Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

कारगिल में राशन कार्ड दिखाकर मिल रही हैं सब्ज़ियां, लोग हैरान-परेशान

प्रशासन के आदेशानुसार अब सब्ज़ियों की खरीद के लिए राशन कार्ड को अनिवार्य कर दिया गया है, और इसके अलावा कहीं और से वैकल्पिक व्यवस्था भी मुश्किल है।
jammu and kashmir

नई दिल्ली : पिछले 20 दिनों से अली वजीरी दाल और कुछ सूखी सब्जियों में अपना गुजारा कर रहे हैंजिन्हें उन्होंने कारगिल में सर्दियों की शुरुआत से पहले जमा कर रख लिया था। राशनकार्ड न होने के चलते वे सब्जियां खरीद पाने में असमर्थ है। काम-धंधे के कारण वज़ीरी शहर में रहते हैं, जबकि उनका परिवार यहाँ से करीब 40 किलोमीटर दूर सुकनू नाम के एक गाँव में रहता है।

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए उन्होंने बताया कि '' यहाँ पर यदि सब्जियां खरीदनी हो तो, राशन कार्ड का होना आवश्यक है। और ऐसा करने के लिए मुझे अपने घर जाकर अपने पिता का राशनकार्ड लेकर आना होगा, तभी ताज़ी सब्जियों को खाने का शौक पाल सकता हूँ। सुखा कर रखी गई सब्जियों का हमारा स्टॉक खत्म होने वाला है, और काम की मेरी व्यस्तता इतनी है कि छुट्टी लेकर घर जा सकूँ, ऐसा कर पाना संभव नहीं हो पा रहा है।

यह स्थिति किसी एक वज़ीरी के साथ ही नहीं है। ऐसे कई स्थानीय लोग हैं जो काम के सिलसिले में अपने घर से दूर आकर इस शहर में बसे हुए हैं। कारगिल शहर में बाहर से आये हुए लोग भी रहते हैं, जो सरकारी कर्मचारीशिक्षक और मजदूर के रूप में यहाँ पर काम करते हैं। ये सब लोग दैनिक उपभोग के लिए सब्जियाँ नहीं खरीद पा रहे, क्योंकि राशनकार्ड की पात्रता की श्रेणी में ये लोग नहीं आते हैं।

20 जनवरी को कारगिल के जिला मजिस्ट्रेट के आदेशानुसार सब्जियों को खरीदने के लिए आम जनता के लिए राशन कार्ड को अनिवार्य कर दिया गया है। आदेश में निर्देश है- ताजी सब्जियों के सुचारुपूर्ण वितरण के लिएवितरण की प्रणाली अपनाई जा रही है, जिसके अनुसार अबसे (यानी 11.01.2020 से) यदि ताजा सब्जियों का लाभ उठाना है तो राशनकार्ड से ही इसे प्राप्त किया जा सकता है। इस राशनकार्ड से जिसे आज सब्जी मिल चुकी है, वे कल इसे नहीं खरीद सकते, बल्कि उसके अगले दिन वे इसके पात्र होंगे या जब उनके वितरण की बारी आयेगी, तब सब्जियाँ खरीद सकते हैं। 

notice.png

स्थानीय लोग गुस्से में

कारगिल में सरकारी सब्जी की दुकानों के बाहर लगी लंबी कतारों को देखा जा सकता है, जहाँ पर लोग उपज को खरीदने के लिए अपने-अपने राशन कार्ड के साथ खड़े हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार300 रुपये में उन्हें तीन से चार किलोग्राम के बीच सब्जियाँ ही मिल रही हैं। जो सब्जी मिल भी रही है, उनकी पसंद की नहीं, बल्कि बेचने वाले की मर्जी पर यह सब तय हो रहा है। उनका कहना है कि सब्जियां खरीदने के बाद उनके राशन कार्ड को अपडेट कर दिया जाता है, जिसमें आमतौर पर 20 दिन बाद की तारीख होती है, इसके बीच में वे सब्जी नहीं खरीद सकते।

एक स्थानीय ने अपनी पहचान न बताये जाने की शर्त पर न्यूज़क्लिक से खुलासा किया कि “300 रुपये के बदले में हमें मिलता क्या है? गिनकर 10 नग प्याज, उतने ही टमाटर और दो गोभी और कुछ दूसरी सब्जियाँ, बस।"

सर्दियों में कारगिल का संपर्क बाकी दुनिया से टूट जाता है, जिसे ध्यान में रखते हुए स्थानीय लोग सब्जियों को सुखाकर रख लेते हैं और इन तीन-चार महीनों में बीच-बीच में इसे अपने इस्तेमाल में लाते हैं। आमतौर पर स्थानीय लोग कश्मीर से आने वाली सब्जियों के भरोसे रहते हैं, लेकिन यह पहली बार देखने में आया है कि सब्जियों तक के लिए राशन कार्ड दिखाने की जरूरत पड़ रही है।

jammu 2.JPG

सज्जाद हुसैन जो कारगिल के एक प्रभावी सामाजिक कार्यकर्ता हैं, का कहना है आमतौर पर सर्दियों के मौसम में यहाँ पर सब्जियों की आमद कम ही रहती है। लेकिन इस बार तो सब्जियों का पूरी तरह से अकाल ही पड़ गया है। सब्जी चाहिए तो राशन कार्ड दिखाओ, यह चलन तो यहाँ पहली बार ही देखने में आ रहा है।”

गाँवों और दूर-दराज के इलाकों की अनदेखी

दूर-दराज के इलाकों से पहुंच की भी समस्या है। सब्जी वितरण केंद्र का काम कारगिल के मुख्य शहर से किया जा रहा है, जिसके चलते गांवों और दूर दराज के क्षेत्रों को उपेक्षित छोड़ दिया गया है। सरकारी आदेश में इसका उल्लेख है  "आम जनता को यह सूचित किया जाता है कि ताज़ा सब्जी के वितरण की व्यवस्था के लिए मुख्य बाजार और बारू कालोनी में वितरण केंद्र की व्यवस्था की गई है, जिसे दोपहर 12 बजे से किया जाएगा।"

jammu 3.JPG

कारगिल में कुल मिलाकर 15 ब्लॉक हैं, जिनमें संकू,  द्रासशकर चिकतन और शार्गोले आदि शामिल हैं। मुख्य शहर से ये ब्लॉक काफी दूर पड़ते हैं। कारगिल व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष हाजी अब्बास बालती कहते हैं हमारा जोर इस बात को लेकर है कि प्रशासन प्रत्येक ब्लॉक में सरकारी वितरण केंद्र खोलने की व्यवस्था करे। गांवों और दूर दराज के क्षेत्रों तक सब्जियों की पहुंच नहीं बन पा रही है। हमारा प्रशासन से यह भी अनुरोध है कि वह अपने राशन कार्ड से सब्जियों के वितरण के फैसले को वापस ले ले, क्योंकि इसकी वजह से स्थानीय लोगों और बाहर से आकर रहने वाले लोगों को समान रूप से काफी दिक्कतें पेश आ रही हैं।”

कारगिल में जो लोग बाहर से आकर रह रहे हैं उनमें से अधिकतर लोग कश्मीर, लेह और उत्तर प्रदेश से हैं। उन्हें काफी दिक्कतों में ये दिन बिताने पड़ रहे हैं, क्योंकि वे सब्जियाँ खरीद ही नहीं सकते और जो स्थानीय भोजन उनके लिए उपलब्ध है, वह अभी तक उनकी आदतों में शुमार नहीं हो सका है। कारगिल में रह रहे एक गैर-स्थानीय व्यक्ति ने कहा “यह सबकुछ बेहद अजीब है, और पहली-पहली बार ऐसा देखने को मिल रहा है। हमें खाने को सब्जियां नहीं मिल पा रही हैं। इसके चलते हम बाहर से आये लोगों की जिन्दगी दूभर हो चली है क्योंकि स्थानीय खान-पान से हमारी पसंद मेल नहीं खाती, हमारे लिए काफी मुश्किल भरे दिन हैं ये।”

आपको बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर राज्य का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करते हुए उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया गया है। इसमें जम्मू-कश्मीर को दिल्ली की तरह विधानसभा वाला केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया है, जबकि लद्दाख को जिसमें लेह और कारगिल दो ज़िलें शामिल हैं, बिना विधानसभा का केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया है यानी इसे सीधे केंद्र के अधीन रखा गया है।     

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Locals Enraged after Vegetables Rationed Amid Short Supply

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest