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जेपी नड्डा के ख़िलाफ़ लीगल नोटिस, ओबीसी समाज को 'चोर' कहने का आरोप

राहुल गांधी के खिलाफ ओबीसी समाज को ढाल बनाकर हमला कर रहे भाजपा को खामियाजा भुगतना पड़ा गया है, अब ओबीसी समाज ने जेपी नड्डा के ख़िलाफ़ ही लीगल नोटिस जारी कर दिया है।
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लोकतंत्र में वैसे तो वोट की अहमियत हक और विकास का पैमान तय करती है, लेकिन पिछले कुछ बरसों में एक राजनीतिक तराजू तैयार कर लिया गया है, जिसके एक पलड़े में जनता और दूसरे पलड़े में... संप्रदायिकता, नफरत, जाति, धर्म और भाषाओं को हथियार के तौर पर रखा जा रहा है।

राजनीतिक दल वक्त की नज़ाकत ख़ूब समझते हैं... वे इंतज़ार करते हैं, फिर धीरे-धीरे इन हथियारों को पलड़े के दूसरी ओर बैठी जनता के लिए इस्तेमाल करते रहते हैं।

इन बार हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है... ओबीसी समाज।

केंद्र की मौजूदा सरकार या भारतीय जनता पार्टी का हर नेता.. मंत्री इन दिनों इस शब्द का ख़ूब इस्तेमाल कर रहा है। क्यों?

क्योंकि इन लोगों के मुताब़िक कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने ओबीसी समाज का अपमान कर दिया है। क्यों अपमान कर दिया है?

क्योंकि उन्होंने नीरव मोदी... ललित मोदी... को चोर कह दिया है।

वैसे राहुल गांधी ने जो कहा उसमें एक खास चीज़ और है... राहुल गांधी आख़िर में कहते हैं कि और न जाने कितने मोदी होंगे इस लिस्ट में....

दरअसल राहुल गांधी का निशाना सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर था।

अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ही भाषा में आरोपों की क्रोनोलॉजी समझिए... कि राहुल गांधी ने ललित मोदी और नीरव मोदी को चोर कह दिया तो पूरे ओबीसी समाज का अपमान हो गया।

वैसे तो ये मामले 2019 के चुनावों के वक्त का है, लेकिन अब राहुल गांधी ने देश में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ निकालकर भाजपा चुनौती दी है, जब भाजपा भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पूरे देश में बैकफुट नज़र आ रही है, तब पिछड़ा समाज यानी ओबीसी वाला हथियार निकालकर सामने कर दिया। क्योंकि 2024 के चुनावों को अब कुछ ही दिन बचे हैं, तो इस अभियान को उन्होंने और ज़्यादा तेज़ कर दिया है, लेकिन इस बार मामला थोड़ा उल्टा पड़ा गया।

क्यों?

क्योंकि हमेशा कि तरह इस बार भी एक समाज को हथियार बनाकर भाजपा राहुल को निशाने पर ले रही थी, इसी कड़ी में पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक ट्वीट कर दिया कि

खुद को ज़्यादा सयाना समझ रहे इन नेताओं की चालाकी ओबीसी महासभा को ठीक से समझ आ गई, और उन्होंने जेपी नड्डा को कड़े शब्दों के साथ लीगल नोटिल ठमा दिया। साथ ही साथ अल्टीमेटम भी दिया कि अगर तय समय के भीतर उन्होंने ओबीसी समाज से माफी नहीं मांगी तो इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाएंगे।

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मध्यप्रदेश के ग्वालियर में ओबीसी समाज की ओर से नोटिस देने वाले धर्मेंद्र कुशवाहा से हमने ख़ुद बात की। उन्होंने बताया कि— ‘’जेपी नड्डा ने राजनीतिक लाभ के लिए ओबीसी समाज को गाली दी है। उन्होंने बताया जातियों की किसी भी सूची में ओबीसी के वाले दायरे में मोदी नाम की जाति नहीं है। अगर नड्डा को इतनी ही चिंता होती तब वो जातीय जनगणना की बात करते। लेकिन उन्हें सिर्फ राजनीतिक लाभ चाहिए, और इसी के लिए वो देश के सबसे बड़े तबके को चोर कहकर अपमान कर रहे हैं। अगर उन्होंने तय समय पर माफी नहीं मांगी तो इसका नतीजा उन्हें भुगतना पड़ेगा।‘’

क्योंकि जेपी नड्डा देश को बहुत बड़े नेता हैं, ऐसे में अगर एक समाज उनकी समझ पर सवाल उठा रहा है, तो ये उनके लिए चिंता करने वाला विषय हैं, यही कारण है कि हमने धर्मेंद्र कुशवाहा से राहुल गांधी के बयान को लेकर भी चर्चा की और पूछा कि राहुल गांधी ने जो ‘मोदी’ सरनेम को लेकर बयान दिया है, उसे आप लोग कैसे देखते हैं, और क्या सच में राहुल गांधी ने ओबीसी समाज का अपना किया है? इसके जवाब में धर्मेंद्र ने कहा... ‘’ये बिल्कुल ग़लत है, अगर उन्होंने ओबीसी समाज का अपमान किया होता तो हम उनकी भारत जोड़ो यात्रा मध्यप्रदेश में निकलने ही नहीं देते और उन्हें काले झंडे दिखाते। लेकिन उन्होंने तो देश के भगोड़ों को और वास्तविक चोरों को चोर कहा है। लेकिन इसे ग़लत तरीके से पेश कर भाजपा और जेपी नड्डा राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं।‘’

ख़ैर.., इतना तो साफ है कि भजपा की ओर से भले ही एक समाज को टारगेट कर इस मामले को तूल दिया जा रहा हो, लेकिन ओबीसी समाज ये बहुत अच्छे से जानता है, कि भाजपा सिर्फ राजनीति करने में जुटी हुई हैं।

नोटिस देने वाले धर्मेंद्र ने की ओर से एक तस्वीर न्यूज़क्लिक को भेजी गई है, जिसमें ये बताया गया है कि भाजपा कैसे किसी भी ख़बर को अपने मुताबिक गढ़ती है और झूठ परोसती है...

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पूरा मामला समझ लेते हैं?

वायनाड के पूर्व सांसद राहुल गांधी ने कथित तौर पर ये बयान 2019 में लोकसभा चुनावों के दौरान कर्नाटक के कोलार में दिया था, उन्होंने कथित तौर पर ये कहा था कि "सभी चोरों का उपनाम यानी सरनेम मोदी क्यों है?"

राहुल गांधी के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत केस दर्ज किया गया था, जिसके तहत धारा 499 में आपराधिक मानहानि के मामलों में अधिकतम दो साल की सज़ा का प्रावधान है।

सज़ा के एलान के बाद याचिकाकर्ता पुर्णेश मोदी ने मीडिया से बातचीत में कहा, "हम इस फ़ैसले का दिल से स्वागत करते हैं, दो साल की सज़ा के एलान से खुश है या नहीं सवाल ये नहीं है। ये सामाजिक आंदोलन की बात है। किसी भी समाज, जाति के ख़िलाफ़ बयान नहीं दिया जाना चाहिए, और कुछ नहीं। बाकी हम अपने समाज में बैठकर आगे चर्चा करेंगे।"

ये मामला मौजूदा वक्त में कहां है?

इस मामले में राहुल गांधी को प्रावधान के आधार पर अधिकतम 2 साल की सज़ा सुना दी गई थी, हालांकि उन्हें तुरंत बेल भी मिल गई। लेकिन मामला कथित तौर पर कानूनी से ज्यादा राजनीतिक है, तो सज़ा के दो दिन बाद ही उनकी सांसदी भी चली गई, और उन्हें बंगला खाली करने का भी नोटिस दे दिया गया है। अब ये मामला कोर्ट के आधीन है।

ख़ैर... आपको बता दें कि राहुल गांधी के साथ ये सारा संकट तब शुरु हुआ, जब उन्होंने भाजपा के खिलाफ भ्रष्टाचार को उजागर करने वाला लंबा चौड़ा भाषण दिया।

लेकिन ये कहना भी ग़लत नहीं होगा कि भाजपा और जेपी नड्डा की ओबीसी समाज को ढाल बनाने वाले चाल पूरी तरह से नाकामयाब हो गई।

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