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एमपी : ओबीसी चयनित शिक्षक कोटे के आधार पर नियुक्ति पत्र की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे

चयनित शिक्षक पिछले एक महीने से नियुक्ति पत्र को लेकर प्रदेश भर में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन मांग पूरी न होने पर अंत में आमरण अनशन का रास्ता चयन किया।
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फ़ोटो साभार: दैनिक भास्कर

तीन वर्षों से नियुक्ति का इंतजार कर रहे चयनित शिक्षकों की समस्याएं खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। मध्य प्रदेश शिक्षक भर्ती में ओबीसी चयनित शिक्षक नियुक्ति पत्र की मांग को लेकर गत सोमवार से आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। ज्ञात हो कि चयनित शिक्षक पिछले एक महीने से नियुक्ति पत्र को लेकर प्रदेश भर में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन मांग पूरी न होने पर अंत में आमरण अनशन का रास्ता चयन किया। धरना प्रदर्शन के दौरान उन्होंने भूख हड़ताल भी की लेकिन नतीजा नहीं निकलने पर सोमवार से आमरण अनशन पर बैठ गए हैं और सीएमओ कार्यालय में ज्ञापन सौंपकर जल्द नियुक्ति दिलाए जाने की मांग की।

14 प्रतिशत के आधार पर ही नियुक्ति

चयनित शिक्षकों ने दैनिक भास्कर को बताया कि पिछले वर्ष अक्टूबर और नवंबर महीने में 11 विषयों में ओबीसी को नियुक्ति दी गई थी लेकिन माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती के 6 विषयों में 27 प्रतिशत रिजर्वेशन के बजाय 14 प्रतिशत के आधार पर ही नियुक्ति दी गई थी। शेष आरक्षण कोटे की नियुक्तियां होल्ड कर दी गईं थी। इसलिए चयनित शिक्षकों की मांग है कि होल्ड की नियुक्तियां भी रिलीज की जाएं। साथ ही सभी नियुक्तियों में भर्ती का आधार 27 फीसदी रिजर्वेशन माना जाए।

क्या है पूरा मामला?

ज्ञात हो कि 16 मार्च को शिक्षा विभाग ने एससी, एसटी, ईडब्लूएस और अनारक्षित वर्ग के नियुक्ति पत्र जारी किए पर किसी भी विषय में ओबीसी को नियुक्ति नहीं दी गई। इसी वजह से 4 विषय में 600 अभ्यर्थियों को होल्ड पर रख दिया गया और 1400 अभ्यर्थियों को वेटिंग में रख दिया गया। जिसके चलते करीब दो हज़ार ओबीसी शिक्षकाें की नियुक्ति नहीं हो पाई। इसको लेकर 21 मार्च से धरना प्रदर्शन शुरू किया गया जो अब जारी है। रिपोर्ट के अनुसार मार्च महीने में चयनित शिक्षक एक साथ कस्तुरबा नगर में नियुक्ति पत्र को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे, इसमें ओबीसी वर्ग के साथ ड्यूअल डिग्री और सह विषय भर्ती वाले भी शामिल थे। इसमें से दोनों वर्गों को नियुक्ति भी मिल गई और वेटिंग भी क्लियर हो गयी, वहीं ओबीसी वर्ग की भर्ती को लेकर अभी भी संशय बना हुआ है।

चयनित शिक्षकाें का ये है कहना

भास्कर से बात करते हुए मिथुन डागर कहते हैं कि 'हम 2018 शिक्षक भर्ती परीक्षा में चयनित थे। पिछले 21 मार्च से धरना कर रहे हैं बावजूद इसके सरकार हमारी बात नहीं सुन रही है। सरकार ने सभी को भर्ती दे दी है बस हम ओबीसी वाले ही बचे हुए हैं। सरकार से हमारी मांग है की हमें जल्दी नियुक्ति पत्र दिलाया जाए।"

वहीं रजनीश सोनी ने कहा कि "हमें एक महीना हो गया है,एक भी अधिकारी हमारी सुनवाई के लिए नहीं आया है। हम समझते हैं की सरकार की परेशानियां है लेकिन हमारी भी समस्याएं कुछ कम नहीं हैं। क्योंकि जब सभी की समस्याओं का निराकरण हो गया तो हमारा निदान क्यों नहीं किया जा रहा है।"

सीएम को सौपा ज्ञापन

सोमवार को ओबीसी वर्ग के चयनित शिक्षकाें ने सीएम के नाम ज्ञापन सीएमओ कार्यालय में सौंपकर जल्द नियुक्ति पत्र दिलाए जाने की मांंग की है। साथ ही प्रदेश के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्र से मुलाकात कर अपनी समस्याएं रखी जिस पर उन्होंने निराकरण का आश्वासन दिया है।

चयनित शिक्षकों से मिले कमलाथ

ज्ञात हो कि दो सप्ताह पहले ओबीसी चयनित शिक्षकों ने पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता कमल नाथ से मुलाकात की और उन्‍हें ज्ञापन देकर अपनी समस्याओं से अवगत कराया। कमल नाथ से ओबीसी चयनित शिक्षकों ने कहा था कि शासन की ओर से कोई भी अधिकारी उनकी समस्याओं को सुनने नहीं आया है।

1400 अभ्यर्थी नियुक्ति से वंचित

बता दें कि चयनित शिक्षक तीन वर्षों से नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं। नई दुनिया की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल होली के दो दिन पहले प्रतिक्षारत सूची में शामिल 1776 चयनित शिक्षकाें को नियुक्ति पत्र दिए गए थे लेकिन इसमें 11 विषयों के ओबीसी अभ्यर्थी वंचित रह गए थे। ओबीसी चयनित शिक्षक अपनी इस मांग को लेकर लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) के समक्ष धरना-प्रदर्शन किया था। प्रदेश भर के करीब 150 ओबीसी चयनित शिक्षक ने भोपाल में विशाल धरना-प्रदर्शन किया था। ओबीसी चयनित शिक्षक संघ का कहना है कि 16 मार्च को स्कूल शिक्षा विभाग ने जो आदेश जारी किया उसमें किसी भी विषय में ओबीसी अभ्यर्थियों की नियुक्ति नहीं जारी की गई। इसलिए पांच विषय में 600 अभ्यर्थी होल्ड से प्रभावित हैं और 11 विषयों में 1400 अभ्यर्थी नियुक्ति से वंचित हैं। इस तरह कुल दो हजार अभ्यर्थियों का नियुक्ति पत्र रूका हुआ है। इसमें ज्यादातर अभ्यर्थी आर्थिक तंगी और मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रहे हैं।

ओबीसी चयनित शिक्षकों का तर्क

ओबीसी चयनित शिक्षक संघ का कहना है कि मध्य प्रदेश शिक्षक भर्ती-2018 के तहत वर्ग-1 स्कूल शिक्षा विभाग में 17 हजार पद और जनजातीय कार्य विभाग में दो हजार पदों के लिए विज्ञापन जारी हुआ था। जिसमें प्रथम चरण में 15 हजार पदों के लिए ओबीसी को 27 फीसद आरक्षण के आधार पर चयन प्रक्रिया पूरी की गई। इसी आधार पर मेरिट सूची में नाम आने से दस्तावेजों का सत्यापन कार्य भी पूरा कर लिया गया। अक्टूबर 2021 को सभी विषयों के कुल 8292 अभ्यर्थियों के नियुक्ति पत्र जारी हुए जिसमें 11 विषयों में ओबीसी को 27 फीसद आरक्षण दिया गया लेकिन पांच विषय में ओबीसी को 14 फीसद आरक्षण दिया गया। जाहिर है कि ऐसे में पांच विषयों के ओबीसी के लिए 13 फीसद पद होल्ड पर हैं और नियुक्ति से वंचित हैं।

चयनित ओबीसी शिक्षकों के साथ न्याय कीजिए

नियुक्ति पत्र न मिलने से परेशान चयनित शिक्षक बिंदु सुर्यवंशी ने ट्वीट करते हुए लिखा, ..."अभी भी हम जॉइनिंग के इंतजार में हैं। एक महीने से डीपीआई के सामने धरना दे रहे हैं किंतु कोई भी हम पर ध्यान नहीं दे रहा है कृपया हम चयनित ओबीसी शिक्षकों के साथ न्याय कीजिए। और शीघ्र अति शीघ्र एमपी ओबीसी चयनित शिक्षक की प्रोविजनल वेटिंग लिस्ट क्लियर कीजिए।"

एक अन्य यूजर यशवंत सिंह एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को टैग करते हुए ट्विट करते हैं, … "एमपी की वर्तमान बीजेपी सरकार [द्वारा] शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को 3 साल से लटकाया जा रहा है, जो कि चयनित अभ्यर्थियों और ओबीसी भाई बहनों के साथ दुर्भावनापूर्ण रवैया है और सभी चयनित अभ्यर्थियों के साथ धोखा किया जा रहा है।"

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