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ख़बरों के आगे-पीछे: क्या अब दोबारा आ गया है LIC बेचने का वक्त?

हर हफ़्ते की कुछ ज़रूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन..
Modi
फ़ाइल फ़ोटो- PTI

अब शुरू होगी एलआईसी बेचने की प्रकिया

भारतीय जीवन बीमा निगम यानी एलआईसी के आईपीओ का मामला यूक्रेन पर रूसी हमले की वजह से टल गया था लेकिन अब माहौल अनुकूल हो गया है। शेयर बाजार में स्थिरता आ गई है और बाजार का संवेदी सूचकांक 60 हजार के आसपास स्थिर है। सो, अब जल्दी से जल्दी एलआईसी का आईपीओ लाकर सरकार को उसमें करीब सात फीसदी हिस्सेदारी बेचनी है, जिससे 60 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा मिलेगा। सरकार ने पिछले साल 80 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति का मौद्रिकरण किया है। चालू वित्त वर्ष में सिर्फ एलआईसी से 60 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की कमाई करनी है। आर्थिक कारणों के साथ ही राजनीतिक कारणों से भी सरकार एलआईसी के शेयर बेचने की जल्दबाजी कर रही है। इस साल के अंत में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होना है। अगर एलआईसी की हिस्सेदारी बेचने में देरी होगी तो चुनाव नजदीक आ जाएगा और तब विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा मिल जाएगा। इसलिए मई में यह काम निपटाने की तैयारी है। बताया जा रहा है कि उसके बाद सरकार ने साफ कर दिया है कि अगले दो साल यानी 2024 के लोकसभा चुनाव तक सरकार एलआईसी में हिस्सेदारी नहीं घटाएगी। उसके बाद देश की इस सबसे बड़ी और आम लोगों के जीवन से जुड़ी सबसे मूल्यवान कंपनी का भगवान हीं मालिक होगा।

अमेरिकी विदेश मंत्री को जवाब देने में 24 घंटे लगे 

अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने बिना किसी संदर्भ के भारत में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन का मुद्दा उठाया। विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ टू प्लस टू की वार्ता के बाद जब साझा प्रेस कांफ्रेंस हो रही थी तब ब्लिंकन ने भारत में मानवाधिकारों के उल्लंघन का मामला उठाते हुए सीधे सरकार पर आरोप लगाए। ब्लिकंन ने कहा कि भारत में सरकार, पुलिस और जेल अधिकारियों द्वारा मानवाधिकार के उल्लंघन की कई घटनाएं हुई हैं और अमेरिका इन घटनाओं पर नजर रखे हुए है। जब वे यह बोल रहे थे तब जयशंकर ने चुप्पी साधे रखी और अपनी बारी आने पर भी कुछ नहीं कहा। जब ब्लिकंन के बयान की पूरे देश में निंदा हुई, सवाल उठे और विपक्षी पार्टियों ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया तब 24 घंटे के बाद जयशंकर ने कहा कि भारत चाहता तो अमेरिका में भी मानवाधिकार की घटनाओं का मुद्दा उठा सकता था। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका को नसीहत देने की जरूरत नहीं है। लेकिन सवाल है कि यहीं बात उन्होंने उस समय क्यों नहीं कही? जयशंकर उनको टोक सकते थे क्योंकि टू प्लस टू की वार्ता में मानवाधिकार का मुद्दा था ही नहीं, फिर साझा प्रेस कांफ्रेंस में कैसे ब्लिंकन ने यह बात कही! असल में भारत की यह समस्या है कि, जहां जो बात कहनी होती है वहां नहीं कही जाती है। चीन भारत की क्षेत्रीय अखंडता को चुनौती देता रहता है लेकिन कभी भारत की मजाल नहीं हुई है कि वह वन चाइना पॉलिसी पर सवाल उठाए।

गौतम अडानी कहां जाकर रुकेंगे? 

अगर किसी उद्योगपति को राज्याश्रय मिल जाए तो वह क्या नहीं कर सकता! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी मित्र गौतम अडानी अब भारत के नंबर वन और दुनिया के छठे अमीर आदमी बन गए हैं। बीते मंगलवार को एक दिन में उनकी संपत्ति 65 हजार करोड़ रुपए बढ़ी और उन्होंने गूगल के संस्थापकों लैरी पेज और सर्गेई बिन को पीछे छोड़ कर दुनिया के सबसे अमीर लोगों की सूची में छठा स्थान हासिल किया है। यह कोई साधारण बात नहीं है कि गौतम अडानी ने गूगल जैसी उस विशालकाय कंपनी के संस्थापकों को पीछे छोड़ दिया है जिसके प्रोडक्ट दुनिया का हर दूसरा या तीसरा व्यक्ति इस्तेमाल कर रहा है। अडानी की इस लंबी छलांग से दशकों तक भारत के सबसे बड़े दौलतमंद रहे मुकेश अंबानी भी काफी पीछे छूट गए हैं। अंबानी 11वें नंबर पर हैं और उनकी संपत्ति 97 अरब डॉलर है, जबकि अडानी की संपत्ति 118 अरब डॉलर हो गई है। उनके आगे अब सिर्फ पांच लोग हैं। टेस्ला के संस्थापक एलन मस्क, अमेजन के संस्थापक जेफ बेजोस, लुई वितों के मालिक बर्नार्ड आर्नोल्ट, माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स और जाने-माने निवेशक वॉरेन बफे हैं। अब इन सबको चिंता करनी चाहिए। वह दिन दूर नहीं है, जब गौतम अडानी इन सबको पीछे छोड़ कर दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति बनेंगे। अपने ज्ञान, अपनी मेधा, तकनीक में अरबों डॉलर के निवेश और साहस के दम पर वैश्विक इस्तेमाल वाले उत्पाद बनाने और सेवाएं देने वाले कारोबारियों को भारत में सरकार की कृपा से हवाई अड्डे, खदान, बंदरगाह आदि हासिल करने वाला कारोबारी पीछे छोड़ देगा!

भाजपा नेताओं पर न्यायपालिका की मेहरबानियां 

ऐसा लग रहा है कि देश की उच्च अदालतें भाजपा नेताओं को राहत देने और विपक्षी पार्टियों के नेताओं की नकेल कसने के लिए बैठी हैं। पिछले कुछ दिनों का रिकार्ड उठा कर देखें तो पता चलता है कि अपवाद के लिए भी भाजपा के किसी नेता की राहत के लिए दायर की गई याचिका खारिज नहीं हुई है। जिस भाजपा नेता राहत मांगी उसे राहत मिली। उसी तरह अपवाद के लिए भी किसी विपक्षी नेता को अदालत से राहत नहीं मिली। उलटे अदालतों ने इतनी सख्ती दिखाई, जिसकी मिसाल नहीं है। ताजा मामला किरीट सोमैया और उनके बेटे का है। सोमैया और उनके बेटे पर राष्ट्रीय धरोहर रहे आईएनएस विक्रांत का कबाड़ बेचे जाने के मामले में कोई 75 करोड़ रुपए की गड़बड़ी का आरोप है। निचली अदालत ने उनको अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था। लेकिन हाई कोर्ट ने तत्काल उनको और उनके बेटे को राहत दी। मुंबई के पुलिस कमिश्नर रहे परमबीर सिंह भाजपा नेता नहीं हैं लेकिन सबको पता है कि महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ उनकी बयानबाजी किसके इशारे पर हो रही थी। उन पर रिश्वत लेने से लेकर उगाही करने तक के आरोप लगे हैं लेकिन उनको भी हर मामले में अदालत से राहत मिली हुई है। इसके उलट महाराष्ट्र सरकार के मंत्री रहे अनिल देशमुख जेल में बंद हैं। दूसरे मंत्री नवाब मलिक भी जेल में बंद हैं और उनको हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली तो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। शिव सेना से चुनाव लड़े पूर्व पुलिस अधिकारी प्रदीप शर्मा जेल में हैं। महाराष्ट्र से लेकर पश्चिम बंगाल तक एक जैसी सूरत है। बंगाल भाजपा के नेता सुवेंदु अधिकारी पर घोटाले के आरोप लगे तो उनको तत्काल राहत मिल गई। पिछले कुछ दिनों में हाई कोर्ट ने पांच मामले राज्य पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंप दिए हैं। इनमें से ज्यादातर मामलों में तृणमूल कांग्रेस के नेता आरोपी हैं।

जो खुलासा करेगा, जेल जाएगा!

यह न्यू इंडिया का यह नया चलन है। इसमें जो भी सरकार या सत्तारूढ दल के गलत कामों पर अंगुली उठाएगा, वह सीधे जेल जाएगा। हाल ही में तीन राज्यों में तीन अलग-अलग ऐसे ही मामले सामने आए हैं। नागपुर के वकील सतीश उके कई बरसों से जनहित याचिका दायर करते रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया था कि भाजपा नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के खिलाफ 1996 और 1998 में दो आपराधिक मामले दर्ज हुए थे लेकिन उन्होंने 2014 के अपने चुनावी हलफनामे में उनका जिक्र नहीं किया था। वकील उके ने जज लोया की मौत के मामले में भी हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। 31 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय ने उनके यहां छापा मारा और उनको गिरफ्तार करके ले गई। उत्तर प्रदेश का मामला और दिलचस्प है। ‘अमर उजाला’ से जुड़े पत्रकार दिग्विजय सिंह, अजीत ओझा और मनोज गुप्ता ने बोर्ड की परीक्षा को कम से कम दो विषयों के प्रश्न पत्र लीक होने के बारे में खबर छापी। तीनों पत्रकारों को पकड़ कर जेल में डाल दिया गया। ताजा मामला मध्य प्रदेश के सबसे बड़े रोजगार घोटाले व्यापम का खुलासा करने वाले व्हीसलब्लोअर डॉक्टर आनंद राय का है। पिछले दिनों उन्होंने एक परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक होने का खुलासा किया और इसमें मुख्यमंत्री के ओएसडी के शामिल होने का आरोप लगाया। उसके बाद मध्य प्रदेश की पुलिस ने आनंद राय को दिल्ली से गिरफ्तार किया। मध्य प्रदेश के ही सीधी थाने में नंगा किए गए पत्रकारों की तस्वीरें तो पूरी दुनिया में देखी गईं। 

हिमाचल में भाजपा कर रही है 'आप’ का प्रचार

हिमाचल प्रदेश में आम आदमी पार्टी पिछले आठ साल से आधार बनाने का प्रयास कर रही है, लेकिन कुछ खास हासिल नहीं हो सका। पिछले साल हुए उपचुनाव में उसका नामोनिशान नहीं था, जब कांग्रेस ने सभी सीटों पर भाजपा को हराया। वीरभद्र सिंह के निधन से खाली हुई मंडी लोकसभा सीट और चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए थे। कांग्रेस सभी सीटों पर जीती। एक सीट पर तो भाजपा उम्मीदवार चौथे नंबर पर चला गया। इसका मतलब है कि हिमाचल प्रदेश में भाजपा का सीधा मुकाबला कांग्रेस से है। भाजपा को यह भी पता है कि सीधे मुकाबले में इस बार उसकी हार हो सकती है। इसीलिए वह किसी तरह से आम आदमी पार्टी को मजबूत करने में लगी है। मीडिया के जरिए यह धारणा बनवाई जा रही है कि आम आदमी पार्टी से भाजपा घबराई हुई है। असल में भाजपा को पता है कि आम आदमी पार्टी का कोई आधार नहीं है। लेकिन वह उसका प्रचार करके उसे मजूबूत कर रही है ताकि वह सत्ता विरोधी वोट का बंटवारा कर सके। आम आदमी पार्टी के पास वहां न कोई मजबूत नेता है और न कोई संगठन है। इसके बावजूद भाजपा ने आप के प्रदेश अध्यक्ष अनूप केसरी के साथ साथ प्रदेश के महासचिव और ऊना के जिला अध्यक्ष को भाजपा में शामिल कराया। जेपी नड्डा और अनुराग ठाकुर ने इसे बड़ा इवेंट बनाया। असल में भाजपा की रणनीति किसी तरह से आम आदमी पार्टी को मुकाबले में लाना और लड़ाई को त्रिकोणात्मक बनाना है। आप के मजबूती से लड़ने से सत्ता विरोधी वोट का बंटवारा होगा। ध्यान रहे पांच साल तक सरकार चलाने के बाद भाजपा को पता है कि केंद्र व राज्य दोनों के खिलाफ किसी न किसी स्तर की एंटी इन्कम्बैंसी होगी। अगर कांग्रेस से सीधा मुकाबला हुआ तो सत्ता विरोधी वोट कांग्रेस को जाएगा। यह भी ध्यान रखने की बात है कि हिमाचल में पांच साल पर सत्ता बदलने का इतिहास रहा है। सो, भाजपा जबरदस्ती आम आदमी पार्टी पर फोकस बनवा रही है। उसके मजबूती से लड़ने का फायदा भाजपा को होगा।

'आप’ छोड़ते ही चरित्रहीन हुए प्रदेश अध्यक्ष

आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान हिमाचल प्रदेश में रोड शो करके लौटे और उसके अगले ही दिन उनकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अनूप केसरी अपने कई साथियों के साथ भाजपा में शामिल हो गए। आधी रात के समय पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की मौजूदगी में ये नेता भाजपा में शामिल हुए। इनके भाजपा में शामिल होते ही दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अपने प्रदेश अध्यक्ष को चरित्रहीन ठहरा दिया। सिसोदिया ने यह भी कहा कि पार्टी उनको निकालने ही वाली थी कि वे भाजपा में चले गए। मनीष सिसोदिया ने अनूप केसरी को महिलाओं से बदतमीजी करने वाला बताया है। सवाल है कि जब उनके ऊपर इस तरह के आरोप थे तो पार्टी उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रही थी? वे पिछले आठ-नौ साल से पार्टी से जुड़े थे और सितंबर 2020 में उनको प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। पिछले दिनों उन्होंने दिल्ली के नेताओं के सहारे हिमाचल में राजनीति करने का आरोप लगाया तो उनको किनारे किया गया और जब वे भाजपा में चले गए तो उनको चरित्रहीन बता दिया गया। जिस तरह से कांग्रेस छोड़ने वाले नेता कायर और लालची ठहराए जा रहे हैं और भाजपा छोड़ने वाले देशद्रोही उसी तरह से आप छोड़ने वाले चरित्रहीन बताए जा रहे हैं। लेकिन असल में यह पार्टी के तमाम पुराने नेताओं को किनारे करने की आम आदमी पार्टी की पुरानी नीति का ही नतीजा है कि हिमाचल के आप नेता पार्टी छोड़ कर गए हैं।

भारत का ‘वायरस’ पाकिस्तान पहुंचा!

अब तक भारत में भारतीय जनता पार्टी के नेता अपने हर विरोधी को पाकिस्तान चले जाने की नसीहत देते रहे हैं। जो कोई भी व्यक्ति भाजपा का या नरेंद्र मोदी का विरोध करता है या यह भी कह देता है कि पाकिस्तान में भारत के मुकाबले आधे दाम पर पेट्रोल मिल रहा है तो भाजपा के नेता तत्काल उसको पाकिस्तान चले जाने की नसीहत देते थे। भाजपा के कई नेता और कई केंद्रीय मंत्री पाकिस्तानी वीजा देने का कार्यालय खोल कर बैठे रहते हैं। लेकिन अब पाकिस्तान में भी विरोधियों को भारत चले जाने की नसीहत दी जा रही है। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने पिछले दिनों तीन बार भारत की तारीफ की। उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति स्वतंत्र है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत एक खुद्दार कौम है और उसको किसी सुपरपावर की जरूरत नहीं है। वह किसी को आगे घुटने नहीं टेकता। इमरान ये सारी बातें अमेरिका को निशाना बना कर कह रहे थे। लेकिन विपक्ष की नेता और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज इससे इतनी आहत हो गईं कि उन्होंने इमरान खान को भारत चले जाने की नसीहत दे दी। उन्होंने कहा कि अगर इमरान खान को भारत इतना ही पसंद है तो वहीं चले जाए।

(लेखक अनिल जैन, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं, यहाँ व्यक्त उनके विचार निजी हैं) 

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