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खोरी गांव: मकानों को टूटने से बचाने के लिए यूनाइटेड नेशन को भेजा ज्ञापन

मज़दूर आवास संघर्ष समिति ने बताया की उन्हें मौखिक आश्वासन मिला है की अतिशीघ्र ही भारत सरकार को यूनाइटेड नेशन की ओर से पत्र लिखा जायेगा एवं खोरी गांव में वर्चुअल विजिट की जाएगी।
खोरी गांव: मकानों को टूटने से बचाने के लिए यूनाइटेड नेशन को भेजा ज्ञापन

हरियाणा के फरीदाबाद जिले के अरावली की पहाड़ियों में बसा खोरी गांव, जहाँ लगभग 1 लाख मजदूर जनता रहती हैं। लेकिन लगातार यहाँ की मजदूर जनता भय के साये में जी रही हैं। अपने घर को बचाने के लिए मजदूर परिवारों ने 30 तारीख को खोरी गांव के अम्बेडकर पार्क में मजदूर पंचायत का आयोजन किया था लेकिन वहाँ जब जनता एकजुट हुई तो उनके ऊपर पुलिस द्वारा लाठी चार्ज किया गया। इसमें कई महिलाओं समेत कई लोग बुरी तरह घायल हो गए। पुलिस ने 7 छात्र एवं मजदूरों को गिरफ्तार किया और उन्हें देर रात 11 बजे जाकर ज़मानत पर रिहा किया। हालाँकि उसके बाद भी वहां महपंचायत हुई और उसमें निर्णय किया गया कि प्रशासन ने 7 जुलाई तक इनके उचित पुनर्वास की व्यवस्था नहीं की तो उसके बाद बड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा के नेता भी शामिल हुए थे।

इस बीच वहां के निवासियों ने सरकार और कोर्ट से गुहार लगाई लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली ऐसे में अब उन्होंने यूनाइटेड नेशन का रुख किया है। मजदूर आवास संघर्ष समिति (फरीदाबाद) जो शुरूआत से ही खोरी गाँव के लोगों के विस्थापित किए जाने का विरोध कर रहा है और उनके अधिकारों के लिए संघर्ष भी कर रहा है। अब उनकी ओर से यूनाइटेड नेशन रिपोटेरियर, चेयरपर्सन - राज गोपाल बालाकृष्णन को एक ज्ञापन सौंपा गया।

समिति ने बताया की उन्हें यूनाइटेड नेशन की ओर से मौखिक आश्वासन मिला है कि अतिशीघ्र ही भारत सरकार को यूनाइटेड नेशन की ओर से पत्र लिखा जायेगा एवं खोरी गांव में वर्चुअल विजिट की जाएगी।

समिति ने एक बयान जारी करते हुए पुलिस प्रशासन के रैवेये पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि आज खोरी गाँव में दशहत और डर का माहौल बना हुआ है। पुलिस रात को आती हैं और गाँव के नौजवानों को उठा ले जाती हैं। पुलिस प्रशासन मजदूरों के साथ भद्दा मजाक सा करती नजर आ रही है।

आगे उन्होंने बतया कि पिछले लगातार दो दिनों से फरीदाबाद पुलिस प्रशासन खोरी गांव में जाकर सर्वे के नाम पर लोगों से संपर्क करती है लेकिन हर दहलीज पर खड़ी हुई महिलाएं अपना दरवाजा बंद कर लेती है। डर और खौफ में जी रहे खोरी के निवासी पुलिस की वर्दी से इतने भयभीत हैं कि अपनी जानकारी ठीक प्रकार से पुलिस के साथ साझा भी नहीं कर पा रहे हैं। जबकि पुलिस लोगो से जबरदस्ती जानकारी उगलवाने के लिए कई हथकंडे अपना रही है। इस जानकारी में व्यक्तिगत जानकारी, भूमि संबंधित जानकारी, भूमाफियाओं की जानकारी आदि सम्मिलित है किंतु मजदूर की सामाजिक आर्थिक स्थिति के बारे में कोई भी सवाल जवाब नही किया जा रहा है और न ही उनके परिवार संबंधित कोई जानकारी नहीं ली जा रही है। पुलिस द्वारा किया जा रहा सर्वे मजदूर परिवारों को डराने धमकाने का एक एक हथकंडा है। इस फॉर्म पर किसी प्रकार का कोई सरकारी मोहर या किसी संस्थान व विभाग का नाम नहीं है और न ही सर्वे का जिक्र है।

शुक्रवार को खोरी गांव में एक व्यक्ति की लाश मिली है जिसकी शिनाख्त अभी हो नहीं पाई है। गांव में इस बात को लेकर दुख का माहौल हैं। समिति ने कहा यह गांव में तोड़फोड़ आदेश के बाद दुख एवं अवसाद में हुई कई मौतों में से एक है। ये लगातार हो रही है मौते साफ शब्दों में हत्याएं है जो इस खौफ के माहोल में बढ़ती जा रही है। सुप्रीम कोर्ट, केंद्र एवं राज्य सरकार को इस विषय पर तत्काल संज्ञान लेने की आवश्यकता है।

समिति और वहां के स्थानीय लोगों की मांग है कि

1. जहाँ झुग्गी वहीं मकान
2. जिन मजदूरों के घरों को तोड़ा गया हैं, उनको सरकार मुआवजा दे
3. बिजली, पानी की सप्लाई तुरंत बहाल हो
4.पानी, बिजली की कमी के कारण जितने भी मजदूरों की मौत हुई उनके परिजनों को सरकार मुआवजा दे

आपको बता दें कि 7 जून को उच्चतम न्यायालय ने एक याचिका की सुनवाई में खोरी गाँव बस्ती के लोगों को हटाने के लिए फरीदाबाद नगर निगम व प्रशासन को 6 सप्ताह का समय दिया है। आदेश के बाद से ही बस्ती में नोटिस लगा दिया गया और वहां पर भारी पुलिस बल तैनात कर बस्ती को छावनी में बदल दिया गया है। हरियाणा के फरीदाबाद जिले के अरावली वनक्षेत्र का है जहाँ कोरोना  महमारी, मानसून मौसम से तुरंत पहले और भीषण गर्मी के बीच, कुछ सप्ताह पहले 10000 परिवारों को नगर पालिका ने बेघर कर रही है। हालाँकि ये सब उच्चतम न्यायलय के आदेश पर किया जा रहा है। ये सभी परिवार लगभग 25-30 वर्षों से फरीदाबाद के खोरी गांव इलाक़े के आरावली क्षेत्र में रहते थे। खोरी गांव कई सालों पुराना असंगठित क्षेत्र के मजदूर परिवारों का गांव है।

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