर दिया गया, क्योंकि लड़का एक प्रभावशाली परिवार से है। स्कूली बच्चों के बीच नशीली दवाओं के इस्तेमाल का भी ज्वलंत मुद्दा है। कोई भी इस बारे में बात नहीं कर रहा है। यहां तक कि लोग भी चुप हैं। ऐसा लगता है कि मतदाताओं के भीतर इस बार उदासीनता बड़ी भारी है।"

मूल रूप से अंग्रेज़ी में प्रकाशित ख़बर को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें :

Karnataka Polls: ‘Smart City’ Belagavi Receives Drinking Water Only Twice a Week

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