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किसान आंदोलन: पत्रकार मनदीप पुनिया को ज़मानत मिली

मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सतबीर सिंह लाम्बा ने कहा कि शिकायतकर्ता, पीड़ित और गवाह सभी पुलिसकर्मी हैं।
मनदीप पुनिया

नयी दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने सिंघु बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन स्थल से दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए स्वतंत्र पत्रकार मनदीप पुनिया की ज़मानत याचिका मंगलवार को स्वीकार कर ली।

मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सतबीर सिंह लाम्बा ने कहा कि शिकायतकर्ता, पीड़ित और गवाह सभी पुलिसकर्मी हैं।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इस बात की कोई संभावना नहीं है कि आरोपी/प्रार्थी किसी पुलिस अधिकारी को प्रभावित कर सकता है।’’

सिंघु बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन स्थल पर तैनात पुलिसकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार करने के आरोप में पुनिया को शनिवार शाम को गिरफ्तार किया गया था। पुनिया के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 186 (सरकारी कर्मचारी के काम में जानबूझकर बाधा उत्पन्न करना), 353 (ड्यूटी कर रहे सरकारी कर्मचारी को पीटना या उसके खिलाफ बल प्रयोग) और 332 (ड्यूटी कर रहे सरकारी कर्मचारी को जानबूझकर चोट पहुंचाना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट लाम्बा ने आरोपी के साथ-साथ लोक अभियोजक की दलीलें सुनने के बाद मंगलवार के लिए आदेश सुरक्षित रख लिया था।

पुनिया की ओर से पेश अधिवक्ता अकरम खान ने अदालत को बताया कि आरोपी केवल पत्रकार के तौर पर अपने कर्तव्यों का पालन कर रहा था। खान ने कहा कि पुनिया के साथ एक अन्य पत्रकार को हिरासत में लिया गया था लेकिन उसे मध्य रात्रि में रिहा कर दिया गया था।

वकील ने कहा कि आरोपी के साथ अलग व्यवहार करने का कारण पुलिस ने यह दिया कि उसके पास प्रेस का कोई कार्ड नहीं था। उन्होंने कहा, ‘‘आरोपी एक स्वतंत्र पत्रकार है और प्रेस कार्ड नहीं रखना किसी मामले या गिरफ्तारी का आधार नहीं हो सकता। आरोपी समाज का एक सम्मानित सदस्य है और एक पत्रकार है, साथ ही वह ‘कारवां’ पत्रिका के लिए अक्सर लिखता है।’’

अदालत ने पुनिया को उसकी पूर्व अनुमति के बिना देश से बाहर नहीं जाने का निर्देश दिया।

उसने कहा, ‘‘आरोपी जमानत पर रिहाई के दौरान इस प्रकार का कोई अपराध या कोई अन्य अपराध नहीं करेगा। आरोपी किसी भी तरह सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेगा।’’

अदालत ने निर्देश दिया कि जब जांच एजेंसी को आवश्यकता होगी, तब आरोपी पेश होगा।

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि मनदीप की रिहाई और उन पर लगे केस को वापस लेने की मांग को लेकर रविवार को पत्रकारों ने दिल्ली के पुलिस मुख्यालय पर एकत्रित होकर अपना विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन का आह्वान सोशल मीडिया पर कुछ पत्रकारों ने किया था। इसका आयोजन बहुत कम समय में किया गया था, तब भी काफी संख्या में पत्रकार जुटे। पत्रकारों ने कहा कि “आप किसानों को बॉर्डर पर रोक सकते हैं पत्रकारों को नहीं। अन्याय के ख़िलाफ़ इस खुले युद्ध में चौतरफ़ा घेराव की ज़रूरत आन पड़ी है।” प्रदर्शन में शामिल पत्रकारों ने कहा यह सीधा निष्पक्ष पत्रकारिता पर हमला है। उनके हाथों में ‘जर्नलिज्म इज नॉट क्राइम’ यानी पत्रकारिता कोई अपराध नहीं की तख्तियां थीं। कई बड़े पत्रकारों ने भी पुनिया की गिरफ़्तारी के विरोध में सोशल मीडिया पर लिखा।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनुपट के साथ)

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